Thursday, March 28, 2019

व्यंग, हमारे चौकीदार अंकल प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं


    सबसे पहले तो मुझसे उन्होंने यही कहते हुए बात करना शुरू किया कि 'मै चोर नही हूं , सारे चौकीदार चोर नही होते | तो मैने उनके मन के भाव समझकर उन्हें दिलासा देते हुए कहा के हमे आप पर पुरा भरोसा है आखिर आप कई बरस से हमारे मोहल्ले की चौकीदारी कर रहे हैं और आपके रहते कोई दस हजार करोड़ तो क्या दस रुपये तक लेकर नही भाग पाया है |

      थोडा बहोत हंसी ठिठोली का माहौल बना तो चौकीदार अंकल ने कहा के मै भी प्रधानमंत्री बनना चाहता हूँ और हम सब खिलखिला कर हंस पड़े और वो भी मुस्कराते रहे |

    लेकिन जब मै घर आया तो सोचने लगा के चौकीदार अंकल के जुमले में दम तो है | जब प्रधानमंत्री , प्रधानमंत्री होकर चौकीदार बन सकते हैं तो आखिर एक चौकीदार प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकता और इनके पास तो चौकीदारी का अनुभव भी है शायद अब और कोई दस बारह हजार करोड़ लेकर फिर न भाग जाए |

    गरीबी , बेरोजगारी , जनसंख्या बुद्धि , किसान आत्महत्या , दहेज , कन्या भ्रूण हत्या जैसी विसाल समस्याओं का निवारण कर सके जो हमारे देश का विकास कर सके ऐसा व्यक्ति हमारे देश का प्रधानमंत्री होना चाहिए |

व्यंग, EVM पुराण


   'आज बहस छिड़ गई , इस बात को लेकर कि EVM हैक हो सकती है या नहीं? क्योंकि मुझे चुनाव आयोग पर पुरा भरोसा है इसलिए मै उन दोस्तों के साथ था जो यह कह रहे थे की EVM हैक नही हो सकती है | क्योंकि मेरे सारे दोस्त और मै हम सब कम्प्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग के विद्यार्थी हैं तो EVM कैसे हैक हो सकती है सब के अपने अपने विचार थे | विचार से याद दिलाना चाहूंगा के चुनाव होने के दौरान आचार संहिता नामक कुछ चीज भी लागू होती है ऐसा हमारे देश में कुछ नेताओ को चुनाव हारने के बाद पता चलता है

    खैर EVM हैक करने के लिए किसी ने कहा कि हर बटन के कोड को डिफॉल्ट सेट किया जा सकता है किसी ने कहा डेटा बेस को एक ही फिल्ड स्टोरेज के लिए लॉक किया जा सकता है किसी ने कहा साफ्टवेयर को एक्सटर्नली कंट्रोल किया जा सकता है और भी इसी तरह के सुझाव बहस में शामिल होते रहे | क्योंकि सब के सब कंप्यूटर के विद्यार्थी इसीलिए सारे सुझाव कंप्यूटर की टेक्नोलॉजी पर ही थे |

   'पर तभी किसी दोस्त ने कहा , कि EVM बनाने वालों को भी तो हैक किया जा सकता है और अपने काम लायक EVM बनवाई जा सकती है | ये बहस में एक नयी बात थी और एक ऐसी बात भी जिस पर कोई कुछ कह ही नही पाया और बहस का अंत भी प्याली में चाय के अंत के साथ होगया |

    मगर सोचने वाली बात तो ये है कि ये जो EVM पुराण है इसे हारने बाले दल कब तक गाते रहेंगे और आम आदमी का ध्यान आधारभूत समस्याओं से भटकाते रहेंगे कब तक आखिर कब तक जनता जबाब चाहती है |

Friday, March 15, 2019

लेख, कल्पना और ज्ञान में क्या अंतर है

    दरअसल ज्ञान और कल्पना एक ही सिक्के के दो पहलू जैसे प्रतित होते हैं | दोनों में से कोन बड़ा है ये कहना मेरे लिए बड़ा ही कठिन है |

     ये कहने के पीछे की ज्ञान और कल्पना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं मेरा एक तर्क हैं | मुझे ये लगता है कि ज्ञान के होने के पीछे हमारी कल्पनाओं का ही योगदान हैं यदि हम किसी चीज को देखकर उसके बारे में कल्पना नही करते तो मन में जिज्ञाशा नही पैदा होती और यदि जिज्ञाशा नही होती तो हम न तो किसी चीज के बारे में जानने की कोशिश करते और न जान पाते

     इसे मै इस तरह से कहता हूं कि अगर किसी ने ऐसे किसी यंत्र की कल्पना नही कि होती कि जिससे एक स्थान पर रह रहा आदमी किसी दूसरी जगह रह रहे आदमी से बात करले तो शायद हमे कभी टेली फोन नही मिलता अगर किसी इंसान ये कल्पना नही की होती कि हम परिंदो की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़कर जाए तो कभी शायद हमे हवाई जहाज नही मिलता और ना ही हम अब तक इसके बारे में कुछ भी जानते |

     तो कल्पना को आविष्कार और ज्ञान दोनों कि जन्मदाता कह सकते हैं |

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स्तंभ दरार, प्यार के लिए सबसे जरुरी चीज ये है

     यू तो प्यार से खुबसुरत चीज इस दुनिया में कोई हो ही नहीं सकती ना है | क्योंकि अगर आपके जीवन में प्यार है तो आपका जीवन चाहे जिन भी हालातो से होकर गुजरे आप हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं |

     अगर आप अपने प्यार को हमेसा के लिए बरकरार रखना चाहते हैं तो मेरी एक बात गांठ बांध लीजिए, ‘अपने प्यार का भरोसा कभी मत तोडिए और अपने प्यार पर भरोसा कीजिए' | ये बातें सबसे ज्यादा जरुरी है |

     अगर आपको कभी अपने प्यार की वफादारी और इमानदारी पर शक होता है तो सुनी सुनाई बातों मे आकर गलत फैसले करने से पहले मामले की भली भाँति जांच पडताल करलें और मुनासिब होगा की अपने प्यार से भी आमने सामने की बात करलें ताकि किसी भी फैसले को लेकर आपको बाद में पछताना ना पड़े | ये ध्यान रखे की गलतफहमीयों का टुटना दिल और घर टूटने से बचाने के लिए बेहद जरुरी है |

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स्तंभ जीवन मूल्य, दुखों से बचने का तरिका क्या है

      दुःखो का उदासी से बड़ा पुराना रिश्ता है | बस यू समझिए की दुःखों की शुरुआत की वजह ही उदासी है | जब कोई काम हमारे पसंद का नही होता तो हम उदास होते हैं मतलब दुःखी होते हैं |

       अगर अपने दुखों से बचना चाहते हैं तो उदास होना छोड़ दीजिए | चाहे आपके जीवन में कुछ भी हो उदास मत रहीए | जैसे कि मैने पहले भी कहा है असफलता कभी हार नही होती बल्कि बेहतर बनने की सिख होती है | चाहे बेमन का काम कर रहे हो या जीवन जी रहे हो उदास होकर दुखी होने से बेहतर है की उसे बेहतर एवं अपने मन लायक बनाने कि कोशिश करें |

    खुद को दुःखो से दुर रखना है तो खुद को खुश रखिए | या खुद को खुश रखने की कोशिश करिए दुःखो का साया आपके जीवन से खुद ब खुद हट जाएगा | हर दर्द का अंत होता है और हर रात की एक सुबह होती ही है यही जिंदगी है |

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लेख, इतिहास में सबसे बड़ा दानी कौन

      हमारे भारत भूमि को परोपकार की भूमि कहा जाता है | यू तो मैं ने कई दानवीर राजाओं के बारे में सुना हैं मगर यहां मैं केवल दानवीर कर्ण का उल्लेख करना चाहूंगा |

        जितना मैं ने पढ़ा है, सुना है और टीवी सीरियलों के माध्यमों से देखा है उतना मै आपको दानवीर कर्ण के बारे मे विस्तार से बता रहा हूं :-

      कर्ण पांडवों की मां यानी कुंती के पहले बेटे थे जिन्हें माता कुंती ने अपने विवाह से पहले ही जन्म दिया था | कर्ण के जन्म के बाद समाज में बदनाम होने के भय से कर्ण को जल में प्रवाहीत कर दिया था |

      जल में प्रवाहीत कर्ण को एक किसी गरीब वंचित वर्ग के लोगों ने पाया एवं उन्हीं में से एक दंपति ने कर्ण का लालन पालन किया | फिर कर्ण जब बहे हुए तो उन्होने परमवीर परशुराम से युद्ध कौशल सिखा |

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स्तंभ जीवन मूल्य, कड़ी मेहनत के बाद भी असफल क्यों होते हैं

     मुझे लगता है कि असफलता आपको कभी कमजोर नही बनाती बल्कि हर बार आपको आपके पीछे मिले अनुभव से कुछ बेहतर बनाती है | असफल होने का बिलकुल भी ये मतलब नही है कि आप हार गए हैं बल्कि ये मतलब है कि जो आपसे जीता है वो आपसे ज्यादा बेहतर है और आपको भी अगर जीतना है तो जो जीता है उससे बेहतर होना पड़ेगा |

     सच पुछीए तो असफलताएं हमेशा इंसान के भले के लिए ही होती हैं अब इंसान चाहे उसे कुछ भी समझे और जो चीज आपकी बेहतरी के लिए है उससे डरना कैसा |

    आप एक ही सुरत में असफलताओं से डर सकते हैं अगर आप कड़ी मेहनत करने से डरते हैं तो , वरना जो मनुष्य कड़ी मेहनत से नही डरता उसके लिए कोई असफलता ईतनी बड़ी हो ही नही सकती की बह अपने उद्देश्य में सफल न हो पाए |

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संस्मरण, स्कूल के दिन

    ज़िन्दगी कभी अगर यू हो जाती की हम जब चाहते तब अपने बीते हुए कल में चले जाते और जब चाहते तब आने वाले कल में चले जाते तो मैं अपने स्कूल के दिनों में वापस जाना चाहूंगा |

     मुझे मेरे स्कूल के दिनों की कई बातें याद आती हैं मुझे सबसे बड़ी तो यह है कि मुझे उस वक्त मेरी पढाई बोझ नही लगती थी बल्कि उस वक्त तो पढना बेहद भाता था | आज तो ये हो गया है कि केबल अच्छे नंबर हासिल करने के लिए इल्जाम के आखिरी महीनों में पढाई होती है | जब लंच टाइम होता था सब एक साथ बैठकर और बाटकर खाना खाते थे, आपस में खूब लडते और फिर दोस्त बन जाते थे |

      और सबसे बड़ी बात ये है कि मैं छुट्टी के दिनों को छोड़कर रोज स्कूल जाया करता था और बेहद खुशी से जाया करता था | और आज महीने में एक दिन कॉलेज जाना भी इतनी बड़ी बात हो गयी है कि जैसे हिमालय चढना हो |

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लेख, हर चीज का जानकार नही समझदार बनो


   कोई इंसान सब कुछ जानले ये किसी इंसान के लिए नामुमकिन है इस दुनियां में हर चीज केवल ईश्वर जान सकते | एक इंसान हर चीज जान पाए ये संभव हो या ना हो मगर एक इंसान बहोत कुछ जान सकता है |

         ये दुनियां इतनी विभिन्नओ से भरी है | इतना बड़ा जनसंख्या घनत्व है इतने सारे देशों का भूत वर्तमान इतने विषय मनोरंजन खेल व्यापार आदी कि ये सब कुछ एक माया जाल के जैसा लगता है |

     जानकार और समझदार होने में फर्क होता है | जानकार इंसान केवल एक या दो विषय का हो सकता है मगर समझदार इंसान तो कई विषयों का हो सकता है | इसलिए जरुरी ये है कि हर चीज जानने से ज्यादा हर चीज समझने की कोशिश करें |

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Sunday, January 20, 2019

स्तंभ जीवन मूल्य, हर रिश्ते को बराबर समझना जरुरी है

    इसका जबाब तो यू दिया जा सकता है कि बेटे की शादी के बाद हर मां को अपने बेटे से ये शिकायत होती है कि उनका बेदा अब उन्हें पहले जितना प्यार नही करता अब तो वह पत्नी के इशारों पर चलता है |

    इसका मतलब ये है कि हर मां को यह लगता है कि उनका बेटा केवल एक ही रिश्ते को ज्यादा महत्व दे रहा है बाकी रिश्तों को कम |

    ये तो सर्वथा सत्य है कि अगर आप तराजू के केवल एक ही पलडे पर वजन रखेंगे तो दुसरा पलडा एक तरफा उठ जाएगा ऐसी स्थिति में संतुलन हो पाना नामुमकिन है | अगर आप संतुलन चाहते हैं तो आपको दोनों पलड़ो में बराबर वजन रखना पड़ेगा |

    यही सत्य रिश्तों की कसौटी पर भी आरोपित होता है | एकतरफा मोह अक्सर नाराजगी की वजह बनता है | अगर जीवन में संतुलन चाहिए तो हर रिश्ते को बराबर समय एवं प्यार देने की जरुरत है |

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स्तंभ खुशमिजाज़ी, प्यार में सब कुछ जायज नही होता

   एक बहुत पुरानी कहावत है जिसे आपने अक्सर सुना होगा, ‘प्यार अंधा होता है ‘ | मै ये मानता हूं कि प्यार अंधा हो ही नही सकता क्योंकि जो प्यार अंधा हो जाए वह प्यार प्यार नही स्वार्थ होता है |

    एक और मिथ्या कहावत है कि, ‘प्यार और जंग में सब कुछ जायज है ‘| मगर सब कुछ जायज नही है | अक्सर ये होता है की प्यार में लोग इस हद तक चले जाते हैं की खुद का एवं अपने प्रेमी का शारिरीक एवं मानसिक नुकसान करते हैं चाट पहुंचाते हैं कानून हाथ में ले लेते हैं जिसे किसी भी तरह से जायज नही ठहराया जा सकता है |

    प्यार का असली मक़सद खुशीयां बांटना है किसी और की खुशीयां छीनना नही है | अगर आपको ऐसे किसी इंसान से प्यार हो जाए जो पहले से ही किसी और के साथ रिश्ते में है तो उसे अपनी दिल की बात बताने से पहले दस बार ये जरूर सोचे की आपके बताने के बाद उसकी जिंदगी पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा |

   यदि आपने अपने दिल की बात कह दी है और दूसरी तरफ से आपके लिए जबाब ना में आता हैं तो आप किसी भी तरह से अपने प्रेमी पर अपना प्यार थोपने की कोशिश ना करें | प्यार में हमेसा अपने स्वार्थ से उपर उठाकर सोचे |
   प्यार बहोत खुबसुरत है | प्यार को प्यार के नाम पर बदनाम ना करें | प्यार को महसूस करें और यह सुनिश्चित करें की जिससे आप बेहद प्यार करते हैं वह हमेशा खुश रहे |

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लेख, खुबसुरत कौन ? बदसूरत कौन ?

   सच तो वो है की इस दुनियां में कोई बदसूरत नही क्योंकि हमारे भगवान ने जिन्हें हम इस दुनियां के रचयिता कहते हैं ने ये सारे रंग बनाए हैं जिनके विभिन्नता हैं और अनेकता हैं | ये भी सोचने वाली बात है कि अगर दुनियां में सभी एक जैसे होते तो ये दुनियां ही बेरंग और अजीब लगती |

     दरअसल खुबसुरत और बदसूरत हमेशा इंसान अपने मन से और अपनी सोच से हो सकता है शरीर से कभी नही हो सकता | मगर जिन लेगो की सोच खराब है वह दूसरों को देखकर कहते हैं ये बदसूरत है बीना इस सच को जाने की वह जैसा है उसमे उसकी कोई गलती नही है |

     हम मे से कुछ लोग दूसरों के कहे मुताबिक खुद को बदसूरत मानने लगते हैं और अपनी पुरी जिंदगी इसी शर्मिंदगी में गुजार देते हैं की वह खुबसुरत नही है या वह इतने बदसूरत क्यों है? | जबकि इसकी कोई जरुरत नहीं है | शरीर की खुबसुरती का क्या है वह तो उम्र बढने के साथ साथ एक दिन चली ही जाएगी पर यदि आप मन से खुबसुरत हैं तो आप हमेशा खुबसुरत ही रहेंगे |

    अब के बाद अगर आप को आपके पीठ पीछे कोई आपको बदसूरत कहे तो यह सोचकर मुस्कुराइएगा की वह मन से कितना बदसूरत है | ये दुनियां हम सब को एक ही और एक जैसी ही मिली है क्योंकि बनाने बाले ने किसी को कम किसी को ज्यादा नही बनाया है |

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लेख, मनुष्यों के कुछ अजीबोगरीब विचार

     मनुष्यो के हम मनुष्यों ने अपना अस्तित्व पाने के बाद अपना विकास सवाधिक तिव्र गति से किया है मह मनुष्यों की तुलना में धरती पर और कोई ऐसा जीव नही है जिसने इतनी सक्षम शारिरीक एवं बौद्धिक प्रगति की हो |

     वैसे तो मनुष्यों ने अनेकों अजीबोगरीब विचार किए हैं जैसे पानी पर चलने की कोशिश करना , नकली पंख लगाकर पंछी की तरह उडने की कोशिश करना जिसमें कुछ हद तक कामयाबी मिली है , दिखाई न देने की चाह रखना आदी |

      लेकिन इन सब में जो मनुष्य की सबसे बड़ी एवं सबसे अजीबोगरीब चाहत है वह मौत को जीत लेने की हैं | बहोत समय से इंसान या तो बहोत लंबा जीना चाहता है या कभी मरना ही नही चाहता अन्य शब्दो में कहे तो अमर होना चाहता है |

     यही वजह है की हम मनुष्य आज नियति के दिए अंगों को बदल सकते हैं कृत्रिम अंगों तक का प्रयोग कर सकते हैं | यह हम इंसानो की एक जीत कही जा सकती है मगर हमे यह नही भूलना चाहिए की यह धरती एवं यह दुनियां बहोत शक्तिशाली एवं रहस्यमयी है |

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स्तंभ जीवन मूल्य, हर रिश्ते में बातचीत की जरुरत है

    कहा जाता है की बातचीत हर समस्या का हल है और समस्या ना हो तो जीवन का फल हैं | आपके मन में कोई बात है जो आपको परेशान कर रही है तो यह जरुरी है कि आप मन की बात किसी करीबी के साथ साझा करें |

     हर इंसान के जीवन में रिश्तों की अपनी अलग जगह होती है जो उसे चारो तरफ से बांधे रखते हैं | हर संबंध में संचार को यानी बातचीत को पुरी प्राथमिकता मिलनी चाहिए |

    संचार को बेहतर बनाने के लिए आपको कई बार अपने लहजे मे नरमी लानी पड सकती है कुछ ऐसी बातों से भी जुड़ना पड सकता है जो आपको पसंद ना हो | अगर कभी ऐसा करना भी पड़े तो बेहिचकीचाए करें क्योंकि ऐसा करना आपके हित में हो सकता है |

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लेख, असल में हिन्दी क्या है और क्यों हम धारा प्रवाह हिन्दी नही बोल पाते

    हा यह सच है कि भारत में लोग धाराप्रवाह हिन्दी नही बोल सकते वजह ये है कि हमे असलियत में हिन्दी भाषा का भान ही नही है |

     दरअसल हम आज जिस भाषा को हिन्दी कहते हैं वह देवनागरी एवं उर्दू का मिश्रण है | उदाहरण के तौर पर यदि हम किसी से ये पूछते हैं कि , ‘साहब आपको एक गिलास पानी चाहिए क्या’ | तो इस एक वाक्य में साहब शब्द उर्दू का है , गिलास उर्दू का शब्द है , पानी उर्दू का शब्द है एवं आपको, एक , चाहिए और क्या देवनागरी के शब्द है | तो यदि हम उसी वाक्य को असली एवं शुद्ध हिन्दी यानी देवनागरी में बोलना चाहे तो कुछ यू कह सकते हैं, ‘महोदय आपको एक जल पात्र जल चाहिए क्या ‘|

    यही वजह है कि हम लोग धाराप्रवाह हिन्दी नही बोल पाते क्योंकि हम अपने आम बोलचाल में हिन्दी से कही ज्यादा उर्दू भाषा के शब्दों को बोलते हैं और बहोल सारे लोगों को बोलते वक्त यह भी नही पता रहता के वो उर्दू के शब्द बोल रहे हैं |

     हमारी हिन्दी की तरह ही हमारी उर्दू भी हमारे भारत देश में जन्मी भाषा है | हिन्दी एवं उर्दू दोनों ही हमारे भारत देश की शान हैं और घर घर में बोली जातीं हैं |

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स्तंभ जीवन मूल्य, मां से विरासत ये मिला है मुझे

    पढ़ाई को महत्व देने की सिख एवं किसी काम को पुरी इमानदारी से करने का मनोबल मुझे अपनी मां से विरासत में मिला है |

   मां चाहे पढी लिखी हो या ना हो मगर हर मां यही चाहती है कि उसके बच्चे खूब पढ़े लिखे एवं उसका नाम रोशन करें | हर मां बाप अपनी हैसियत के मुकाबिल अपने बच्चो को शिक्षा दिलाने की कोशिश करते हैं तो बच्चो का भी फर्क ये बनता है कि शिक्षा हासिल कर अपने समाज की उन्नति में अपना योगदान दें |

    अच्छे संस्कार तो हर बच्चे को अपनी मां से विरासत में ही मिलते हैं एवं उन संस्कारो का जीवन भर पालन करना हर बच्चे की जिम्मेदारी है |

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स्तंभ दरार, रिश्ते में दूरियां आने की वजहें

   रिश्ते में दूरियां आने की कई बजहे हो सकती हैं | जिनमें से सबसे बड़ी बजह गलतफ़हमी है | गलतफ़हमी किसी भी तरह के रिश्ते को सिरे से बर्बाद कर सकती है | इसलिए अगर आपको ये लग रहा हो के आपके रिश्ते में गलतफ़हमी हावी हो रही है तो समझदारी इसी में है के समय रहते गलतफ़हमी दूर कर ली जाए तो |

    किसी रिश्ते में दूरियां आने की दूसरी वजह ये हो सकता है कि किसी विषय को लेकर आपके एवं जिनसे आपका रिश्ता है के बीच में मदभेद हो | मदभेद को सुलझाने का एक तरिका ये है की आप एक साथ बैठकर मदभेद को कम करने की कोशिश करें या उस विषय को ही छोड़ दें जो मदभेद का कारण है |

    इन कारणों के अलावा तीसरा करण ये हो सकता है कि किसी के स्वाभिमान को ठेस पहुँची हो | इस स्थिति में अदर आपको ये लगता है कि कि आपकी किसी हरकत की वजह से किसी के स्वाभिमान को ठेस पहुँची है तो आपको उस व्यक्ति विशेष से माफी मांगनी चाहिए एवं अपने रिश्ते को बेहतर बनाने की पहल करनी चाहिए |

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स्तंभ दरार, एक चीज है जो किसी भी रिश्ते को तुरंत खत्म कर सकती है

     रिश्ते की उम्र उसके प्रकार एवं लोगों के स्वभाव पर निर्भर करता है क्योंकि रिश्ता अगर खून का है तो जाहिर सी बात है कि उसकी उम्र ज्यादा होगी |

    मां बाप, भाई बहन और इस तरह के रिश्ते कुछ ये रिश्ते हैं जिन्हें कोई इंसान अपनी मर्जी से नही चुन सकता मगर दोस्ती एवं शादी के रिश्ते एक इंसान खुद चुन सकता है |

    इंसान का खुद का चुना रिश्ता कितना निभेगा वह इंसान की समझदारी एवं संयम पर निर्भर करता है | रिश्ता जो भी हो उसमे विश्वास एवं निष्ठा होनी ही चाहिए |

    यह भी ध्यान रखे की आपका रिश्ता किसी गलतफहमी या शक का शिकार ना हो क्योंकि कैंसर का इलाज है मगर गलतफ़हमी और शक का कोई इलाज नही है |

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    इस स्तंभ को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

लेख, इतिहास को छेड़ने के सन्दर्भ में

     अगर कोई समाज तरक्की की राह पर चलता है तो उस समाज की तरक्की में एक दो नही बल्की कई पीढ़ी का योगदान होता है और हर योगदान का महत्व समय की किताब में भी है और इंसानी किताबो में भी |

    इतिहास का लेखन हो चुका है तो उसे किसी के भी जरिए किसी भी तरह से और किसी भी स्वार्थ की सफलता के लिए बदला नही जा सकता मगर इतिहास को पढ़ने का तरीका बदला जा सकता है मसलन अगर किसी को किसी जती विशेष को खुला करना है तो वह उस जाती विशेष के इतिहास को बढा चढ़ा कर प्रस्तुत करेगा | ये ख़ासियत अक्सर राजनीति में देखी जा सकती है |

    स्वार्थ साधना में इतिहास का उपयोग अनुवाद के रुप में भी होता है | अपने नीजी हीतोॉ के लिए कोई अनुवादक किसी विशेष भाषा के इतिहास के उन पन्नों को अनुवादित करता है जो उसे आर्थिक या सामाजिक रुप से समाज में कोई विशेष स्थान या ख्याति दिला सके |

     अब तो फिल्मों एवं टीवी सीरियलों में भी निर्माताओं में इतिहास को उपयोगी बनाने की होड सी लग गयी है और हर निर्माता निर्देश इतिहास को अपने तरीके से बदल रहा है और इस बदलाव को रचनात्मक का चोला ओढा दिया जाता है | इसका हालिया उदाहरण फिल्म पद्मावत के रुप में देखा जा सकता है |

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    इस लेख को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |  द्वारा भीम

Wednesday, January 2, 2019

संस्मरण , कादर खान साहब

   
संस्मरण , कादर खान साहब
    मैने कादर खान साहब को सबसे पहले एक फिल्म में देखा था जिसमे वह घरजमाई का किरदार निभा रहे थे , उसके बाद उनकी एक और फिल्म देखी जिसमे उन्होने एक अमीर होटल कारोबारी का किरदार निभाया था | इन दोनों फिल्मों को देखते वक्त कादर साहब के किरदारों को देखकर मुझे बड़ी हंसी आयी थी इसके बाद मैने तय कर लिया था कि टीवी पर जब भी इस आदमी की कोई फिल्म आएगी तो मै जरूर देखुंगा |

      नव वर्ष के पहले ही दिन जब मैने ये खबर सुनी की कादर साहब नही रहे तो मुझे यकीन ही नही हुआ मगर दिन कि साम होते होते भरम टूट गया |कॉमेडी के अपने अलग ही अंदाज से हम सब को हंसाने वाला गुदगुदाने वाला नही रहा |

     वक्त बदलता है अपनी गति से आगे बढ़ता रहता है मगर हमेसा अपने बदलने का निशान छोड़ जाता है |अपने निभाए सैकड़ों किरदारों के जरिए कादर खान साहब हमेसा हमारे बिच रहेंगे और हमे याद आते रहेंगे |
     
        जितना कादर साहब को मैने फिल्मों में देखा है उसके अनुसार कह रहा हूं के कादर साहब की एक बहोत बड़ी खासियत यह रही कि उन्होने जितने भी किरदार अदा किए उन्हें हमेशा के लिए जीवंत कर दिया | कादर साहब का अभिनय दिलों पर छाप छोड़ देने वाला रहा | कादर साहब मनोरंजन जगत सदा आपकी कमी महसूस करेगा |

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       मेरा ये लेख आपको कैसा लगा है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |