Thursday, November 4, 2021

'दीया' होने का एक अर्थ 'राम' होना भी है


     आज दीपावली है और हम अपने घरों में उल्लास के साथ यह पर्व मना रहे हैं और बड़े उत्साह के साथ रात को सारे घर में दीपक जलाने का इंतजार कर रहे हैं और यही तो दीपावली का सौंदर्य है जो जगमगाते दीपकों का प्रकाश प्रकृति के कण कण में भर देता है | आपको दीपावली के पावन पर्व पर अनेक अनेक शुभकामनाएं |

     दीयों को अगर खुशीयों का सबसे अच्छा प्रतीक कहा जाए तो कोई अतिशयोक्तिपूर्ण बात नही होगी | जब राम का जन्म कौशल्या के गर्भ से हुआ तब तक राम के पिता यानी राजा दशरथ को कोई संतान नही थी तो राम के जन्म को पूरे अयोध्या में बड़े धूमधाम से मनाया गया , अयोध्या वासियों ने अपने युवराज के जन्म को भी दीपावली की तरह से ही मनाया था | राम जब चौदह वर्ष के वनवास और लंका विजय कर वापस अयोध्या आए तब भी अयोध्या वासियों ने दीये जलाकर दीपावली मनाई |

     यदि हम दोनों अवसरों 'राम के जन्म' तथा 'राम के वापस अयोध्या आगमन' को देखें तो    दोनों ही समय राम निराशा के अंधेरे में उम्मीद की रोशनी बनकर आए और दोनों ही समय में उनका स्वागत अयोध्या वासियों ने दीये जलाकर खुशीयां मनाकर किया | पुजा से लेकर बाकी हमें खुशी देने वाले हर कार्य में दीये सम्मिलित होते हैं और राम तो जनमानस के रोम रोम में हैं तब यह सर्वथा सत्य हो जाता है कि 'दीया'' होने का एक अर्थ 'राम' होना भी है |

Monday, October 4, 2021

किसान आंदोलन के नाम पर लखीमपुरखिरी हिंसा और भाजपा की योगी सरकार

 ऐसा इनको लगता है कि साहिनबाग के वजह से भाजपा दिल्ली नही जीत पाई तो इसकी सफलता से उत्साहित होकर ये किसान आंदोलन की नौटंकी शुरु की गई और फिर इसी कड़ी में भाजपा बंगाल का चुनाव हार गई तो इनको लगने लगा है की हां ये तो सही तरिका है कि इससे भाजपा चुनाव हार रही है तो इनको लगता है कि योगी को भी इसी तरह से हराया जा सकता है | 

यदि साहिनबाग की नौटंकी को सही तरीके से शांत कर दिया जाता तो आज ये सब नही होता | इस तरीके के राजनीतिक स्टंट करके सत्ता में आने का कांग्रेस का पुराना इतिहास रहा है और आंदोलन के नाम पर ये सब ड्रामे इसीलिए जानबूझ कर चुनाव के वक्त कराए जाते हैं क्योंकि जानते हैं कि ऐसे वक्त में कोई भी राज्य सरकार सख्त एक्शन नहीं लेगी और यही हो भी रहा है |

मुझे अभी तक ये समझ में नही आया कि आखिर भाजपा की केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार हो इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही से डर क्यों रहे हैं आखिर किस बात का डर है |

आप इस तरह के राजनीतिक प्रयोगों को रोक क्यों नहीं रहें हैं जबकि आप ये जानते हैं कि इससे आपका कोर वोटर कहीं नही जाने वाला उल्टा यदि आप इस तरह की आंदोलन या विरोध प्रदर्शन के नाम पर हो रही नौटंकी को रोकेंगे तो इससे आपका वोटर बेस बढ़ेगा ही कम नही होगा | इसका मूल कारण यह है कि इस तरह की राजनीतिक नौटंकीयों से आम लोगों का कोई लेना देना नही होता बल्कि आम सामान्य लोग इससे परेशान ही होता है उसे इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नुकसान ही होता है | 

Saturday, July 31, 2021

अप्रकाशित सत्य 23 , डा. आंबेडकर के बारे में वो तथ्य जो आप आज तक नहीं जानते होंगे


     बाबा साहब के बारे में अपने पिछले लेख में मैने उनके जीवन के बारे में बताया था जिससे ज्यादातर लोग परिचित होंगे लेकिन इस लेख में मै डॉक्टर भीमराव आंबेडकर से जुड़े ऐसे तथ्यों के बारे में बता रहा हूं जिसे कुछ चुनिंदा लोगों ही जानते हैं या वो लोग जान पाते हैं जो डा आंबेडकर को अपने अध्ययन का मुख्य हिस्सा बनाते हैं 

     हम सब बाबा साहब को संविधान के निर्माता के रुप में जानते हैं लेकिन बाबा साहब एक वकील होने के साथ साथ समाज सुधारक , पत्रकार , लेखक , संपादक , शिक्षाविद , विधिवेत्ता तथा अर्थशास्त्री भी थे | संविधान के अलावा बाबा साहब ने भारत के बैकिंग सिस्टम , इरिगेशन सिस्टम , इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम तथा रेवेन्यु सिस्टम पर भी महत्वपूर्ण योगदान दिया | यहां हम कुछ तथ्यों पर गौर करेंगे जो सामान्य जन मानस को नही पता |

1. किया था राज्यसभा में संविधान को जलाने का ऐलान 

   23 सितंबर सन् 1953 को राज्यसभा में कहा था कि इसकी यानी संविधान की हमें कोई जरुरत नहीं है क्योंकि ये किसी के लिए भी अच्छा नही है | देश को अल्पसंख्यक एवं बहुसंख्यक में नही बांट सकते |

19 मार्च 1955 डा अनूप सिंह ने डा अांबेडकर के बयान का मामला उठाया तो डॉक्टर अांबेडकर ने इसके जबाब में कहा था कि हमने संविधान बनाकर एक मंदिर बनाया था भगवान के रहने के लिए लेकिन इसमें अब राक्षस रहने लगे इसलिए इसे तोड़ने के अलावा हमारे पास कोई और चारा नही है |

2. मुस्लिम और ईसाई नही बल्कि बौद्ध पंथ अपनाया था 

   1935 में ही महाराष्ट्र में दिए अपने एक भाषण में बाबा साहब ने कह दिया था कि मै पैदा जरूर हिन्दू हुआ हूं लेकिन हिन्दू मरुंगा नही | इसके बाद बाबा साहब ने 20 वर्षों तक सनातन धर्म समेत सभी पंथों का अध्ययन किया इसके बाद बौद्ध पंथ अपनाने का निर्णय लिया | बाबा साहब का मानना था कि बौद्ध पंथ ही सबसे अधिक तर्क संगत है | 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर कि दीक्षाभूमि में विधिवत धर्म परिवर्तन किया तथा उनके साथ उनके समाज के 385000 लोगों ने भी धर्म परिवर्तन करके बौद्ध पंथ अपना लिया था |

3. डॉक्टर अांबेडकर ने अनुच्छेद 370 का ड्राफ्ट बनाने तक से इनकार कर दिया था 

   1949 में कश्मीरी नेता शेख अब्दुल्लाह डॉक्टर अांबेडकर से मिलने इसी के लिए गए थे कि संविधान में जम्मू कश्मीर को विशेष प्रावधान दिए जाएं जिसे बाद में अनुच्छेद 370 के रुप में लागू किया गया | मगर बाबा साहब ने इसका ड्राफ्ट बनाने तक से मना यह कह के कर दिया था कि यह भारत के हित के खिलाफ है और मै ये पाप नही करूंगा |

4. इस्लाम के बारे में ये कहा है डॉक्टर भीमराव अांबेडकर ने 

   बाबा साहब ने एक स्थान पर ये स्पष्ट शब्दों में कहा है कि 'इस्लाम एक सच्चे मुसलमान को कभी भी भारत को अपनी मातृभूमि तथा हिन्दू को अपने सगे के रुप में मान्यता नही दे सकता |

5. उर्दू को राष्ट्र भाषा बनाने कि मांग को खारिज करते हुए ये लिखा था 

   जब उर्दू को भारत की राष्ट्र भाषा बनाने कि मांग कि जा रही थी तो संप्रदायीक आक्रमण नामक किताब के ग्यारहवाँ अध्याय में बाबा साहब ने लिखा - उर्दू ना तो भारत में बोली जाती है और ना ही यह हिन्दुस्तान के सभी मुसलमानों कि भाषा है | 68 लाख मुसलमानों मे से केवल 28 लाख ही उर्दू बोलते हैं |

     उपर वर्णित बिन्दुओं से यह स्पष्ट होता है कि आज राजनीतिक स्वार्थ के लिए जिस तरह से खुद को दलित नेता कहने वाले लोग डॉक्टर बी आर अांबेडकर का चित्रण करने का प्रयास करते हैं वह सर्वथा गलत है और लोग भी इन तथाकथित नेताओं कि बात में इसलिए आ जाते हैं क्योंकि उनके पास सही जानकारी का आभाव है और ये नेता नही चाहते कि ये सत्य आम जनता तक पहुंचे | 

     अक्सर आपने सुना होगा हर टीवी डिबेट में या किसी न किसी राजनीतिक आंदोलन में या धरना प्रदर्शन में कोई ना कोई नेता यह कहता हुआ मिल जाएगा कि हम बाबा साहब के बनाए संविधान को बचाने के लिए लड़ रहे हैं या बचाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का बनाया संविधान वैसा ही था जैसा आज का हमारा संविधान है |

वर्तमान जो हमारा भारतीय संविधान है इसमें 100 से अधिक संरोधन हो चुके हैं साथ ही निम्न बदलाव भी संविधान में किए जा चुके हैं 

A. जब संविधान लागू हुआ था तब संविधान कि प्रस्तावना में समाजवादी और पंथनिरपेक्ष शब्द नही थे इन शब्दों को संविधान कि प्रस्तावना में 42वे संविधान संशोधन से 1976 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा जोड़ा गया |

B. 26 नवंबर 1949 को जब संविधान अंगीकृत किया गया था तब इसमें तिथि और वर्ष बताने के लिए विक्रम संवत का उपयोग किया गया था जिसे आज भी संविधान कि प्रस्तावना में स्पष्ट पढ़ा जा सकता है तब से लेकर 1957 तक यही पंचांग भारत में प्रचलन में रहा |

मगर 22 मार्च 1957 को कांग्रेस की जवाहर लाल नेहरु सरकार के द्वारा विक्रम संवत के स्थान पर शक संवत को राष्ट्रीय पंचांग के रुप में अपनाया गया |

C. बाबा साहब के बनाए संविधान के प्रारंभिक पन्नों पर बने भगवान प्रभु श्री राम और माता सीता समेत भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले चित्रों को संसद भवन के अतिरिक्त प्रकाशित होने वाली संपूर्ण भारत में संविधान की प्रतियों के लिए गैर जरुरी बना दिया गया है जिससे आज आम जनता को वो चित्र देखने के लिए भी उपलब्ध नही हैं |



Wednesday, June 23, 2021

अप्रकाशित सत्य 22 , क्या कन्या भ्रूण हत्या , बाल विवाह , पर्दा प्रथा , सती प्रथा जैसी कुप्रथाएं वास्तव में प्राचीनकाल से भारतवर्ष में प्रचलित कुप्रथाएं थी या भारतीय स्त्रीयों को विदेशी आक्रमणकारीयों से बचाव का तरीका थी ? आइए विस्तार से जाने |


     जैसा कि हम सब ने अपनी प्राथमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के दौरान शीर्षक में वर्णित सभी कुप्रथाओं के बारे में पढ़ा है और यह भी पढ़ा है कि किस तरह से समय-समय पर कुछ समाज सुधारकों के द्वारा इनका अंत किया गया | मगर क्या यह कुप्रथाएं भारतवर्ष में हमेशा से विद्यमान थी ? मतलब क्या यह सभी कुप्रथाएं प्राचीन भारत में भी थी ? , तो इसका जबाब है , नही | कई शोधी इतिहासकारों ने इस बात को पूरे प्रमाण के साथ साबित किया है कि यह सभी कुप्रथाएं प्राचीन भारत में नही थी |

     अब यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि आखिर जब यह कुप्रथाएं प्राचीन भारत में नही थी तो फिर यह सभी कुप्रथाएं मध्यकालीन भारत में कैसे उत्पन्न हो गयी | इसे समझने के लिए आपको भारत पर हुए बर्बर इस्लामीक आक्रमणों को समझना पड़ेगा | भारत पर सबसे पहला सफल इस्लामीक हमला अरबों का था | 712 ईसवी में मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर हमला तब किया जब सिंध के राजा दाहिर सेन ने पैगम्बर मोहम्मद साहब के परिवारजनों को अपने राज्य में शरण दिया | मोहम्मद बिन कासिम ने 17वी बार में सिंध पर सफलता प्राप्त की और राजा दाहिर सेन को मार डाला तथा राजा के पूरे परिवार के मर्दों को भी मार डाला जिसमें बच्चे भी सम्मिलित थे मगर उसने राजा कि सभी रानीयों तथा उसकी बेटियों को अपना यौन गुलाम बना लिया | यही नही उसने राजा दाहिर की कुछ बेटियों को अमिर अरबों को बेच दिया | यह भी इतिहास है कि जब वह सिंध विजय करने के बाद वापस लौट रहा था तो बहुत अधिक संख्या में धन के साथ-साथ कई हजार सिंधी महिलाओं को भी अपना यौन गुलाम बनाकर ले जा रहा था | कुछ लेखों में इसकी संख्या चार हजार तो कुछ में चालिस हजार तक बताई जाती है |

     तब के बाद से आगे भारत में जितने भी अरब , मंगोल , तुर्क , अफगान या मुगल आक्रमणकारीयों ने आक्रमण किए सब में यही दोहराया जाता रहा जिसमें कि राजा के युद्ध में हार जाने के बाद ये बर्बर आक्रमणकारी न केवल राजा कि रानीयों बेटियों बल्कि युद्ध में मारे गए सैनिकों की पत्नीयों और बेटियों को भी अपना यौन गुलाम बना लेते थे | इतिहास में सैकड़ों बार आपको यह भी देखने को मिलेगा की यह बर्बर आक्रमणकारी पूरे गांव भर के मर्देों एवं दस वर्ष से बड़े लड़को को और बूढी महिलाओं को मार डालाते थे और बाकी सभी औरतों और लड़कीयों को अपना यौन गुलाम और दासीयां बना लेते थे | 

     जब हम बात करते हैं कन्या भ्रूण हत्या की तो यह सबसे पहले भारत के उन क्षेत्रों में प्रारंभ हुई मानी जा सकती है जिस पर इन बर्बर इस्लामीक आक्रांताों ने कब्जा कर लिया | इसकी पर्याप्त संभावना थी की आम जन ने यह सोचकर कन्या भ्रूण हत्या करना आरंभ कर दिया होगा कि ना तो बेटी पैदा होगी या बड़ी होगी और ना ही इसे किसी मलेच्छ की यौन गुलाम बनकर पुरा जीवन जीना पड़ेगा | और अधिक पढ़ने के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

     बाल विवाह भी इसी तरह का बेटियों की अस्मिता की रक्षा का एक प्रयास लगता है जिसमें बेटी को जल्द से जल्द विवाह करके ससुराल भेज दिया जाता था ताकि यदि गांव या नगर पर इन बर्बर आक्रमणकारीयों का हमला हो और यदि पिता को कुछ हो जाए या उसे मार डाला जाए तो कम से कम बेटियों को बचाने के लिए उनका पति और ससुराल पक् के लोग जिम्मेदार हो | भारत के कुछ क्षेत्रों में बहुत कम मात्रा में बाल विवाह आज भी होता है जिसमें बंगाल विहार झारखंड छत्तीसगढ़ समेत कई अन्य राज्य भी सम्मिलित हैं | और अधिक पढ़ने के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

     आप इसी प्रकार के बचाव की भावना सती प्रथा में भी देख सकते हैं जहां स्त्रीयां स्वेच्छा से पति की चिता के साथ जलकर भस्म हो जाती थी ताकि कोई मलेच्छ जीवन भर उनकी अस्मिता से ना खेल सके जो वास्तव में महारानी पद्मावती के जौहर से प्रचलित और प्रेरित मानी जा सकती है और महारानी पद्मावती ने जौहर क्यों किया था आप ये भली भाँति जानते हैं | हां इस बात से इंकार नही है कि शुरुआत में जो बचाव के तरीके थे बाद में वो प्रथा बन गए और फिर इन्होने एक कुरीति का रुप धर लिया |और अधिक पढ़ने के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

     राजस्थान के कुछ जिलों में आज भी घूँघट की परंपरा है यह पर्दा प्रथा का ही एक रुप समझा जा सकता है जिसका मक़सद अनजान पुरुषों से अपने मुख को छुपाना है | इसके मूल में भी यही कट्टर बर्बर इस्लामीक आक्रमणकारीयों से बचाव का उद्देश्य है | दरअसल ये बर्बर इस्लामीक आक्रमणकारी ये करते थे कि जिस क्षेत्र में यह अधिकार स्थापित कर लेते थे वहा अपने सैनिकों को आदेश देते थे की जाओ और पुरा नगर घुमों और जितनी भी सुन्दर स्त्रीयां मिलें उन्हें उठाकर हरम (जहां ये आक्रमणकारी बादशाह अपनी बेगमों और यौन गुलामों को रखते थे) में पहुंचा दो | मैने किसी पुराने लेख में पढ़ा था की मुगल बादशाह जहांगीर के हरम में उसकी 300 बेगमें 5000 यौन गुलाम बनाई गई महिलाएं (रखैलें) और 1000 से ज्यादा कमसिन लड़के रखें गए थे | यह आंकड़े यह बताने के लिए काफी है कि यह बर्बर मुगल आक्रमणकारी किस तरह से हारे हुए राज्य की महिलाओं और यौन गुलाम बनाई महिलाओं को रखते थे | और अधिक पढ़ने के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

     ऐसा ही एक कृत्य आपने सुना होगा जिसमें आक्रांता मुगलों का एक बादशाह अकबर दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में औरतों का अंतरंग मीना बाजार लगाया करता था जिसमें औरतों को यह कहा जाता था की वह अपना चेहरा बीना ढके आए | दरअसल मीना का मतलब सुराही होता है तो मीना बाजार का मतलब सुराहीयों का बाजार या सुराही जैसी महिलाओं का बाजार | कहा तो यह भी जाता है कि इस मीना बाजार में अकबर स्वयं महिला बनकर रहता था और अपने सैनिकों को कहकर अपने पसंद की महिलाओं को अपने हरम तक पहुंचवाता था | इतना जानने के बाद यह समझना बहुत कठिन नही होना चाहिए की आखिर क्यों पर्दा या घूँघट जैसी प्रथाएं प्रचलन में आयी होंगी | और अधिक पढ़ने के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

     आज के आधुनिक समाज में इस तरह की प्रथाओं का कोई स्थान नही हेना चाहिए और यह बहुत सुखद बात है कि इन में से कुछ कुप्रथाएं पुर्ण रुप से समाप्त हो चुकी है और जो थोड़ी बहुत हैं भी वह भी समाप्ति कि ओर बढ़ रही हैं | मगर इन सभी प्रथाओं के हर पहलु को जाने बीना इसे किसी समाज के सम्पूर्ण अस्तित्व पर नही थोपा जाना चाहिए | 







Thursday, June 17, 2021

अप्रकाशित सत्य 21 , शेक्सपियर ने कहा था 'नाम में क्या रखा है', तो आइए चर्चा करते हैं कि नाम में क्या रखा है | आखिर शहरों के नाम बदले जाने पर क्यों होता है विरोध |

अप्रकाशित सत्य 21 , शेक्सपियर ने कहा था 'नाम में क्या रखा है', तो आइए चर्चा करते हैं कि नाम में क्या रखा है | आखिर शहरों के नाम बदले जाने पर क्यों होता है विरोध |


     अक्सर आपने लोगों को ये कहते हुए सुना होगा की शेक्सपियर ने कहा था नाम में क्या रखा है , जब उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर उसका पुराना नाम प्रयागराज रखा था तब हमारे देश में तमाम लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री का विरोध करते हुए यही बात कही थी की नाम क्यों बदल रहें हैं नाम में क्या रखा है , ये तो हिन्दूवादी सरकार है जो इतिहास को खत्म करना चाहती हैं आदी आदी |

     अब जो मुख्य बात है वो यह है कि क्या सच में नाम में कुछ नही रखा | हम सब ने बचपन में संज्ञा कि परिभाषा में यह पढ़ा है कि किसी व्यक्ति वस्तू या स्थान के नाम को संज्ञा कहा जाता है | इसे और अधिक विस्तार देने के लिए मैं आपसे एक प्रश्न पुछना चाहता हूं कि यह जो कोट है 'नाम में क्या रखा है' वो किसका है ? , मै जानता हूं के आप जबाब देंगे यह कोट मशहूर कवि लेखक एवं चिंतक शेक्सपियर का है | अब आप स्वयं सोचीए कि नाम में क्या रखा है आप यह बात उस व्यक्ति के नाम से जानते हैं जिसने इसे कहा है यानी यदि नाम में कुछ नही रखा होता तो शेक्सपियर ने ये कोट लिखने के बाद नीचे ऑथर के रुप में अपना नाम नही लिखा होता |

     एक बार इसी बात को लेकर मेरी एक मित्र के साथ चर्चा हो रही थी तभी उसने भी यही बात कही कि शेक्सपियर ने कहा था की 'नाम में क्या रखा है' तभी मैने तुरंत इसके जबाब में यह बात कहा की तुम्हारा नाम आदित्य है मगर अब से मै तुम्हें बेवकूफ कहूंगा | मेरे इतना कहते ही वह नाराज हो गया और मुझ पर झल्लाने लगा , तब मैने उसे शांति से ये बात कहा कि मेरे दोस्त अभी तुम ही तो कह रहे थे की नाम में क्या रखा है तो फिर मै तुम्हें आदित्य कहूं या बेवकूफ क्या रखा है दोनों नाम ही तो हैं | तब तुम आदित्य कि जगह बेवकूफ को अपना नाम स्वीकार करलो इसके बाद वह कहने लगा के ऐसा कैसे हो सकता है ऐसा हो ही नहीं सकता |

     जी बिलकुल सत्य है ऐसा नही हो सकता गधे को हाथी और हाथी को गधा नही कहा जा सकता जबकि दोनों ही जाति वाचक संज्ञा यानी की नाम ही हैं | यही तर्क है जिसकी वजह से इतिहास में हुई गलतियों को सुधार जा रहा है और सुधारा जाना भी चाहिए | अब तक फैजाबाद को अयोध्या 

इलाहाबाद को प्रयागराज 

गुड़गांव को गुरुग्राम और 

आदी स्थानों के नामों को उनके पुराने या प्रचीन नाम लौटाएं जा चूके है मगर अभी और बहुत कुछ बाकी है जिसे उसकी असली पहचान नही मिली है |

      हमारे देश में बहुत अधिक संख्या में शहरों और कस्बों के नाम बाहर से आए अरब , मंगोल , तुर्क , अफगानी और मुगल आक्रमणकारी के नाम पर हैं जो अब भी उनके किए नरसंहार , बलात्कार और अत्याचारों की अनुभूति कराते है मगर अब समय आ गया है कि हमें इन नामों को बदलना चाहिए और भारत की आजादी की लड़ाई में अपना जीवन बलिदान करने वाले लाखों महान क्रांतिकारीयों के नाम पर रखना चाहिए जिससे हमारे भारत देश की आने वाली पीढ़ीयां इनसे प्रेरणा ले सकें |



Saturday, March 27, 2021

अप्रकाशित सत्य 20 , लव जेहाद या जिहाद क्या है? इस पर कितने राज्यों में कानून हैं? क्या Bollywood भी प्रोत्साहित करता है लव जिहाद को ? आइए विस्तार से चर्चा करते हैं |

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नोट - 

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     यह लेख समसामयिक घटनाओं एवं इंटरनेट पर उपलब्ध तथ्यों पर आधारित है | मेरा इस लेख को लिखने का मक़सद किसी की धार्मिक , सामाजिक या मानसिक भावनाओं को आहत पहुंचाना नही है बल्कि जानकारीयों को साझा करना एवं स्वच्छ विमर्श करना है | लेख के शीर्षक या किसी भी अन्य भाग को पढ़कर यदि आप असहज महसूस करें तो मैं आपसे आग्रह करूंगा के आप इस लेख को ना पढ़े इसके बाद भी यदि आप लेख पढ़ रहे हैं तो आपका स्वागत है | इस लेख के बारे में अपनी कोई भी राय बनाने से पहले कृपया लेख पुरा अवश्य ही पढ़े | नमस्कार |

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     लव जेहाद या जिहाद को लेकर हाल ही के कुछ महीनों मे मेन स्ट्रीम मीडिया में काफी चर्चा हुई और इस पर कुछ राज्यों में कानून भी बनाए गए हैं इसी वजह से मेरी दिलचस्पी इसे जानने के लिए बढ़ती गई और मैने इस पर एक विस्तार से चर्चा करने का मन बनाया है | लव जेहाद या जिहाद को समझने के लिए सबसे पहले आपको जेहाद या जिहाद को समझना होगा |

जेहाद या जिहाद क्या है ?

     यदि आप इस शब्द को गूगल पर सर्च करेंगें तो कई परिभाषाएं मिलेगी मगर उन सब का सारांश यह है कि जेहाद या जिहाद वह पाक युद्ध है जिसे इस्लाम को मानने वाले मोमिन (मुसलमान) गैर मुसलमानों (काफ़िरों) से लड़ते हैं ताकि उन्हें भी मोमिन (मुसलमान) बना सकें , जेहाद या जिहाद के लिए क़ुरान पाक में आयतें हैं जिनमें से 26 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है और इसे लेकर मीडिया में चर्चाएं हो रही हैं (इसकी पुष्टि के लिए आपको स्वयं कुरान पाक पढ़कर देखना चाहिए , आजकल इंटरनेट पर हर भाषा में कुरान पाक का तर्जुमा उपलब्ध है या तो आप फ्री में उपलब्ध वाले वर्जन डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं या किंडल एडीशन खरीद सकते हैं सत्यापित अनुवाद पढ़ने के लिए खरीद कर पढ़ना ज्यादा उचित होगा ) | यह जेहाद या जिहाद कई तरह से किया जा सकता है और किया जा भी रहा है | एक रास्ता तो सीधा है जिसमें एक कट्टर मुसलमान हथियार लेता है और काफ़िरों को मारता हैं इन्हें ही आपने तमाम खबरों में पढ़ा एवं सूना होगा जेहादी या जिहादी कहा जाता है आम तौर पर इन्हें आतंकवादी भी कहा जात है |

     जिस तरह से उपर लिखी तमाम बातें सत्य हैं उसी तरह से यह भी सत्य है कि हर मुसलमान यह नही करता या इस सोच को नही मानता और बहुत कम संख्या ऐसे मुसलमानों की भी है जो इसका विरोध कर रहे हैं मगर अब भी बहुत अधिक संख्या ऐसे मुसलमानों की है जो इस पर कुछ नही बोलते | जो जेहादी या जिहादी हैं वो बहुत कम संख्या में हैं परन्तु उनके आतंक से वह हमेशा दहसत बरकरार रखने में कामयाब हो रहे हैं |

लव जेहाद या जिहाद क्या है? 

     लव जेहाद या जिहाद केरल की हाई कोर्ट के द्वारा प्रतिपादित किया गया शब्द है | जब एक मुस्लिम लड़का अपनी पहचान छिपाकर , झूठ बोलकर एक हिन्दू या किसी अन्य धर्म की लड़की से प्रेम का नाटक करके उसके साथ बलात्कार करता है , विवाह करता है या उसका धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास करता है या करवा लेता है तो इसे ही लव जेहाद या जिहाद कहा जाता है | कई बार तो खबरों में यहां तक आया है कि लड़की जब लड़के की सच्चाई जान जाती है या धर्म बदलने से इनकार कर देती है तो ऐसे जेहादी लड़के उन लड़कीयों कों जान से मार डालते है और ये कोई अपवाद नही है आप पता कर सकते हैं हजारों की तादाद में ऐसी खबरें आए दिन छपती हैं और गुमनाम हो जाती है और जरा ये सोचिए उन खबरों का क्या जो कहीं किसी अखबार में छप ही नही पाती या किसी टीवी चैनल की हेडलाइन में नही आ पाती | लव जेहाद या जिहाद एक मज़हबी सोज है जो बहुत बड़ी समस्या है यदि यह बड़ी समस्या न होती तो इस पर राज्य सरकारों को कानून नही बनाना पड़ता |

और कितने तरह के जेहाद या जिहाद की अवधारणा है?  

लव जेहाद या जिहाद के अलावा भी निम्न तरह के जिहाद किए जा रहे हैं -

1. ज़मीन जिहाद 

     सरकारी या किसी की नीजी जमीन पर मस्जिद , मदरसा , दरगाह या घर आदी बना देना | जिससे वहा किसी अन्य की मौजुदगी को घटाया जा सके | यह भी उसी श्रेणी में आता है | अतिरिक्त जानकारी के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

2. जनसंख्या जिहाद 

     घर की आर्थिक हालत खराब होने तथा एक दो बच्चों का उचित लालन पालन करने में सक्षम ना होने के बावजूद भी समुदाय विशेष की दम्पति के द्वारा दर्जन भर बच्चे पैदा करना ताकि किसी क्षेत्र विशेष में मुसलमानों की आबादी को बढ़ाया जा सके यह भी एक अवधारणा है | अतिरिक्त जानकारी के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

3. रेप जिहाद 

     हिन्दू या किसी अन्य धर्म की लड़कियों का बलात्कार समुदाय विशेष के युवकों या पुरुषों के द्वारा करना | यह भी एक चिन्हित किया गया पैटर्न है | यहां किसी भी तरह के बलात्कार को सही नही ठहराया जा रहा है बस विषय का विवरण दिया जा रहा है | अतिरिक्त जानकारी के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

4. हलाल जिहाद 

     हलाल भी इस्लाम की एक विचारधारा है जिसके अनुसार कोई भी मुस्लिम उन्हीं समानों या खाद्य उत्पादों का प्रयोग कर सकता है जो उसके लिए है यानी हलाल है | और कोई समान या उत्पाद तभी हलाल माना जाता है जब उसके उत्पादन के आरंभ चरण से लेकर अंतिम चरण तक यानी उसके उत्पाद बनने तक केवल और केवल मुसलमानों ने ही कार्य किया हो | भारत में एक संस्था है जो सामानों एवं उत्पादों को हलाल प्रमाण पत्र देती है | तभी यदि आप किसी ऑनलाइन खाना डिलीवरी एप से खाना मंगाते है तो आपको हलाल का भी एक ऑप्शन दिया जाता है | यह एक बलाक चेन टाइप की व्यवस्था है जिसका मक़सद मुसलमानों के लिए एक अलग अर्थव्यवस्था का निर्माण करना बताया जाता है | 

     इसे भी सभी मुस्लिम नही मानते मगर मानने वालों का प्रतिशत बहुत अधिक है जिससे यह फैल रहा है | अगर आपको याद हो तो कुछ महीने पहले यह खबर आई थी कि अब भारत में हलाल निर्यात की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है | विस्तार से जानने के लिए आप गूगल सर्च करें, इसे हलाल इकोनॉमी या हलालोनॉमिक्स के नाम से भी परिभाषित किया जाता है |

5. UPSC जिहाद 

     यह भी सोशल मीडिया एवं टीवी मीडिया में काफी चर्चा का कारण रहा है | इसके अनुसार कहा जा रहा है था कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की पिछले एक दशक या उससे कम ज्यादा की भर्तीयों में समुदाय विशेष के उम्मीदवार को कोटा एवं आरक्षण से अधिक तथा कम योग्यता होने के बावजूद भी चयनित किए जा रहा हैं और इसमें उसी समुदाय विशेष से आने वाले चयनकर्ताओं की भागीदारी पर भी सवाल किए गए थे | अतिरिक्त जानकारी के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

क्या Bollywood भी प्रोत्साहित करता है लव जिहाद को ? 

     मुझे नीजी तौर पर लगता है कि यह प्रश्न ही उल्टा है | Bollywood भी नही Bollywood ही प्रोत्साहित करता है लव जिहाद को | हम सब ने बचपन से लेकर आज तक Bollywood की हजारों फिल्में देखी होंगी और इन सब की कहानी एक ही तरह की होती है जिसमें आमिर,  सलमान,  सैफ,  इमरान , शाहरुख आदी नामों के हीरो सूरज,  राहुल,  प्रेम, राज,  विजय आदी बनकर मधु, संजना,  अराधना,  सोनिया,  आशा,  पार्वती,  सरस्वती आदी नामों वाली हीरोइनों से प्यार करते हैं, शादी करते हैं और इन्ही तरह के दृश्यों से भरी होती हैं | और जब इस तरह की फिल्म एक मुस्लिम युवक देखता है तो उसे यह फिल्म प्रेरक लगती है बाकी का कार्य गैर मुसलमानों के लिए उसकी विचारधारा कर देती है जो उसे विरासत में प्रदान की जाती है नतिजा लव जेहाद या जिहाद के रुप में प्राप्त होता है | आपको याद होगा की अभी कुछ महीनों के पहले एक ज्वैलरी ब्रांड तनिस्क के एक टीवी प्रचार को लेकर खूब विरोध हुआ था जिसके बाद ब्रांड ने वह प्रचार हटाया और माफी भी मांगी उस प्रचार में भी इसी तरह का प्रयास किया गया था | इस तरह की फिल्मों या वेब शोज का असल जीवन से कोई वास्ता नही होता और झूठ कभी अच्छा जीवन नही दे सकता | 

कितने राज्यों में है लव जिहाद पर कानून? 

     उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सर्व प्रथम लव जेहाद को मध्य मे रखकर 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मपरिवर्तन प्रतिरोध अध्यादेश 2020' नामक एक कानून बनाया है जिसके मुताबिक यदि कोई व्यक्ति झूठ बोलकर , प्रलोभन देकर अथवा किसी कपट माध्यम से किसी का धर्म परिवर्तन करवाता है तो यह एक गैर जमानती अपराध होगा तथा उस व्यक्ति को अधिकतम 10 साल तक की जेल तथा 50 हजार रुपये तक का अर्थदंड लगाया जा सकता है |

     मध्य प्रदेश में 'मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्र्य विधेयक 2020' भी कानून बन चुका है जिसके अनुसार यदि किसी व्यक्ति को अपना धर्म छिपाकर , झूठ बोलकर , प्रलोभन देकर अथवा किसी अन्य कपटपूर्ण माध्यम से धर्म परिवर्तन कराया जाता है या करने के लिए विवश किया जाता है तो करवाने वाले व्यक्ति को अधिकतम 5 साल की जेल तथा 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है | खबरों की माने तो हरियाणा में भी जल्द ही इसे लेकर कानून बनाया जा सकता है और भी कुछ राज्य हैं जहां इस तरह की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं |

लव जेहाद या जिहाद पर मेरी राय |

     मुझे लगता है कि यदि आप किसी को यह कहते हैं कि आप उससे प्यार करते हैं तो आपको स्वयं से और उससे जिससे आप कह रहे हैं की आप प्यार करते हैं आपको बहुत ईमानदार रहना चाहिए और यही सलाह मेरी हमउम्र या मुझसे छोटी युवतीयों के लिए भी है कि आपको किसी पर आंख बंद करके विश्वास नही करना चाहिए किसी के नाम अपना जीवन करने से पहले उस शख्स के बारे में हर संभव जानकारी पता कर लेनी चाहिए ताकि किसी तरह का धोखा होने की संभावना कम हो जाए | अपने प्रेमी पर यदि किसी बात को लेकर शक है तो उसका निराकरण करें याद रखें शक करना गलत बात नही है शक ही है जो यकीन को ज़िंदा रखता है | 

     मैं किसी भी तरह से विपरीत धर्म के लोगों से प्रेम या प्यार जो भी कहें करने के खिलाफ नही हूं मैं प्यार के नाम पर दिए जा रहे धोखे के खिलाफ हूं | मेरा निजी रुप से मानना है की यदि आप किसी से सच में खुद के प्रति ईमानदार होकर प्यार करते हैं तो फिर आपको अपनी प्रेमिका या प्रेमी को बदलने का प्रयास नही करना चाहिए वो जैसे भी हैं जिस भी धर्म को मानते हैं उन्हें वैसा ही स्वीकार करना चाहिए | और यदि आप ऐसा नही कर रहे हैं और उनके धार्मिक भावनाओं को बदलने का प्रयास कर रहे हैं तो मुझे आपको लव जेहादी या जिहादी कहने में कोई संकोच नही है | 




Tuesday, March 23, 2021

अप्रकाशित सत्य 19 ,धर्म , विधर्म , अधर्म , मजहब , सेक्युलर (Secular) का मतलब क्या है ? राष्ट , देश , राज्य में अन्तर क्या है? तथा राष्ट्रीयता एवं नागरीकता में फर्क क्या है ?


     मानव की विकास यात्रा में जितना योगदान भाषाओं का रहा है शायद ही किसी अन्य का हो तभी तो आज विश्व भर में हजारों की तादाद में भाषाएं बोली जाती हैं | कहा जाता है के अकेले भारत में सैकड़ों की संख्या में भाषाएं एवं हजारों की तादाद में बोलीयां हैं इन बोलीयों की गिनती 1400 से भी अधिक है | मगर भाषा जहां विकास करती है वही दूरीयां भी उत्पन्न करती है क्योंकि एक भाषा का व्यक्ति दूसरे की भाषा को नही समझता और यही से जन्म होता है अनुवाद का | आज जो मानव का विकास इस उंचाई तक पहुंचा है इसकी सबसे बडी वजह यह है कि हमने एक दूसरे की भाषा यानी अभिव्यक्ति को समझ लिया और अनुवाद इसका प्रमुख माध्यम है चाहे वह मौखिक हो या लिखित | 

     आमतौर पर अनुवाद के साथ यह समस्या होती है कि वह हूबहू वैसा नही हो पाता जैसा वह अपनी मूल भाषा में होता है कारण मूल भाषा की तरह अनुवाद की भाषा में शब्दों का या उच्चारणों का न होना आदि | ऐसा ही कुछ हुआ है हिन्दी , उर्दू और अंग्रेजी के इन शब्दों के साथ , आइए चर्चा करें | 

धर्म 

     धर्म का हिन्दी अर्थ है वह नैतिक कर्तव्य जो मानव परिस्थितियों के अनुसार स्व विवेक से स्वयं के लिए घारण करता है | मगर अंग्रेजी में इसका अनुवाद रेलिजन (Religion) है | यही नही एक और शब्द है उर्दू का 'मजहब' जिसका अंग्रेजी अनुवाद रेलिजन (Religion) ही है | जबकि इन दोनों शब्दों के अर्थ अलग हैं | 'मजहब' धर्म से भिन्न कैसे हैं मैं आगे लेख में चर्चा करता हूँ |

विधर्म 

     विधर्म का हिन्दी अर्थ है स्व विवेक से ऐसे नैतिक कर्तव्य का पालन करना जो किसी विशेष परिस्थितियों में या सामान्य जीवन में जो किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के द्वारा न अपनाया जा रहा हो | विधर्म के लिए अंग्रेजी में कई शब्द हैं जैसे हेट्रोडाक्सी (Heterodoxy) , हेरेसी (Heresy) आदि | यहां यह भी बताना आवश्यक है कि विधर्म का मतलब अधर्म नही होता या यू कहे तो विधर्मी , अधर्मी नही होता |

अधर्म 

     अधर्म का हिन्दी में अर्थ है किसी विशेष परिस्थितियों में या सामान्य जीवन में स्व विवेक से ऐसे कर्तव्य का पालन करना जो नैतिक एवं मौलिक नही है | एक उदाहरण देकर बात करें तो यदि एक भूखा छोटा बच्चा आपसे कुछ भोजन मांगता है तो आप क्या करेंगें? मेरी नजर में धर्म यह है कि मैं पहले उसके लिए अपनी क्षमता अनुसार भोजन का प्रबंध करुं यदि मैं ऐसा नही कर पा रहा हूँ तो उसे ऐसे स्थान पर लेकर जाउँ या ऐसे लोगों से भेंट करावाउँ जो उसके लिए भोजन का प्रबंध कर सके | यदि मैं इसके विपरीत व्यवहार करता हूँ उसके भोजन मांगने पर उसे गालीयॉ देता हूँ मारता पीटता हूँ तो मेरी समझ में मैं अधर्म कर रहा हूँ | अधर्म के लिए भी अंग्रेजी में कई शब्द हैं जैसे इरेलिजन (Irreligion) , इनइक्वीटी (Iniquity) आदि |

मजहब 

     जैसा कि मैने उपर लेख में बताया था की मजहब के लिए भी अंग्रेजी में वही शब्द है जो धर्म के लिए है रेलिजन (Religion) | जबकि मजहब का हिन्दी अर्थ धर्म नही है | मजहब का एक प्रवर्तक होता है एक किताब होती है कुछ प्रचारक होते हैं इसके शुरु होने की कोई तारीख या वर्ष होता है इसके खत्म होने का भी एक वर्ष होता है इत्यादि मगर धर्म तो अनंत होता है | धर्म ना तो कभी शुरु होता है और ना ही कभी अंत होता है | यहां यह भी बताता चलुं की दुविधा का पर्यायवाची शब्द धर्म संकट है मजहब नही है | 

सेक्युलर (Secular)

     यह अंग्रेजी का वह शब्द है जो 1976 में 42वे संविधान संशोधन से भारतीय संविधान की प्रस्तावना में डाले जाने के बाद से किसी न किसी वजह से हमेशा ही चर्चा मे रहता है | सेक्युलर शब्द का हिन्दी अनुवाद अगर आप खोजेंगे तो पाएंगे की इसका हिन्दी अनुवाद 'धर्म निरपेक्ष' मिलता है मगर यदि आप भारतीय संविधान का हिन्दी अनुवाद पढ़ेंगे तो पाएंगे कि इसी शब्द के लिए 'पंथ निरपेक्ष' शब्द का उपयोग किया गया है | मतलब भारतीय संविधान पंथ निरपेक्ष है धर्म निरपेक्ष नही है | 

   सामान्य जीवन में जब कोई व्यक्ति अपने आप को सेक्युलर कहता है तो वह अपने आप को यह प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहा होता है की वह अपने पंथ या धर्म को लेकर बहुत कट्टर नही है या इसका एक मतलब यह भी निकाला जाता है कि वह आधुनिक सोच का है मगर हमें यहां यह समझना चाहिए की 'एक व्यक्ति कभी सेक्युलर हो ही नही सकता' | अब सामान्य सवाल यह है कि क्यों एक व्यक्ति सेक्युलर नही हो सकता? तो जबाब यह है कि एक व्यक्ति सेक्युलर इसलिए नही हो सकता क्योंकि वह राज्य या देश नही है ना ही वह सरकार है बल्कि वह तो राज्य या देश का निवासी है या हो सकता है कि सरकार का हिस्सा भी हो | 

राज्य 

     राज्य देश का एक हिस्सा होता है या वह कभी-कभी एक स्वतंत्रता देश भी हो सकता है | राज्य कि एक सीमा होती है एक सैनिक व्यवस्था होती है एक प्रशासक होता है | सामान्यत: राज्य देश का एक हिस्सा ही होता है वह देश नही होता | अंग्रेजी में आप सब जानते हैं स्टेट (State) कहा जाता है |

देश 

     देश कई राज्यों का एक समूह है जिसकी एक निर्धारित सीमा होती है सीमा सुरक्षा के लिए सेना होती है राजतन्त्र हो तो राजा एवं उसके प्रशासक देश पर शासन करते हैं या लोकतंत्र हो तो एक संविधान होता है जनता के द्वारा चयनित एक सरकार होती है जो प्रशासन का कार्यभार संभालती है | देश को अंग्रेजी में कन्ट्री (Country) कहा जाता है | यहां यह भी नोट करना चाहिए कि देश राष्ट्र नही होता |

राष्ट्र 

     राष्ट्र , ना तो राज्य है और ना ही देश है | राष्ट्र को किसी सीमा से नही बांधा जा सकता ना तो राष्ट्र का कोई प्रशासक होता है और ना ही कोई सेना | राष्ट्र किसी संविधान से नही चलता बल्कि राष्ट्र चलता है तो अपनी आस्था पर परम्पराओं पर संस्कारों पर अपने नैतिक , मौलिक और सामाजिक मूल्यों पर | किसी राष्ट्र को एक महान राष्ट्र उस राष्ट्र की राष्ट्रीयता को धारण करने वाले राष्ट्रीय बनाते हैं | एक देश में कई सारे राष्ट्र रह सकते हैं मगर एक राष्ट्र में कई सारे देश नही रह सकते | संपूर्ण विश्व में भारत ही एक  मात्र ऐसा देश है जहां कई सारे राष्ट्र एक साथ मिलकर रहते हैं जिनकी कोई सीमा नही है | अंग्रेजी में राष्ट्र को नेशन (Nation) कहते हैं | 

नागरिकता

     नागरिकता किसी राज्य या देश का पहचान होती है | नागरिकता को अंग्रेजी में सिटीज़नशिप (Citizenship) या स्टेटहूड (Statehood) कहा जाता है | किसी व्यक्ति की नागरिकता इस बात का प्रमाण है कि वह किस देश या राज्य का निवासी है |

राष्ट्रीयता 

     राष्ट्रीयता किसी राष्ट्र का पहचान होती है | राष्ट्रीयता को अंग्रेजी में नेशनलटी (Nationality) कहा जाता है | राष्ट्रीयता आमतौर पर किसी व्यक्ति के सामाजिक पक्ष की पहचान कराती है | इसे मैं इस तरह से कहना चाहूंगा की नागरिकता , राष्ट्रीयता नही होती |


Wednesday, February 3, 2021

अप्रकाशित सत्य 18 , खालिस्तान क्या है ? सिख विरोधी दंगा या नरसंहार 1984 पर विस्तार पुर्वक चर्चा एवं विश्लेषण |

 

     कुछ दिनों से मिडिया में एक शब्द लगातार सुनाई दे रहा है तथा 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रेक्टर रैली के नाम पर हुई हिंसा में भी इसके समर्थकों का होना कहा जा रहा है वो शब्द है 'खालिस्तान' | तो आइए जानते हैं की ये खालिस्तान क्या है ?|

     जैसा की मैं ने अपने पिछले लेख में बताया था कि सिख पंथ का उदय हिन्दुओ(स्नातनियों) की विदेशी आक्रांताओं से सुरक्षा के लिए हुआ था |मगर 1947 में जब भारत का विभाजन पंथ के आधार पर हुआ तो सिख पंथ के कुछ लोगों में भी दबे स्वरों में अलग देश की मांग उठने लगी थी और यह तब से लेकर 1980 तक दबे हुए स्वरों में ही थी |

     अकाली दल ने पंजाब राज्य की मांग की थी इसी के परिणामस्वरुप 1966 में भाषा के आधार पर दो राज्य पंजाब एवं हरियाणा तथा एक केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ का गठन हुआ था |

खालिस्तान क्या है ?

     खालिस्तान आंदोलन एक सिख अलगाववादी आंदोलन था जो पंजाब क्षेत्र में 'खालिस्तान (खालसा की भुमि)' नामक अलग संप्रभु देश बनाना चाहता था | 

     कहा जाता है कि खालिस्तान की मांग 1980 से जोर पकड़ने लगी थी परन्तु इसके उलट कुछ किताबों , मिडिया रिपोर्ट्स , तत्कालिन सरकारी अफसरों के विडियों इंटरव्युस के आधार पर कहा जाए तो खालिस्तान कांग्रेस पार्टी के कुछ मुख्य नेताओं के द्वारा शुरु किया गया मसला था ताकि इसका फायदा पंजाब के आने वाले चुनाव में उठाया जा सके | इसी कडी़ में कहा जाता है कि कांग्रेस पार्टी के इन्हीं कुछ मुख्य नेताओं के द्वारा दमदमी टकसाल के 'जनरैल सिंह भिंडरावाला' को बढावा दिया गया था | 

     वर्तमान समय में भारत में खालिस्तान आंदोलन का कोई अस्तीत्व नही है | परन्तु खबरों के अनुसार कुछ विदेशों जैसे कनाडा , UK , संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में रहने वाले कुछ सिखों में इसका प्रभाव दिखता है और इसके पिछे भी भारत देश के दुश्मनों का हाथ माना जाता है | 

ऑपरेशन ब्लूस्टार क्या है ?

     साल 1984 में 1 जुन से लेकर 8 जुन के बीच स्वर्ण मंदिर मे छिपे भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए तत्कालीन केन्द्र सरकार के आदेश पर चलाया गया सैन्य अभियान था | 

     6 जुन 1984 को स्वर्ण मंदिर के भीतर भारतीय सेना द्वारा एक व्यापक अभियान चलाया गया और अलगाववादी आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाला तथा उसके समर्थकों को मार गिराया गया | 7 जुन 1984 को स्वर्ण मंदिर भारतीय सेना के नियंत्रण में आ गया | 

     ऑपरेशन ब्लूस्टार में भारतीय सेना के कुल 83 जवान वीरगती को प्राप्त हूए तथा कुल 493 खालिस्तानी समर्थक एवं आमजन मारे गए | 

सिख विरोधी दंगा या नरसंहार 1984 ?

     इसी ऑपरेशन के कारण उत्पन्न हुई सरकार विरोधी एवं भारत विरोधी भावनाओं का परिणाम था की 4 महीने बाद 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन कांग्रेसी केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को उनके ही 2 सिख सुरक्षा गार्डों ने गोली मारकर हत्या कर दी | 

     तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली समेत पुरे भारत में सिखों के विरुद्ध व्यापक दंगे हूए या यू कहे तो नरसंहार हुआ | इस नरसंहार में सरकारी आंकडो़ के अनुसार 4 हजार से ज्यादा सिख और हिन्दु मारे गए जबकि तत्कालीन कुछ बुद्धिजीवियों का मानना है कि यह संख्या 15 हजार से लेकर 26 हजार के बीच थी | 

      भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली समेत पुरे भारत में सिखों के विरुद्ध जो व्यापक दंगे हूए कुछ किताबों , मिडिया रिपोर्ट्स , तत्कालिन सरकारी अफसरों के विडियों इंटरव्युस के अनुसार कहें तो इसे भी कांग्रेस समर्थीत बताते हैं | यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है |

 परन्तु परिस्थितियां चाहे जो रही हो राजनीतिक महत्वाकांक्षाए या मजबूरी मगर सत्य तो यह है की 1984 का सिखों तथा हिन्दुओं का सामूहिक नरसंहार मानवता के माथे पर एक काला धब्बा है जिसे शायद समय ही भर पाए | मानवता को ही किसी देश की सफलता का आधार होना चाहिए और हमें गर्व होना चाहिए की भारत सदा से ही साझा मानव संस्कृतियों का पोषक रहा है |


 

Tuesday, January 12, 2021

अप्रकाशित सत्य 17 , स्वामी विवेकानन्द का स्नातनी नजरिया


     कक्षा पांचवी से लेकर दसवी तक मैने जिस स्कूल में पढा़ है उसका नाम है स्वामी विवेकानन्द स्कूल कुछ तो यह भी वजह है कि मेरे मन में तभी से स्वामी विवेकानन्द को जानने की इच्छा होती थी धीरे धीरे , जैसे जैसे में स्वामी विवेकानन्द को पढ़ता गया मेरी इन्हे और जानने की इच्छा बढ़ती गई |

     स्वामी विवेकानन्द को इतना पढ़ने के बाद मैने जाना के स्वामी विवेकानन्द का पुरा जीवन ही स्नातन धर्म का वह नजरिया है जो कहीं न कहीं अभी तक छुपा है बावजूद इसके की स्वयं स्वामी विवेकानन्द ने अपने जीवन काल में इसी का प्रचार प्रसार किया और आम जन तक स्नातक का दर्शन पहुचाया |

      शिकांगों के विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानन्द का दिया वो ऐतिहासिक भाषण सबने पढा़ एवं सुना होगा स्नातन का प्रमुख विचार है जो सर्व धर्म समभाव का परिचायक है जो अपनी जन्मभूमि को मां मानता है | स्नातन धर्म जीवन के हर क्षण में प्रकृति से प्रेम की सिख देता है |

      आज के आधुनिक समय और समाज में जीवन के कई संघर्षों में हमारी युवा पीढी़ के सामने खडी़ कई चुनौतीयों में एक चुनैती अपना आदर्श चुनने की भी है यदि सही आदर्श चुनना चुनैती नही होती तो देश के एक बडे़ शिक्षा संस्थान में वहा के छात्रों द्वारा स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा नही तोडी़ जाती | विचारधारा कि विभिन्नता के कारण कुछ लोगों को लगने लगा है कि स्वामी विवेकानन्द केवल स्नातनियों या हिन्दूओं के हैं जबकि यह विचार सर्वथा गलत है स्वामी विवेकानन्द सम्पुर्ण भारत ही नही सारी मानवता के हैं |