Friday, February 11, 2022

असंपादित सत्य 04 , क्या आप ज्योतिषशास्त्र और वास्तुशास्त्र के बारे में जानते हैं ? , इससे भी बड़ा सवाल ये की क्या आप इनमें विश्वास करते हैं ? , हां या नही , अगर नही' , बॉलीवुड नही करता इसीलिए ना |

      'क्या मां दुनियां चांद पर जा रही है और आप हैं कि कुण्डली में अटकी हुई हैं' इस डायलौग को हम सब ने टीवी और फ़िल्मों में सुना है , जब भी किसी टीवी सीरियल या फिल्म में विवाह के लिए मां लड़की की कुण्डली मिलाने को कहती है तो हीरो की तरफ से बोला गया सबसे पहला संवाद यही होता है | इस संवाद को कहकर हीरो यह दिखाने की कोशिश करता है कि वह आधुनिक युग का है और वह इस पुराने अंधविश्वास को नही मानता उसके हिसाब से कोई पंडित यह कैसे बता सकता है कि आगे आने वाली जिंदगी में उसके लिए कौन अच्छा रहेगा कौन नही | 


     अगर उपरी तौर पर देखा जाए तो यह हमारे उस बहुत बड़े आयु वर्ग और जनसंख्या वर्ग के लिए हैं जिन्होंने ज्योतिषशास्त्र के बारे में कभी सुना ही नहीं है जिसे केवल वैदिकशास्त्र जानने वाले कुछ ज्योतिषाचार्य ही जानते हैं | क्योंकि बॉलीवुड के मूल में सनातन विरोध रहा है जो अब साबित हो रहा है इसलिए वह बीना सच जाने या सामान्य जन मानस को इसकी सच्चाई बताए इसे नकार देता है और इसके विरुद्ध प्रचार करता है जो की बहुत ही तर्कहीन और सतही है | 


किसी भी बात को स्वीकारने या नकारने से पहले हमे ये जानना चाहिए कि आखिर ज्योतिषशास्त्र और वास्तुशास्त्र होता क्या है 


ज्योतिषशास्त्र क्या होता है? 


     जैसा की हम जानते हैं कि ज्योतिष शास्त्र एक बहुत ही वृहद ज्ञान है। सामान्य भाषा में कहें तो ज्योतिष माने वह विद्या या शास्त्र जिसके द्वारा आकाश स्थित ग्रहों, नक्षत्रों , तारों आदि की गति, परिमाप, दूरी इत्या‍दि का निश्चय किया जाता है।


     ज्योतिष शास्त्र की व्युत्पत्ति 'ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्रम्‌' की गई है। हमें यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि ज्योतिष भाग्य या किस्मत बताने का कोई खेल-तमाशा नहीं है। यह विशुद्ध रूप से एक विज्ञान है। ज्योतिष शास्त्र वेद का अंग है। ज्योतिष शब्द की उत्पत्ति 'द्युत दीप्तों' धातु से हुई है। शब्द कल्पद्रुम के अनुसार ज्योतिर्मय सूर्यादि ग्रहों की गति, ग्रहण इत्यादि को लेकर लिखे गए वेदांग शास्त्र का नाम ही ज्योतिष है।


वास्तुशास्त्र क्या होता है?


     वास्तु का शाब्दिक अर्थ निवासस्थान होता है। इसके सिद्धांत वातावरण में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं। जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश इन पाँचों तत्वों का हमारे कार्य प्रदर्शन, स्वभाव, भाग्य एवं जीवन के अन्य पहलुओं पर पड़ता है। यह विद्या भारत की प्राचीनतम विद्याओं में से एक है जिसका संबंध दिशाओं और ऊर्जाओं से है। इसके अंतर्गत दिशाओं को आधार बनाकर आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जाओं को कुछ इस तरह सकारात्मक किया जाता है, ताकि वह मानव जीवन पर अपना प्रतिकूल प्रभाव ना डाल सकें। 


     विश्व के प्रथम विद्वान वास्तुविद् विश्वकर्मा के अनुसार शास्त्र सम्मत निर्मित भवन विश्व को सम्पूर्ण सुख, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति कराता है। जगत और वास्तु शिल्पज्ञान परस्पर पर्याय है।वास्तु एक प्राचीन विज्ञान है। हमारे ऋषि मनीषियो ने हमारे आसपास की सृष्टि मे व्याप्त अनिष्ट शक्तियो से हमारी रक्षा के उद्देश्य से इस विज्ञान का विकास किया। वास्तु का उद्भव स्थापत्य वेद से हुआ है, जो अथर्ववेद का अंग है। इस सृष्टि के साथ साथ मानव शरीर भी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है और वास्तु शास्त्र के अनुसार यही तत्व जीवन तथा जगत को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक है |


     इस तरह हम ये देख सकते हैं की ज्योतिषशास्त्र और वास्तुशास्त्र पुर्ण रुप से प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान का हिस्सा हैं इसमें कुछ भी कल्पना या अंधविश्वास नही है | यह वैदिक ज्ञान की विरासत है और यह पुर्ण रुप से वैज्ञानिक है | 

Wednesday, February 2, 2022

असंपादित सत्य 03 , मेरी नजर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बो बातें जो उन्हें अपने समय के बाकी सभी नेताओं से श्रेष्ठ बनाती हैं |


     हालही में भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर कुछ अहम फैसले किए हैं जिससे नेताजी को लेकर पूरे देश में चर्चाएं हो रही हैं | जिनमें से पहला फैसला ये है कि अब से गणतंत्र दिवस की शुरुआत नेताजी की जन्म जयंती यानी की 23 जनवरी से होगी और दुसरा और सबसे बड़ा फैसला ये है कि इंडिया गेट के सामने की कनोपी जहां 1968 तक महाराजा जार्ज पंचम की मूर्ति लगी थी वहां अब ग्रेनाइट की नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगेगी अभी वहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया है |


     नेताजी से जुड़े तथ्यों पर बात की जाय तो उनके कांग्रेस के अध्यक्ष पद त्यागने से लेकर फिर आईएनए (इंडिया नेशनल आर्मी) और फिर प्लेन क्रैश में उनके निधन तक सब जानते हैं और अब तो इस पर बहुत बातें हो भी रही हैं | यहां मै ये बताता चलूं की उनकी प्लेन क्रैश में निधन होने की सत्यता पर काफी विवाद हैं और बहुत बड़ी तादाद में लोग इसे नही मानते जिनमें से मै भी हूं और इस पर काफी किताबें भी लिखी जा चुकी हैं | मगर आधिकारिक तौर पर भारत सरकार अब तब प्लेन क्रैश में उनकी मौत हो जाने को ही मानती है तो हम भी अपनी बात वही तक सीमित रखते हैं |


     हमारे भारतीय समाज में त्याग करने वाले की सर्वथा स्वीकार्यता और सम्मान मिला है प्रभु श्री राम भी शायद इसी लिए पूजनीय हैं कि उन्होंने त्याग किया और जब अपनी पत्नी की सुरक्षा का प्रश्न आया तो सन्यासी होने के बावजूद भी युद्ध किया है और शक्तिशाली और अतातायी राक्षसों का अंत किया | ये गुण नेताजी में भी पल्लवित होते हैं | नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी कई त्याग किए जिसमें उनका आईसीएस जो आज के आईएएस के समान थी पास करने के बाद भी त्याग देना और देश सेवा में संलग्न होना या फिर कांग्रेस के अध्यक्ष पद का त्याग करना हो आदि और जब उन्हें लगा कि अपनी भारत माता की स्वतंत्रता अहिंसा के बल पर मिल पाना संभव नहीं है तो फिर युद्ध का मार्ग चुनते हुए अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लड़ने का निर्णय करना |


     सब को साथ लेकर परस्पर आपसी सहयोग की भावना का गुण और प्रेरणादायी विचारों के साथ जनसामान्य से संवाद स्थापित कर लेने का वो गुण ही था जिससे प्रवासी भारतीययों ने नेताजी की आईएनए को धन का दान दिया और 1944 के समय में भी उनकी आईएनए में रानी झींसी ब्रिगेड बनी | यह कुछ ऐसे गुण हैं जो शायद नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अलावा किसी समकालीन नेता में नही थे यह मै अपने अब तक के अध्ययन के आधार पर लिख रहा हूं यह हो सकता है कि मेरे अध्ययन का दायरा अभी बहुत छोटा हो या आप मुझसे सहमत ना हो मै आपकी असहमति को सहर्ष स्वीकार करता हूं |