जिस तरह से समय का चक्र रुक नहीं सकता उसी तरह से हमारा मन भी तुलना करना बंद नहीं कर सकता | और जब तुलना हमारे पक्ष में नहीं होती तो मन में असंतोष जागृत होता है | असंतोष मानसिक तनाव को जन्म देता है | और तनाव दुखों को जन्म देता है |
पेड़ के पत्तों पर आसमान से गिरती बूंदों का शहर ठहराव बूंद के संतोष का प्रतीक होता है जो यह बताता है कि इस बिंदु में धरती की सतह पर गिरकर मिट्टी में मिल जाने की चाहत नहीं है | मन की गतिशीलता को नियंत्रित करने के लिए यदि उसे संतोष का मार्ग दिखाया जाए तो कई तरह के मानसिक तनाव से निजात पाई जा सकती है | यदि मानव मन को संतोष प्राप्त हो जाए तो जीवन में खुशियों के लिए दरवाजे खुल जाते हैं |
मेरा ये स्तंभ खुशमिजाजी आपको कैसा लगा है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
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