कुछ दिनों से मध्यप्रदेश में ओबीसी समाज के आरक्षण को बढ़ाने के लिए किए जाने वाले प्रयास के तहत मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा उच्चतम न्यायालय में पेश किये गए हलफनामे के बाद सोशल मीडिया पर कुछ सवर्ण बुद्धजीवी ने भाजपा को 2019 में सवर्ण रोष के कारण हार का सामना करना पड़ा था ऐसा लिख रहे हैं तो मैं उन्हें एक सच से अवगत कराना चाहता हूं की 2019 में बीजेपी 5-7% सवर्णों के रोष के कारण नहीं हारी थी बल्कि कांग्रेस पार्टी और कमलनाथ के किसानों के कर्ज माफ और बिजली का बिल माफ के वादे पर जीती थी और जो वादा कमलनाथ ने पुरा किया था जमीनी स्तर पर भी वो अमल में आया था तो गलतफहमी नही पालनी चाहिए खासकर मध्यप्रदेश को लेकर। और हां 2019 में भाजपा राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी हारी थी तो वहा कौन से आरक्षण को लेकर सवर्ण नाराज़ थे।
अब यही स्वघोषित सवर्ण भाजपा हितैषी जिस ओबीसी महासभा को एकदम से कांग्रेस समर्थक कह दे रहें हैं उसी ओबीसी महासभा ने पुरे राज्य में 2014 में और उसके बाद सभी लोकसभा चुनावों में मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए हजारों ब्लाक स्तर की सभाएं की हैं और 2024 के परिणाम आपके सामने हैं मध्यप्रदेश कि 29 की 29 लोकसभा सीटें भाजपा ने जीती। और एक तथ्य शिवराज सिंह चौहान लगातार मध्यप्रदेश में इसलिए भी जितते रहे क्योंकि मध्यप्रदेश में वो स्वयं को ओबीसी समाज का हितैषी ऐसा जताते रहे थे और मध्यप्रदेश के लोग दिग्विजय सिंह के कुप्रसासन और उनके समर्थकों के अत्याचारों से त्रस्त थे और दिग्विजय सिंह सवर्ण हैं मुझे लगता है मुझे ये बतानें कि आवयश्कता नही है। गुजरात में मोदीजी को भी तथ्य में रखना चाहिए वो भी गुजरात में लगातार जीतते रहे ओबीसी समाज से आते हैं।
पता नही हर सवर्ण बुद्धजीवी और चिंतकों को ये भ्रम या कहें कि अहंकार क्यों हों जाता है कि हम नहीं तों भाजपा कुछ नहीं। यहां मैं लिखना नहीं चाह रहा था लेकिन जब मैंने इन बुद्धिजीवियों से भाजपा के 2019 का मध्यप्रदेश का चुनाव हारने का कारण सवर्ण रोष बताते हुए पढ़ा तो मुझे लगा मुझे सच्चाई लिखनी चाहिए। एक तथ्य और इन बुद्धिजीवियों को नहीं भुलना चाहिए कि 2014 से पहले भाजपा को ब्राह्मण बनिया पार्टी कहा जाता था और उससे पहले जब केन्द्र सरकार में थे तो कितनी सीटों के साथ थे ये हम सब जानतें हैं और जब एक ओबीसी के व्यक्ति यानी मोदीजी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो उसके बाद का परिणाम भी हम सब जानतें हैं। रही बात 2024 की तों भाजपाई ये जानतें हैं कि उत्तरप्रदेश और राजस्थान में क्या हुआ था। मैं किसी भी तरह से सवर्ण विरोधी नहीं हूं और ना इसकी कोई आवश्यकता समझता हूं। मध्यप्रदेश में ओबीसी समाज 55-60% है और 14% का आरक्षण इसके लिए ऊट के मूंह में जीरा बराबर भी नहीं है तो इसे हर हाल में बढ़ाया जाना ही चाहिए।
कुछ सवर्ण चिंतक और स्वघोषित हितैषी लगातार ये दुष्प्रचार कर रहे हैं या दुसरे शब्दों में कहें तो धमकी दे रहे हैं कि सवर्ण तो भाजपा को 80-90% वोट देता है भाजपा को अपने कोर वोटर को नारज करके बहुत बुरा परिणाम मध्यप्रदेश में भुगतान पड़ सकता है तो उन लोगों को मैं सामान्य गणित समझाना चाहूंगा कि 20% का 90% भी मात्र 18 वोट ही होगा और 50% का 50% भी 25 वोट होगा। तो 25 वोट अधिक हैं या 18 वोट। भारत में चुनाव संख्या बल से जीता जाता है ना कि मत प्रतिशत से तो ये तर्कहीन बात करना बंद कर देना चाहिए सवर्ण बुद्धजीवी को। मुझे यकिन है कि भाजपा का केन्द्रीय नेत्तृत्व भी यह सामान्य गणित समझता होगा और राज्य का भी पर सवर्ण बुद्धिजीवियों को अभी भी भाजपा का कोर वोटर होने का अहम है या वो ऐसा दिखावा करते हैं लेकिन सच्चाई इससे उलट है। मुझे लगता है कि राज्य सरकार को इस दबाव में आए बीना ओबीसी समाज को उसका हक दिलाने का प्रयास जारी रखना चाहिए।
वर्तमान में ओबीसी आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश में जो व्यवस्था है इससे लाखों कि संख्या में ओबीसी छात्र प्रभावित हो रहें हैं तो इसका समाधान निकालना ही चाहिए। अपेक्षा कि जा रही है कि माननीय उच्चतम न्यायालय एक सकारात्मक पथ प्रदान करें जो लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करे।
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