Sunday, January 20, 2019

लेख, इतिहास को छेड़ने के सन्दर्भ में

     अगर कोई समाज तरक्की की राह पर चलता है तो उस समाज की तरक्की में एक दो नही बल्की कई पीढ़ी का योगदान होता है और हर योगदान का महत्व समय की किताब में भी है और इंसानी किताबो में भी |

    इतिहास का लेखन हो चुका है तो उसे किसी के भी जरिए किसी भी तरह से और किसी भी स्वार्थ की सफलता के लिए बदला नही जा सकता मगर इतिहास को पढ़ने का तरीका बदला जा सकता है मसलन अगर किसी को किसी जती विशेष को खुला करना है तो वह उस जाती विशेष के इतिहास को बढा चढ़ा कर प्रस्तुत करेगा | ये ख़ासियत अक्सर राजनीति में देखी जा सकती है |

    स्वार्थ साधना में इतिहास का उपयोग अनुवाद के रुप में भी होता है | अपने नीजी हीतोॉ के लिए कोई अनुवादक किसी विशेष भाषा के इतिहास के उन पन्नों को अनुवादित करता है जो उसे आर्थिक या सामाजिक रुप से समाज में कोई विशेष स्थान या ख्याति दिला सके |

     अब तो फिल्मों एवं टीवी सीरियलों में भी निर्माताओं में इतिहास को उपयोगी बनाने की होड सी लग गयी है और हर निर्माता निर्देश इतिहास को अपने तरीके से बदल रहा है और इस बदलाव को रचनात्मक का चोला ओढा दिया जाता है | इसका हालिया उदाहरण फिल्म पद्मावत के रुप में देखा जा सकता है |

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    इस लेख को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |  द्वारा भीम

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