Sunday, July 29, 2018

जिंदगी की गाड़ी में इंजन भी जरूरी है, स्तंभ जीवन मूल्य


जिंदगी की गाड़ी में इंजन भी जरूरी है, स्तंभ जीवन मूल्य
  ति पत्नी के रिश्ते में जब भी संतुलन की बात होती है तब आपने अक्सर टीवी सीरियलों एवं फिल्मो में अदाकारों को यह कहते हुए सुना कि पति पत्नी जीवन की गाड़ी के दो पहिए की तरह होते हैं |अगर दोनों से से कोई भी एक पहिया असंतुलित हो जाये तो जीवन की गाड़ी पटरी से उतर जती है |

   मगर पहिए की बात करते हुए हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि दोनों पहिये अगर संतुलित भी रहे तो भी अगर उस गाडी में कोई इंजन नही है तो जीवन की गाड़ी चलेगी ही नहीं | इंजन से मेरा मतलब दोनों (पति पत्नी) में से किसी एक का साहसिक एवं जिम्मेदार होना ज्यादा जरुरी है |तथा दूसरे को उस पर विश्वास करते हुए उसके निर्णय में साथ देना चाहिए |

   आज कल पति पत्नी में हो रहे तलाकों की कई वजहो मे एक वजह यह भी बन गयी है की दोनों एक दूसरे से एक विषय पर सहमत नहीं हो पाते |या यह कहनी उचीत होगा के रिश्ते में होरही नोक झोक में कोई झुकना नही चाहता | किसी शायर का एक शेर है के 'कभी ये हुनर भी आजमाना चाहिए अगर रिश्ते में जंग हो तो हार जाना चाहिए 'पति पत्नी के रिश्ते में एक दूसरे को समझना आवश्यक है |दोनों पति पत्नी में से अगर कोई भी एक इंजन है तो जीवन की गाड़ी में ब्रेक नही लगेगा |

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    मेरा ये  स्तंभ जीवन मूल्य आपको कैसा लगा है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

Saturday, July 28, 2018

रिपोतार्ज , एक बड़ा हादसा होते होते टल गया

रिपोतार्ज , एक बड़ा हादसा होते होते टल गया
टना एक चौराहे पर की है | दोपहर के 1:00 बजे होंगे | एक आदमी पैदल चलता हुआ उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहा था के तभी दक्षिण दिशा की सड़क से  अचानक एक बोलेरोवाला  एक ट्रक को ओवरटेक करता हुआ निकला | जब तक पैदल चलता आदमी कुछ समझ पाता तब तक मैं बोलेरो उसके सामने थी | गरिमा तो यह रही कि बोलेरोवाले ने सही समय पर ब्रेक लगा दिया | जिससे एक बड़ा हादसा टल गया | पुख्ता जानकारी के मुताबिक वह आदमी पूरी तरह से सुरक्षित है |  उस बोलेरोगाड़ी एवं उसके चालक को  यातायात पुलिस ने ओवर स्पीड के लिए हिरासत में ले लिया था |

नोट :- रिपोतार्ज में की गई घटना का विवरण पूरी तरह से काल्पनिक है | इस घटना का संबंध किसी भी वास्तविक घटना से नहीं है |

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       मेरा ये रिपोतार्ज आपको कैसा लगा है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

व्यंग , मुफ्त की चाय

व्यंग , मुफ्त की चाय
मारे देश हिंदुस्तान में मुफ्त की चाय कोई नहीं छोड़ता | फिर चाहे कोई व्यक्ति अपने पैसे देकर किसी टी स्टाल पर चाय पी भी लें फिर भी अगर वही उसका दोस्त आकर उसे चाय पिलाई दो आदमी दोबारा मुफ्त की चाय पीने के लिए तैयार हो जाता है और पेट में दूसरी प्याली चाय के लिए जगह बनाने लगता है |

मेहमान नवाजी में चाय पिलाना यह हमारे देश की आम रवायत है | मगर कुछ लोग इसका नाजायज फायदा भी उठाते हैं | हमारे मोहल्ले में एक साहब हैं वह अपने दोस्तों के घर मेहमान बनकर जाते ही इसीलिए हैं कि मुफ्त की चाय पीने को मिल सके | और खुद के घर की चाय और शक्कर बची रहे | और हां पते की बात यह है क्यों वह साहब मेहमान बनकर जाते ही उन्हें दोस्तों के घर हैं , जिनके यहां गरम-गरम चाय पीने को मिलती है |

सबसे ज्यादा मुफ्त की चाय पीने की आदत सरकारी कर्मचारियों को होती है | मांग कर चाय पीते हैं |  कभी टेबल के ऊपर से तो कभी टेबल के नीचे से पीते हैं | मगर चाय पीते जरूर है | सरकारी कार्यालयों में तो आम जनता को चपरासी तक को चाय पिलाने पड़ती है ,  जिसे बाकायदा सरकारी कर्मचारियों को चाय पिलाने के लिए रखा गया है | खैर छोड़िए क्या किया जाए चाहे चीज ही ऐसी | मेरे भी चाय पीने का वक्त हो चला है , नमस्कार |

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       मेरा ये व्यंग आपको कैसा लगा है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

खुश रहना है तो संतोष करें


खुश रहना है तो संतोष करें
     मन का स्वभाव गतिमान है | जो कुछ पलों में हजारों मीलों का सफर तय कर सकता है ,  हजारों सपने देख सकता है | जब हम जागते हुए सपने देखते हैं तो इच्छाएं जागृत होती हैं और जब इच्छाएं पूरी नहीं हो पाती तो मन तुलनात्मक अंतर करने लगता है | उन लोगों से जिन्होंने हमारे जैसी ही इच्छाएं पूरी कर ली है |

    जिस तरह से समय का चक्र रुक नहीं सकता उसी तरह से हमारा मन भी तुलना करना बंद नहीं कर सकता | और जब तुलना हमारे पक्ष में नहीं होती तो मन में असंतोष जागृत होता है | असंतोष मानसिक तनाव को जन्म देता है | और तनाव दुखों को जन्म देता है |

    पेड़ के पत्तों पर आसमान से गिरती बूंदों का शहर ठहराव  बूंद के संतोष का प्रतीक होता है जो यह बताता है कि इस बिंदु में  धरती की सतह पर गिरकर मिट्टी में मिल जाने की चाहत नहीं है | मन की गतिशीलता को नियंत्रित करने के लिए यदि उसे संतोष का मार्ग दिखाया जाए तो कई तरह के मानसिक तनाव से निजात पाई जा सकती है | यदि मानव मन को संतोष प्राप्त हो जाए तो जीवन में खुशियों के लिए दरवाजे खुल जाते हैं |

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एक खबर पर

  
एक खबर पर
      दैनिक भास्कर सिंगरौली शनिवार 28 जूलाई 2018 यानी आज प्रकाशित इस खबर को पढ़ीये |
इसे पढ़ कर शायद आपको जरा सा सुकून मिले या हमारे देश की न्याय व्यवस्था पर यकीन बना रहे | इन फैसलों को बदलाव कि शुरुआत भी मान सकते हैं | मैं ये खबर पढकर खुश हूं क्योंकि अब हमारे भारत में बेटियों के गुनहगारों को उनकी अपराध की उचीत सजा मिलने लगी है और बहोत कम समय में मिलने लगी है | वरना कुछ समय पहले तक तो न्याय के नाम पर केस कि फाइलें बनती थी और कही गोदाम में दबा दी जाती थी और सजा के नाम पर गुनहगारों पर केवल मुकदमा दर्ज किया जाता था और सुनवाईयों पर सुनवाईया चलती रहती थी |

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एक घटना विशेष पर

एक घटना विशेष पर
घटना आज यानी 22 जून 2018 के दैनिक भास्कर सिंगरौली के सारा जहां पेज पर प्रकाशित हुई है |
कम्प्यूटर तकनीकी के इस दौर ने हमे सोशल मीडिया जैसा एक बहोत शक्तिशाली माध्यम दिया है जोकी आज नाम और धन अर्जन का साधन भी बन गया है , लेकिन आज नाम और धन पाने की चाहत में इंसान इंसानियत खो रहा है | जिस माध्यम को वरदान साबित होना चाहिए था वह अब कुछ मानों में अभिशाप साबित हो रहा है | हम सब एक दूसरे के दर्द को समझ सकते हैं इसीलिए तो हम मानव कहे जाते हैं | हम सब को जितना हो सके एक दूसरे की मदद करनी चाहिए | यही एक इंसान का दूसरे इंसान के प्रति कर्तव्य है |

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Thursday, July 26, 2018

सड़क सुरक्षा

सड़क सुरक्षा
प्रस्तावना :- यातायात का सबसे आसान एवं सबसे उपयोगी माध्यम है , ' सड़क माध्यम | यानी सड़क परिवहन | जब बात एक विकासशील देश की हो रही हो तो यातायात का यह माध्यम उस देश की रीड की हड्डी साबित होता है | ऐसे में अगर हमारी सड़कें शहद आवागमन के लिए सुरक्षित नहीं है तो राष्ट्र के विकास में बाधा आना तय है |

सड़क सुरक्षा के कुछ नियम :- हमारे राष्ट्र के परिवहन मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा के लिए कुछ नियम बनाए | यह कुछ नियम निम्नलिखित हैं -
पैदल चलने वालों के लिए निर्देश
(1)  सड़क को हमेशा ज़ेबरा क्रॉसिंग से पार करना चाहिए
(2)  ट्रैफिक रुक जाने के बाद ही सड़क पार करने की कोशिस करनी चाहिए
(3)  हमेशा अपनी साइड में चलना चाहिए

वाहन चालकों के लिए कुछ निर्देश
(1)  दोपहिया वाहन चालक एवं सवारी दोनों को हेलमेट लगाकर यात्रा करनी चाहिए
(2)  दोपहिया एवं चार पहिया वाहनों को ओवर स्पीड में नहीं चलाना चाहिए
(3)  चार पहिया वाहन चालकों को यात्रा हमेशा सीट बेल्ट लगाकर ही करनी चाहिए
(4)  नशे की अवस्था में या फिर नशा करके वाहन नहीं चलाना चाहिए
(5)  ट्रैफिक सिग्नल का पालन करना चाहिए
(6)  वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करना चाहिए

सड़क हादसों के कुछ प्रमुख कारण :- सड़क हादसों के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
(1)  यातायात के नियमों का पालन ना करना
(2)  वाहन चालकों द्वारा नशे की अवस्था में वाहन चलाना
(3)  वाहन चालकों द्वारा ऊपर स्पीड ( तेज रफ्तार ) में वाहन चलाना
(4)  दोपहिया वाहन चालकों द्वारा हेलमेट न लगाना
(5) जबरन सड़क पार करने की कोशिश करना
(6)  यातायात सुरक्षा विभाग का ढीला रवैया

उपसंहार :- सुरक्षित यातायात के लिए यह आवश्यक है कि हमें सड़क यातायात के लिए बनाए गए नियमों का पालन करना चाहिए | यदि हम इन नियमों का पालन करेंगे तो हमारी सड़क यात्रा सुरक्षित होगी वरना असुरक्षित | हमारे राष्ट्र की सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए हमारे देश के सड़क सुरक्षा विभाग को भी भ्रष्टाचार रहित होकर एक अहम भूमिका का निर्वाह करना होगा |

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मित्र को पत्र

मित्र को पत्र
प्रिय मित्र

    आशा करता हूं कि मैं तुम्हें अभी याद होऊंगा | मुझे उम्मीद है कि तुम पूर्ण स्वस्थ एवं सुरक्षित जीवन यापन कर रहे होगे तथा एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रहे होगे |

     मैं भी पूर्ण कुशलपूर्वक हूं और अभी अध्ययनरत हूं | बड़े दिन बाद आज अशोक से मुलाकात हुई तो विद्यालय की सभी यादें मन में ताजा हो गई | यह वही अशोक है जो लंबा सा पतला सा था और काले कलर का मोटा सा चश्मा लगाता था , वह भी चश्मा लगाता है | तुम्हें याद है मेरी तुम्हारी और अशोक की तिकड़ी के चर्चे पूरे विद्यालय में हुआ करते थे | मैं अभी कहां विद्यालय की बातें लिखने लगा | जबसे कक्षा आठ के बाद से तुमने विद्यालय छोड़ा था  तबसे तुमसे मिलना ही नहीं हुआ यार |  मुझे तुम्हारे नाम के अलावा और कुछ पता नहीं है तुम्हारे बारे में |

     तुमसे मिलने की आशा है मित्र | मुझसे मिलने की कोशिश करना | अपना और अपने माता-पिता का ख्याल रखना |

                                                                                                                     तुम्हारा मित्र

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Wednesday, July 25, 2018

लेख , मतदाता जागरूक तो मताधिकार सार्थक

लेख , मतदाता जागरूक तो मताधिकार सार्थक
 मारे देश में 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेने वाले हर व्यक्ति को एक समान रूप से बिना उसके धर्म , जाति , लिंग ,  संप्रदाय , जन्म स्थान  आदि का भेदभाव किये देश में होने वाले हर तरह के आम चुनावों में अपना मत देने का अधिकार प्राप्त है | यह अधिकार हमें हमारे देश के संविधान ने दिया | देश में होने वाले हर आम चुनावों में मत देना हमारा अधिकार भी है हमारा कर्तव्य भी है | यदि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु पूर्ण कर लेने वाले किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है तो वह अपनी पंचायत कार्यालय में जाकर अपना नाम जुड़वाने हेतु आवेदन कर सकता | मेरी जानकारी के अनुसार इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है |

अक्सर यह देखा जाता है कि चुनाव के दिन लोग वोट (मत) डालने नहीं जाते  बल्कि से छुट्टी का एक दिन समझ कर निवास पर ही रहते हैं या फिर कहीं भ्रमण पर निकल जाते हैं |  शहरों में यह हालात और भी आम बात है | ऐसा करने के बजाय अगर हम सब अपने अपने नजदीकी चुनाव केंद्रों में जाकर अपना मत दें तो एक सही सरकार चुनकर सरकार में आएगी | जिससे हमारे देश का विकास होगा | मत का उपयोग करना मैं समझता हूं कि हमारे देश के हर नागरिक की प्रथम जिम्मेदारी होनी चाहिए |

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    मेरी ये लेख मतदाता जागरूक तो मताधिकार सार्थक आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

स्तंभ दरार , तो समझो की पतन की शुरुआत हो गई

स्तंभ दरार , तो समझो की पतन की शुरुआत हो गई
  नाराजगी की वजह नाराजगी को जायज या नाजायज करार देने के लिए काफी है | मगर नाराजगी अगर 30 या गलतफहमी की वजह बन जाए तो यह हमारे रिश्ते के लिए खतरनाक साबित हो सकती है |

चाहे किसी भी रोग का कोई भी कितना भी बड़ा डॉक्टर क्यों ना हो वह तब तक सही इलाज नहीं कर सकता जब तक उसे बीमारी के बारे में पता ना चले या फिर बीमार स्वयं अपनी बीमारी के बारे में बताएं ना | अगर कोई आपसे नाराज है तो पहले उससे उसकी आपके प्रति नाराजगी की वजह जानने की कोशिश करें ,  फिर जब नाराजगी की वजह पता चल जाए तो उसे दूर करने की कोशिश करें |

ग़लतफ़हमियां अक्सर रिश्तो में लकड़ी में लगी घुन की तरह काम करते हैं | अगर समय रहते ही रिश्तो में लगी गलतफहमी के घुन को  साफ नहीं किया गया तो समझो कि  रिश्तो का पतन निश्चित है | और किसी गलतफहमी को दूर करने का सबसे कारगर तरीका यह है कि जिस इंसान के प्रति आप के मन में गलतफहमी है उससे उस मुद्दे या विषय को लेकर बात करें |

गलतफहमी और शक दोनों भाव बेहद समानता रखते हैं | जीवन में इन दोनों का प्रवेश एक खुशहाल जीवन को नर्क बना सकता है |

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       मेरी ये स्तंभ दरार तो समझो की पतन की शुरुआत हो गई आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

लघुकथा , उन्होंने चाट फेंका क्यों?

लघुकथा , उन्होंने चाट फेंका क्यों?
   मैं ठेले के किनारे दाई तरफ खड़ा था | ठेलेवाला खेले के मध्य में चार्ट बना रहा था | दो तीन बच्चे और उनकी मां ठेले के सामने  खड़े होकर चैट खा रहे थे ,  तभी कहीं से एक छोटा सा फटी जेब कहीं-कहीं छेद वाली शर्ट और एक अधजला सा पजामा पहने हुए बच्चा आया और उनसे कुछ खाने को देने के लिए कहने लगा | मैं बाजार अपनी नानी के साथ गया था और अब तक मेरी इतनी उम्र हो चली थी के मैं यह समझ गया कि वह बच्चा उनसे भीख मांग रहा था | वह कुछ देर हाथ फैलाकर उनसे मांगता रहा जब उन्होंने कुछ भी नहीं दिया तब वह हमारे पास आया  नानी ने उसे ₹2 दिए और वह मुस्कुराता हुआ चला गया |

बच्चे के जाते ही मैंने देखा कि उन बच्चों की मां ने तकरीबन एक आधी प्लेट चाट ना खा पाने के कारण  कूड़ेदान में फेंक दी | यह देख कर मैं यह सोचने लगा ' के आखिर उन्होंने जाट देखा क्यों ? '  उस बच्चे को ही क्यों नहीं दे दिया | जब वह बच्चा उनसे हाथ फैला कर कह रहा था - बहुत भूख लगी है कुछ खिला दो ' बाईजी | जब उन औरतों ने यह कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है ,  तब उस बच्चे ने कहा - ' जो खा रहे हो वही दे दो बाईजी |

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Monday, July 23, 2018

कहानी , टपकती छत

कहानी , टपकती छत
' क्या हाल है ? दयाल बाबू , रतन गुप्ता ने खैनी मलते हुए पूछा |  रतन गुप्ता गांव का सेठ था जो जरूरतमंद लोगों को उधार पर पैसा देता था और फिर उस पर ब्याज लगाकर दोगुनी रकम वसूल करता था | ' सब ठीक है रलन बाबू , दयाल बाबू ने जबाब दिया | 
घर आइए कुछ चाय पानी हो जाए ,
नहीं नहीं... अभी नहीं , दयाल बाबू जरा जल्दी में हूं बाद में चाय पी लूंगा |
दयाल बाबू के प्रस्ताव का खंडन करता हुआ  रतन गुप्ता अपने रास्ते चला गया |
रात को खाने की टेबल पर रूपमती ने बताया - ' घर की छत टपक रही है ' जब जब बरसात होती है घर का सारा फर्श गीला हो जाता है | मरम्मत करवाने की जरूरत है | ' रूपमती , दयाल बाबू की पत्नी हैं  और दयाल बाबू के इकलौते बेटे की मां | घर की मरम्मत करवाने वाली बात पर दयाल बाबू ने बिना कुछ कहे हां में सिर हिला दिया | दरअसल दयाल बाबू पत्नी से सच नहीं कह पाये |

बात यह हुई थी कि आज से 1 बरस पहले शहर से दयाल बाबू के नाम श्याम की एक चिट्ठी आई थी | चिट्ठी में लिखा था -  पापा मैं बीमार हूं , इस वक्त मेरे पास इलाज कराने के पैसे नहीं है पैसों का कोई और इंतजाम नहीं हो पा रहा है  और डॉक्टर बिना पैसों के मेरा इलाज नहीं कर रहे हैं | यदि आप किसी तरह से ₹50000 मेरे पास भेज देते तो मैं अपना इलाज करा लेता | ' श्याम , दयाल बाबू का इकलौता बेटा है , शहर में रहता है , वही शादी भी कर ली है | जैसे ही दयाल बाबू ने चिट्ठी में बेटे की बीमारी के बारे में पढ़ा अपनी सारी जमा-पूंजी निकाल ली लेकिन फिर भी ₹50000 में अभी भी ₹20000 कम पड़ रहे थे तो उस वक्त उन्होंने रतन गुप्ता से पैसे लेकर  बेटे को मनीआर्डर कर दिया | रूपमती को इस चिट्ठी और रतन गुप्ता से लिए उधार के बारे में दयाल बाबू ने कुछ भी नहीं बताया  Kick कर्ज और बेटे की बीमारी के बारे में जानकारी वह परेशान हो जाएगी |

तब से लेकर आज उस बात को 1 बरस बीत गया  बेटे की ना तो खैरियत की जानकारी देने वाली कोई चिट्ठी आई है और ना अब तक कर्ज वापसी के लिए दयाल बाबू के  बेटे से मदद के जबाब  कि कोई चिट्ठी आई | रतन गुप्ता दयाल बाबू को जब भी कहीं देखता है इसी तरह से हाल-चाल पूछ कर इशारों में पैसे मांगता है और ताने मार कर चला जाता है |

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