Sunday, January 20, 2019

स्तंभ जीवन मूल्य, हर रिश्ते में बातचीत की जरुरत है

    कहा जाता है की बातचीत हर समस्या का हल है और समस्या ना हो तो जीवन का फल हैं | आपके मन में कोई बात है जो आपको परेशान कर रही है तो यह जरुरी है कि आप मन की बात किसी करीबी के साथ साझा करें |

     हर इंसान के जीवन में रिश्तों की अपनी अलग जगह होती है जो उसे चारो तरफ से बांधे रखते हैं | हर संबंध में संचार को यानी बातचीत को पुरी प्राथमिकता मिलनी चाहिए |

    संचार को बेहतर बनाने के लिए आपको कई बार अपने लहजे मे नरमी लानी पड सकती है कुछ ऐसी बातों से भी जुड़ना पड सकता है जो आपको पसंद ना हो | अगर कभी ऐसा करना भी पड़े तो बेहिचकीचाए करें क्योंकि ऐसा करना आपके हित में हो सकता है |

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    इस स्तंभ को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

लेख, असल में हिन्दी क्या है और क्यों हम धारा प्रवाह हिन्दी नही बोल पाते

    हा यह सच है कि भारत में लोग धाराप्रवाह हिन्दी नही बोल सकते वजह ये है कि हमे असलियत में हिन्दी भाषा का भान ही नही है |

     दरअसल हम आज जिस भाषा को हिन्दी कहते हैं वह देवनागरी एवं उर्दू का मिश्रण है | उदाहरण के तौर पर यदि हम किसी से ये पूछते हैं कि , ‘साहब आपको एक गिलास पानी चाहिए क्या’ | तो इस एक वाक्य में साहब शब्द उर्दू का है , गिलास उर्दू का शब्द है , पानी उर्दू का शब्द है एवं आपको, एक , चाहिए और क्या देवनागरी के शब्द है | तो यदि हम उसी वाक्य को असली एवं शुद्ध हिन्दी यानी देवनागरी में बोलना चाहे तो कुछ यू कह सकते हैं, ‘महोदय आपको एक जल पात्र जल चाहिए क्या ‘|

    यही वजह है कि हम लोग धाराप्रवाह हिन्दी नही बोल पाते क्योंकि हम अपने आम बोलचाल में हिन्दी से कही ज्यादा उर्दू भाषा के शब्दों को बोलते हैं और बहोल सारे लोगों को बोलते वक्त यह भी नही पता रहता के वो उर्दू के शब्द बोल रहे हैं |

     हमारी हिन्दी की तरह ही हमारी उर्दू भी हमारे भारत देश में जन्मी भाषा है | हिन्दी एवं उर्दू दोनों ही हमारे भारत देश की शान हैं और घर घर में बोली जातीं हैं |

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स्तंभ जीवन मूल्य, मां से विरासत ये मिला है मुझे

    पढ़ाई को महत्व देने की सिख एवं किसी काम को पुरी इमानदारी से करने का मनोबल मुझे अपनी मां से विरासत में मिला है |

   मां चाहे पढी लिखी हो या ना हो मगर हर मां यही चाहती है कि उसके बच्चे खूब पढ़े लिखे एवं उसका नाम रोशन करें | हर मां बाप अपनी हैसियत के मुकाबिल अपने बच्चो को शिक्षा दिलाने की कोशिश करते हैं तो बच्चो का भी फर्क ये बनता है कि शिक्षा हासिल कर अपने समाज की उन्नति में अपना योगदान दें |

    अच्छे संस्कार तो हर बच्चे को अपनी मां से विरासत में ही मिलते हैं एवं उन संस्कारो का जीवन भर पालन करना हर बच्चे की जिम्मेदारी है |

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