Sunday, January 16, 2022

असंपादित सत्य 02 , क्या सनातनी मुसलमान या स्वदेशी मुसलमान जैसी कोई चीज होती है ? और ये अल्लाह का इस्लाम मुल्ला का इस्लाम क्या है ? आइए चर्चा करें |


     पिछले दो तीन साल से जब से मैने इसमें रुचि ली है मै टीवी डिबेट में या फिर सोशल मीडिया पर अक्सर कुछ शब्द पढ़ता एवं सुनता रहता हूं जैसे सनातनी मुसलमान ,  स्वदेशी मुसलमान या अल्लाह का इस्लाम मुल्ला का इस्लाम आदि | यह सारे शब्द या यह लेख पढ़कर शायद कुछ लोग असहज महसूस करें तो मेरी उनसे गुज़ारिश है कि वो ये लेख आगे न पढ़े और यदि आप भी इन शब्दों को लेकर स्पष्टता चाहते हैं तो आगे पढ़े | आपका स्वागत है |


     जब मैने इसके बारे में पढ़ना और रिसर्च करना प्रारंभ किया तो मुझे कुछ हैरान करने वाले तथ्य पता चले जिसे मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं क्योंकि मुझे लगता है कि आप को भी यह लगता होगा की शायद यह सारे शब्द वाकई इसलाम में या इसलामी दुनिया में अस्तित्व में होंगे मगर ऐसा कुछ भी नहीं है इन सारे शब्दों का वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई संबंध नही है और ना ही इनकी कहीं कोई स्वीकार्यता है ये सारे शब्द कुछ लोगों ने अपने निजी स्वार्थ साधने के लिए बना रखें हैं और वो कौन लोग हैं मुझे लगता है कि आप भी ये जानते होंगे | इस लेख के माध्यम से मेरा मक़सद किसी के मन में किसी के लिए द्वेष पैदा करना नही है बल्कि सत्य को आगे लाना है |


     तो भगवान के लिए यह संशय अपने मन में मत रखिए , एक मुसलमान या तो मुसलमान है या नहीं है | अगर वह पैगम्बर साहब को पैगम्बर मानता है , अगर वह कुरान को पाक अल्ला की किताब मानता है तो वह मुसलमान है और अगर वह यह नही मानता तो वह मुसलमान नही है , इस्लाम और सारी इस्लामी दुनिया में यही स्वीकार्य है | और इसका कोई दुसरा विकल्प नहीं है |


     इस्लाम मे इंडोनेशियन मुसलमान , बांग्लादेशी मुसलमान , पाकिस्तानी मुसलमान जैसी कोई चीज नही होती और न ही इसाइ मुसलमान , यहूदी मुसलमान , सिख मुसलमान जैसी कोई चीज होती है तो ये सनातनी मुसलमान या स्वदेशी मुसलमान जैसी कोई चीज कैसे हो सकती है यह इस्लाम मे रहकर संभव ही नहीं है | और यदि आप इसकी सत्यता को स्वयं परखना चाहते हैं तो आप इसके लिए स्वतंत्र हैं |


     कृपया अल्लाह का इस्लाम मुल्ला का इस्लाम या फिर ये सनातनी मुसलमान या स्वदेशी मुसलमान इस तरह के भ्रम अपने मन एवं बुद्धि में न पाले | इस्लाम एक है और मुसलमान भी एक ही है जिसका सबसे बड़ा भुक्तभोगी हजार साल से भारत है | अब डिजिटल क्रांति की वजह से इस्लाम और मुसलमान को लेकर जो स्पष्टता भारत के सनातनीयों में आ रही है कृपया इसे फिर गुमराह ना करें | 


     सत्य को सत्य की तरह ही पढ़ना , लिखना , देखना , बोलना एवं समझना चाहिए और यदि हम ऐसा नही कर पा रहे हैं या किसी स्वार्थ के कारण ऐसा नही कर रहे हैं तो मुझे लगता है कि हम अपराध कर रहें हैं ना केवल अपने साथ अपितु अपने पूरे राष्ट्र के साथ |


Thursday, January 13, 2022

असंपादित सत्य 01 , भारत का नवीन नारीवाद और उसकी नारी |


     भारत एक ऐसा देश जो कृषि प्रधान तो है ही साथ ही साथ नारी प्रधान भी है | नारी प्रधान मै इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इस राष्ट्र के कोने-कोने में नारी के प्रभाव की छाप मिलती है , हिन्दू धर्म में नारी के हर रुप की पुजा की जाती है चाहे वह बेटी के रुप में हो या मां के रुप में | अगर यह अतिशयोक्ति न हो तो हर भारतीय के लिए भारत एक जमीन का टुकडा न होकर उसकी मातृभूमि है उसकी भारत माता है |


     जितना मेरा अध्ययन है महिलाओं को शोषण से बचाने और उनके सभी तरह के नागरिक और मानवीय अधिकारों की बात करना मूल रुप से नारीवाद माना जाता है | यू तो नारीवाद मूलत: पश्चिम की विचारधारा है क्योंकि उनके समाज में एक बहुत बड़े कालखण्ड में महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता रहा है और वह आज भी हो रहा है जैसे उदाहरण के लिए अनेक युरोपियम देशों में महिलाओं के साथ बलात्कार को सामान्य सी घटना समझा जाता है और इस पर आधुनिकीकरण का पर्दा डाले रखा गया है | 


     यदि हम भारत की बात करें तो प्राचीन भारत महिलाओं के अनेकों योगदानों से भरा पड़ा है जिसमें महिलाएं लेखन , शिक्षा , तपस्या , व्यापार , रक्षा , अनुसंधान , सेवा आदि हर क्षेत्र में उत्कर्ष पर रही हैं | मगर बीच के इसलामीक आक्रमण के कालखण्ड में महिलाओं के इस चेतना का हास हुआ जिसे आज के भारत में यह समझा जाने लगा है कि भारत सदैव से ऐसा ही था इसीलिए रेप इन देविस्तान जैसी बातें कही जाती हैं | आज के भारत में नारी की जो मूल समस्याए हैं वो है अच्छी शिक्षा , स्वास्थ्य , वित्तीय आत्मनिर्भरता , रोजगार के समान अवसर , जागरुकता आदि | मगर आज भारत की नारीवादी महिलाओं के लिए यह मुद्दे गौण हैं उनके लिए नारीवाद का मतलब हो गया है कपडे न पहनना या छोटे पहनना या बड़े पहनना , शादीशुदा होते हुए भी गैर मर्दों से संबंध बनाने की समाज में स्वीकार्यता लाना या चरमसुख की प्राप्ति के लिए अधिक से अधिक पुरुषों से संबंध बनाने की स्वीकार्यता पाना , पुरुषों की अंधी बराबरी करना आदि | 


     जिस देश की करोड़ों की आबादी गरीबी रेखा से नीचे हो जिनके पास दो वक्त का भोजन भी सरकार के अनुदान पर हो , महिलाओं में अशिक्षा , संवैधानिक और कानूनी जागरुकता का आभाव  , महिला आधारिक स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव हो उस देश की नारीवादी महिलाओं के ऐसे विषय न केवल हास्यास्पद हैं बल्कि भारतीय नारीवाद पर भी सवाल खड़े करते हैं | सबसे पहले तो यही की क्या भारत में नारीवाद सही पथ पर है? और क्या इसके विषय वास्तव में समस्त भारत की नारियों के लिए प्रासंगिक है? आदि |


     मुझे निजी तौर पर किसी भी नारीवादी महिला या पुरुष के किसी भी विचार से कोई आपत्ति नही है यह उनकी निजी प्राथमिकता हो सकती है और वह उन विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए स्वतंत्रत हैं | मेरा आशय समस्त भारतीय नारीवादी परिचर्चा से है जो स्वयं को नारी के बेहतरी के लिए सार्थक होना चाहता है |