Sunday, January 20, 2019

लेख, खुबसुरत कौन ? बदसूरत कौन ?

   सच तो वो है की इस दुनियां में कोई बदसूरत नही क्योंकि हमारे भगवान ने जिन्हें हम इस दुनियां के रचयिता कहते हैं ने ये सारे रंग बनाए हैं जिनके विभिन्नता हैं और अनेकता हैं | ये भी सोचने वाली बात है कि अगर दुनियां में सभी एक जैसे होते तो ये दुनियां ही बेरंग और अजीब लगती |

     दरअसल खुबसुरत और बदसूरत हमेशा इंसान अपने मन से और अपनी सोच से हो सकता है शरीर से कभी नही हो सकता | मगर जिन लेगो की सोच खराब है वह दूसरों को देखकर कहते हैं ये बदसूरत है बीना इस सच को जाने की वह जैसा है उसमे उसकी कोई गलती नही है |

     हम मे से कुछ लोग दूसरों के कहे मुताबिक खुद को बदसूरत मानने लगते हैं और अपनी पुरी जिंदगी इसी शर्मिंदगी में गुजार देते हैं की वह खुबसुरत नही है या वह इतने बदसूरत क्यों है? | जबकि इसकी कोई जरुरत नहीं है | शरीर की खुबसुरती का क्या है वह तो उम्र बढने के साथ साथ एक दिन चली ही जाएगी पर यदि आप मन से खुबसुरत हैं तो आप हमेशा खुबसुरत ही रहेंगे |

    अब के बाद अगर आप को आपके पीठ पीछे कोई आपको बदसूरत कहे तो यह सोचकर मुस्कुराइएगा की वह मन से कितना बदसूरत है | ये दुनियां हम सब को एक ही और एक जैसी ही मिली है क्योंकि बनाने बाले ने किसी को कम किसी को ज्यादा नही बनाया है |

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    इस लेख को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

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