Sunday, January 20, 2019

स्तंभ दरार, रिश्ते में दूरियां आने की वजहें

   रिश्ते में दूरियां आने की कई बजहे हो सकती हैं | जिनमें से सबसे बड़ी बजह गलतफ़हमी है | गलतफ़हमी किसी भी तरह के रिश्ते को सिरे से बर्बाद कर सकती है | इसलिए अगर आपको ये लग रहा हो के आपके रिश्ते में गलतफ़हमी हावी हो रही है तो समझदारी इसी में है के समय रहते गलतफ़हमी दूर कर ली जाए तो |

    किसी रिश्ते में दूरियां आने की दूसरी वजह ये हो सकता है कि किसी विषय को लेकर आपके एवं जिनसे आपका रिश्ता है के बीच में मदभेद हो | मदभेद को सुलझाने का एक तरिका ये है की आप एक साथ बैठकर मदभेद को कम करने की कोशिश करें या उस विषय को ही छोड़ दें जो मदभेद का कारण है |

    इन कारणों के अलावा तीसरा करण ये हो सकता है कि किसी के स्वाभिमान को ठेस पहुँची हो | इस स्थिति में अदर आपको ये लगता है कि कि आपकी किसी हरकत की वजह से किसी के स्वाभिमान को ठेस पहुँची है तो आपको उस व्यक्ति विशेष से माफी मांगनी चाहिए एवं अपने रिश्ते को बेहतर बनाने की पहल करनी चाहिए |

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    इस स्तंभ को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |  

स्तंभ दरार, एक चीज है जो किसी भी रिश्ते को तुरंत खत्म कर सकती है

     रिश्ते की उम्र उसके प्रकार एवं लोगों के स्वभाव पर निर्भर करता है क्योंकि रिश्ता अगर खून का है तो जाहिर सी बात है कि उसकी उम्र ज्यादा होगी |

    मां बाप, भाई बहन और इस तरह के रिश्ते कुछ ये रिश्ते हैं जिन्हें कोई इंसान अपनी मर्जी से नही चुन सकता मगर दोस्ती एवं शादी के रिश्ते एक इंसान खुद चुन सकता है |

    इंसान का खुद का चुना रिश्ता कितना निभेगा वह इंसान की समझदारी एवं संयम पर निर्भर करता है | रिश्ता जो भी हो उसमे विश्वास एवं निष्ठा होनी ही चाहिए |

    यह भी ध्यान रखे की आपका रिश्ता किसी गलतफहमी या शक का शिकार ना हो क्योंकि कैंसर का इलाज है मगर गलतफ़हमी और शक का कोई इलाज नही है |

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लेख, इतिहास को छेड़ने के सन्दर्भ में

     अगर कोई समाज तरक्की की राह पर चलता है तो उस समाज की तरक्की में एक दो नही बल्की कई पीढ़ी का योगदान होता है और हर योगदान का महत्व समय की किताब में भी है और इंसानी किताबो में भी |

    इतिहास का लेखन हो चुका है तो उसे किसी के भी जरिए किसी भी तरह से और किसी भी स्वार्थ की सफलता के लिए बदला नही जा सकता मगर इतिहास को पढ़ने का तरीका बदला जा सकता है मसलन अगर किसी को किसी जती विशेष को खुला करना है तो वह उस जाती विशेष के इतिहास को बढा चढ़ा कर प्रस्तुत करेगा | ये ख़ासियत अक्सर राजनीति में देखी जा सकती है |

    स्वार्थ साधना में इतिहास का उपयोग अनुवाद के रुप में भी होता है | अपने नीजी हीतोॉ के लिए कोई अनुवादक किसी विशेष भाषा के इतिहास के उन पन्नों को अनुवादित करता है जो उसे आर्थिक या सामाजिक रुप से समाज में कोई विशेष स्थान या ख्याति दिला सके |

     अब तो फिल्मों एवं टीवी सीरियलों में भी निर्माताओं में इतिहास को उपयोगी बनाने की होड सी लग गयी है और हर निर्माता निर्देश इतिहास को अपने तरीके से बदल रहा है और इस बदलाव को रचनात्मक का चोला ओढा दिया जाता है | इसका हालिया उदाहरण फिल्म पद्मावत के रुप में देखा जा सकता है |

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