Tuesday, January 12, 2021

अप्रकाशित सत्य 17 , स्वामी विवेकानन्द का स्नातनी नजरिया


     कक्षा पांचवी से लेकर दसवी तक मैने जिस स्कूल में पढा़ है उसका नाम है स्वामी विवेकानन्द स्कूल कुछ तो यह भी वजह है कि मेरे मन में तभी से स्वामी विवेकानन्द को जानने की इच्छा होती थी धीरे धीरे , जैसे जैसे में स्वामी विवेकानन्द को पढ़ता गया मेरी इन्हे और जानने की इच्छा बढ़ती गई |

     स्वामी विवेकानन्द को इतना पढ़ने के बाद मैने जाना के स्वामी विवेकानन्द का पुरा जीवन ही स्नातन धर्म का वह नजरिया है जो कहीं न कहीं अभी तक छुपा है बावजूद इसके की स्वयं स्वामी विवेकानन्द ने अपने जीवन काल में इसी का प्रचार प्रसार किया और आम जन तक स्नातक का दर्शन पहुचाया |

      शिकांगों के विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानन्द का दिया वो ऐतिहासिक भाषण सबने पढा़ एवं सुना होगा स्नातन का प्रमुख विचार है जो सर्व धर्म समभाव का परिचायक है जो अपनी जन्मभूमि को मां मानता है | स्नातन धर्म जीवन के हर क्षण में प्रकृति से प्रेम की सिख देता है |

      आज के आधुनिक समय और समाज में जीवन के कई संघर्षों में हमारी युवा पीढी़ के सामने खडी़ कई चुनौतीयों में एक चुनैती अपना आदर्श चुनने की भी है यदि सही आदर्श चुनना चुनैती नही होती तो देश के एक बडे़ शिक्षा संस्थान में वहा के छात्रों द्वारा स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा नही तोडी़ जाती | विचारधारा कि विभिन्नता के कारण कुछ लोगों को लगने लगा है कि स्वामी विवेकानन्द केवल स्नातनियों या हिन्दूओं के हैं जबकि यह विचार सर्वथा गलत है स्वामी विवेकानन्द सम्पुर्ण भारत ही नही सारी मानवता के हैं |


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