Friday, March 15, 2019

संस्मरण, स्कूल के दिन

    ज़िन्दगी कभी अगर यू हो जाती की हम जब चाहते तब अपने बीते हुए कल में चले जाते और जब चाहते तब आने वाले कल में चले जाते तो मैं अपने स्कूल के दिनों में वापस जाना चाहूंगा |

     मुझे मेरे स्कूल के दिनों की कई बातें याद आती हैं मुझे सबसे बड़ी तो यह है कि मुझे उस वक्त मेरी पढाई बोझ नही लगती थी बल्कि उस वक्त तो पढना बेहद भाता था | आज तो ये हो गया है कि केबल अच्छे नंबर हासिल करने के लिए इल्जाम के आखिरी महीनों में पढाई होती है | जब लंच टाइम होता था सब एक साथ बैठकर और बाटकर खाना खाते थे, आपस में खूब लडते और फिर दोस्त बन जाते थे |

      और सबसे बड़ी बात ये है कि मैं छुट्टी के दिनों को छोड़कर रोज स्कूल जाया करता था और बेहद खुशी से जाया करता था | और आज महीने में एक दिन कॉलेज जाना भी इतनी बड़ी बात हो गयी है कि जैसे हिमालय चढना हो |

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    इस संस्मरण को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

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