Sunday, January 20, 2019

स्तंभ जीवन मूल्य, हर रिश्ते को बराबर समझना जरुरी है

    इसका जबाब तो यू दिया जा सकता है कि बेटे की शादी के बाद हर मां को अपने बेटे से ये शिकायत होती है कि उनका बेदा अब उन्हें पहले जितना प्यार नही करता अब तो वह पत्नी के इशारों पर चलता है |

    इसका मतलब ये है कि हर मां को यह लगता है कि उनका बेटा केवल एक ही रिश्ते को ज्यादा महत्व दे रहा है बाकी रिश्तों को कम |

    ये तो सर्वथा सत्य है कि अगर आप तराजू के केवल एक ही पलडे पर वजन रखेंगे तो दुसरा पलडा एक तरफा उठ जाएगा ऐसी स्थिति में संतुलन हो पाना नामुमकिन है | अगर आप संतुलन चाहते हैं तो आपको दोनों पलड़ो में बराबर वजन रखना पड़ेगा |

    यही सत्य रिश्तों की कसौटी पर भी आरोपित होता है | एकतरफा मोह अक्सर नाराजगी की वजह बनता है | अगर जीवन में संतुलन चाहिए तो हर रिश्ते को बराबर समय एवं प्यार देने की जरुरत है |

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    इस स्तंभ को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

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