मैं ठेले के किनारे दाई तरफ खड़ा था | ठेलेवाला खेले के मध्य में चार्ट बना रहा था | दो तीन बच्चे और उनकी मां ठेले के सामने खड़े होकर चैट खा रहे थे , तभी कहीं से एक छोटा सा फटी जेब कहीं-कहीं छेद वाली शर्ट और एक अधजला सा पजामा पहने हुए बच्चा आया और उनसे कुछ खाने को देने के लिए कहने लगा | मैं बाजार अपनी नानी के साथ गया था और अब तक मेरी इतनी उम्र हो चली थी के मैं यह समझ गया कि वह बच्चा उनसे भीख मांग रहा था | वह कुछ देर हाथ फैलाकर उनसे मांगता रहा जब उन्होंने कुछ भी नहीं दिया तब वह हमारे पास आया नानी ने उसे ₹2 दिए और वह मुस्कुराता हुआ चला गया |
बच्चे के जाते ही मैंने देखा कि उन बच्चों की मां ने तकरीबन एक आधी प्लेट चाट ना खा पाने के कारण कूड़ेदान में फेंक दी | यह देख कर मैं यह सोचने लगा ' के आखिर उन्होंने जाट देखा क्यों ? ' उस बच्चे को ही क्यों नहीं दे दिया | जब वह बच्चा उनसे हाथ फैला कर कह रहा था - बहुत भूख लगी है कुछ खिला दो ' बाईजी | जब उन औरतों ने यह कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है , तब उस बच्चे ने कहा - ' जो खा रहे हो वही दे दो बाईजी |
मेरी ये लघुकथा आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |
No comments:
Post a Comment