शुक्रवार, 15 मार्च 2019

लेख, कल्पना और ज्ञान में क्या अंतर है

    दरअसल ज्ञान और कल्पना एक ही सिक्के के दो पहलू जैसे प्रतित होते हैं | दोनों में से कोन बड़ा है ये कहना मेरे लिए बड़ा ही कठिन है |

     ये कहने के पीछे की ज्ञान और कल्पना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं मेरा एक तर्क हैं | मुझे ये लगता है कि ज्ञान के होने के पीछे हमारी कल्पनाओं का ही योगदान हैं यदि हम किसी चीज को देखकर उसके बारे में कल्पना नही करते तो मन में जिज्ञाशा नही पैदा होती और यदि जिज्ञाशा नही होती तो हम न तो किसी चीज के बारे में जानने की कोशिश करते और न जान पाते

     इसे मै इस तरह से कहता हूं कि अगर किसी ने ऐसे किसी यंत्र की कल्पना नही कि होती कि जिससे एक स्थान पर रह रहा आदमी किसी दूसरी जगह रह रहे आदमी से बात करले तो शायद हमे कभी टेली फोन नही मिलता अगर किसी इंसान ये कल्पना नही की होती कि हम परिंदो की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़कर जाए तो कभी शायद हमे हवाई जहाज नही मिलता और ना ही हम अब तक इसके बारे में कुछ भी जानते |

     तो कल्पना को आविष्कार और ज्ञान दोनों कि जन्मदाता कह सकते हैं |

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    इस लेख को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

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