डॉ अंबेडकर साहब ने खुद एक जगह कहा है कि संविधान बनाने का पुरा श्रेय मेरा नही है इसमे बीएन राव की महत्वपूर्ण भूमिका है और जब संविधान बनकर तैयार हो गया था तब संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने डॉ अम्बेडकर का विशेष धन्यवाद किया था संविधान निर्माण मे उनके अहम योगदान के लिए यह भी तध्य है जिसे कोई नकार नहीं सकता। बाबा साहब डॉ अंबेडकर के नाम की राजनीति करने वालों ने इनका स्तर इतना नीचे गिरा दिया है कि हर ऐरा गैरा उनकी आलोचना करने लगा या स्पष्ट कहें तो अपशब्द कहने लगा है सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए।
बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जितना खुला और बेबाक सच बोलने वाला व्यक्ति आधुनिक भारत के इतिहास में उनके अलावा दुसरा नहीं मिलेगा ये बात मैं पुरे विश्वास से कह सकता हूं। बाबा साहब डॉ अंबेडकर ने जो भी सोचा उसे लिखा और बोला चाहे वो गांधी को लेकर हो, दलितों को लेकर हो,मुसलमानों को लेकर हो, हिन्दू धर्म छोड़ने और बौद्ध धर्म अपनाने को लेकर हो या भारत के विभाजन को लेकर हो।
हर बार जब भी कोई हिन्दू धर्म को लेकर विवाद होता है तो तुरंत ये कहा जाता है कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने मनुस्मृति जलाई थी लेकिन कोई ये नहीं बताता की जब 1953-54 में हिन्दू कोड बिल लाया गया था तो इसके विरोध में बाबा साहब अंबेडकर ने कैबिनेट छोड़ दिया था क्योंकि उनका मानना था कि सुधारों की जरुरत हर समाज में है मुसलमानों में भी, लेकिन हिन्दू कोड बिल केवल हिन्दुओं के लिए लाया जा रहा है और इसे पारित भी नही करवाया जा सका। यही नहीं बाबा साहब अंबेडकर ने एक जगह यह भी कहा है कि उन्हें संस्कृत पढ़ने में महारत नही है लेकिन वह पढ़ सकते हैं उन्होंने जो अपनी किताबें लिखी है या जितना हिन्दू धर्म को समझा है वो अंग्रेजी के अनुवादों के अनुसार भी समझा है और इसके बारे मे लिखा और पढ़ा जा सकता है।
संविधान में अनुच्छेद 370 जोड़ने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था बाबा साहब ने। कुछ ही दिनों के बाद जो संविधान बना था उससे बाबा साहब स्वयं नाखुश हो गए थे और इसकी आलोचना की थी। 32 डिग्रियां हासिल करने वाला और 12 से अधिक किताबों की रचना करने वाला विलक्षण और बहुमुखी प्रतिभा का धनी वो भारत रत्न महापुरुष कुछ राजनैतिक स्वार्थों के लालची नेताओं के कारण इन अनायास आलोचना का शिकार हो रहा है।
जो भी लोग डॉ भीमराव अंबेडकर को लेकर कोई धारणा बना रहे हैं या कोई आलोचना कर रहे हैं या फिर उन्हें समझना चाहते हैं तो मेरा उनसे विनम्रता से आग्रह है कि पहले अच्छी तरह से डॉ भीमराव अंबेडकर को पढ़िए और फिर कोई धारणा बनाइये अब तो उनका पुरा कलेक्टिव वर्क हिन्दी अंग्रेजी समेत कई भाषाओं में उपलब्ध है और वो भी नहीं कर पा रहे हैं तो चैटजीपीटी से पुछ लिजिए।