Showing posts with label लघुकथा. Show all posts
Showing posts with label लघुकथा. Show all posts

Thursday, October 1, 2020

अप्रकाशित सत्य 7 , चीन का पुरा सच , चीन पडो़सी देश या जमीन माफिया |


     चीन के बारे में हम जो बातें जानते हैं उनमें से कुछ यू हैं कि जीन दुनियां का तीसरा सबसे बडा़ देश है , चीन दुनियां कि सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है , चीन दनियां का सबसे ज्यादा लगभग 14 पडो़सी देशों वाला देश है मगर इसके अलावा कुछ तथ्य और भी हैं जिन्हें हम नही जानते या कम जानते हैं जैसे चीन का सीमा विवाद अपने सभी पडो़सी देशों से चल रहा है , चीन ने दुनियां के लगभग 6 आजाद देशों पर कब्जा कर रखा है , चीन में दुनियां में सबसे ज्यादा मानवाधिकार का उलंघन होता है मगर उसकी खबर दुनियां तक नही पहुंच पाती क्योंकि चीन में बाहरी दुनियां में प्रचलित कोई भी सोसल मिडिया नही चलता और चीन में कोई भी अंतराष्टीय न्युज एजेंसी चलती | 


     चीन को जमीन माफिया कहा जाता है वजह यही है कि चीन ने अपने आस पास के सभी आजाद देशों पर बल पुर्वक कब्जा कर लिया है | चीन ने सबसे पहले मंचूरिया पर कबजा किया था | इससे पहले आपने शायद मंचूरियन नामक एक चाइनीज डिश ही सुनी होगी मगर यह एक देश का नाम है | 1945 तक मंचूरिया पर सोवियत रुस का कब्जा था पर 1946 में सोवियत रुस ने मंचूरिया को चीन को दे दिया तबसे लेकर आज तक चीन ने मंचूरिया कि संस्कृति , सभ्यता तथा जनसांख्यिकी को बदल दिया है पर अब मंचूरिया के युवाओं में आदाजी के प्रती गागृति आई है और आजादी की मांग उठने लगी है |


     तुर्किस्तान का पुर्वी हिस्सा या पुर्वी तुर्किस्तान जिसे आज चीन शिनजियांग प्रात कहता है को चीन ने 1949 में अपनी सेना भेजकर बल पुर्वक कब्जे में लिया था | यहां के निवासी उड्गर मुस्लिम हैं जिन्हे चीन आज जबरन राहत सिविरों में बल पुर्वक रखता है और उन्हे उनका धर्म मानने कि आजादी नही है और चीन उनकी मजहबी किताब कुरान-ए-पाक का भी चीनी संस्कृति के हिसाब से पुन:लेखन करवा रहा है |


      भारत और नेपाल कि सीमा से सटे तिब्बत को चीन ने 1951 में भारत की सहायता से बल पुर्वक कब्जे में ले लिया था | उस समय के भारत के तत्कालिन प्रधानमंत्री जबाहर लाल नेहरु ने अपनी अदूरदर्शिता और चीन पर अत्याधिक विश्वास करते हुए तिब्बत पर कब्जा करने आए चीनी सैनिकी को खाने के लिए चावल देकर मदद कि थी जिसका खामयाजा यह हुआ कि तिब्बत जो भारत एवं चीन के बीच मध्य देश की भुमिका निभा सकता था अब वह नही रहा और यही वजह है कि 1962 के चीन भारत युद्ध में चीनी सेमाएं आसानी से भारतीय क्षेत्र में आगई और अक्साई चीन पर कब्जा कर लिया |


     चीन के कब्जे का सिलसिला अभी तब भी चल रहा था जब भारत में सत्ता का हस्तांतरण हो रहा था | चीन ने दुसरे विश्व युद्ध के बाद दक्षिणी मंगोलिया या जिसे इनर मंगोलिया कहा जाता है पर सैनिक कब्जा कर लिया | लगातार जनसांख्यिकी बदलाब एवं सास्कृतिक दमन के बाद अब चीन ने इस हिस्से मे यहां कि मुल भाषा मंगोल पर रोक लगा दी है और यही वजह है कि यहां के लोग अब कम्मुनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना कि सरकार से आजादी चाहते हैं |


     हॉन्गकॉन्ग पर 1992 से पहले ब्रिट्रेन का शासन था पर 1992 में ब्रिट्रेन ने चीन को हॉन्गकॉन्ग इस शर्त पर दे दिया कि चीन 50 वर्षों तक हॉन्गकॉन्ग को स्वतंत्र रहने देगा और केवल संरक्षक कि भुमिका में रहेगा मगर पिछले वर्ष चीन ने एक कानुन बनाकर हॉन्गकॉन्ग पर पुर्ण नियंत्रण करने कि कोशिश की और इस वर्ष कर भी लिया यही वजह है 2019 से लेकर अब तक हॉन्गकॉन्ग में चीन विरोधी प्रदर्शन जारी है |


     मकाउ को 1999 में पुर्तगालीयों ने चीन को हॉन्गकॉन्ग कि तरह ही 50 वर्षों के स्वतंत्रता समझौते के तहत सौपा था मगर चीन ने मकाउ का भी वही हाल बना दिया है जो उसने हॉन्गकॉन्ग का बनाया है | और यहां कि जनसंख्या में भी चीन के खिलाफ रोष है |


     चीन ने 1962 में भारत पर हमला कर दिया और जबाहर लाल नेहरु की अगुवाई वाली त्तकालिन भारतीय सरकार में आपसी मतभेद तथा युद्ध में वायु सेना का उपयोग न करने के निर्णय का परिणाम यह हुआ कि भारत चीन से युद्ध हार गया और 38 हजार स्क्वायर किलोमीटर का अक्साई चीन जो लद्दाख का बहोत बडा़ हिस्सा है चीन के कब्जे में चला गया जिस पर आज भी चीन का अबैध कब्जा है | यही नही 1963 में पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर जिसे हम पाकिस्तान अधिकृत कशमीर कहते के 5180 स्क्वायर किलोंमीटर के हिस्से को चीन को  युद्ध के डर से उपहार स्वरुप दे दिया | इसी के साथ आज चीन का भारत की 43180 स्क्वायर किलोमीटर भुमि पर अबैध कब्जा है जिसे वापस प्राप्त करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है और निरंतर प्रयासरत है |


     अपनी विस्तारवादी मानसिक्ता के चलते चीन अपने हर एक पडो़सी देश का दुश्मन है और भारत समेत हर छोटे-बडे़ पडो़सी देश के लिए खतरा है | यही कारण है कि आज चीन का भारत , रुस , जापान , ताइवान , वियतनाम , मंगोलिया , तुर्किस्तान , दक्षिण कोरिया , आस्ट्रेलिया समेत 22 देशों से सीमा विवाद चल रहा है | चीन केवल अपने पडो़सी एवं विरोधी देशों के लिए ही खतरा नही है बल्की वह उसके मित्र कहे जाने वाले देशों के लिए भी खतरा है | पाकिस्तान में चीन पाकिस्तान इकोनामिक गलियारे के नाम पर ग्वादर शहर पर कब्जा कर लेने के बाद चीन अब नेपाल के सैकडो़ गावों पर भी कब्जा कर रहा है | ताजा खबरों के अनुसार इसी के विरोध में नेपाली राष्ट्रवादी लोग नेपाल में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं | अब समय आ गया है की चीन के सताए हुए सभी राष्ट्र एकजुट होकर चीन का सामना करें तथा अपनी स्वतंत्रता कि रक्षा करें और चीन के कब्जे में फसे देशों को आजाद कराएं |


Wednesday, July 25, 2018

लघुकथा , उन्होंने चाट फेंका क्यों?

लघुकथा , उन्होंने चाट फेंका क्यों?
   मैं ठेले के किनारे दाई तरफ खड़ा था | ठेलेवाला खेले के मध्य में चार्ट बना रहा था | दो तीन बच्चे और उनकी मां ठेले के सामने  खड़े होकर चैट खा रहे थे ,  तभी कहीं से एक छोटा सा फटी जेब कहीं-कहीं छेद वाली शर्ट और एक अधजला सा पजामा पहने हुए बच्चा आया और उनसे कुछ खाने को देने के लिए कहने लगा | मैं बाजार अपनी नानी के साथ गया था और अब तक मेरी इतनी उम्र हो चली थी के मैं यह समझ गया कि वह बच्चा उनसे भीख मांग रहा था | वह कुछ देर हाथ फैलाकर उनसे मांगता रहा जब उन्होंने कुछ भी नहीं दिया तब वह हमारे पास आया  नानी ने उसे ₹2 दिए और वह मुस्कुराता हुआ चला गया |

बच्चे के जाते ही मैंने देखा कि उन बच्चों की मां ने तकरीबन एक आधी प्लेट चाट ना खा पाने के कारण  कूड़ेदान में फेंक दी | यह देख कर मैं यह सोचने लगा ' के आखिर उन्होंने जाट देखा क्यों ? '  उस बच्चे को ही क्यों नहीं दे दिया | जब वह बच्चा उनसे हाथ फैला कर कह रहा था - बहुत भूख लगी है कुछ खिला दो ' बाईजी | जब उन औरतों ने यह कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है ,  तब उस बच्चे ने कहा - ' जो खा रहे हो वही दे दो बाईजी |




       मेरी ये लघुकथा आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |