सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

लेख - स्वयं सम्पादकीय 04, सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की चाहत और डॉ भीमराव अम्बेडकर के नाम का दुरुपयोग और भारतीय राजनीति पर एक आलोचना।

 

        डॉ अंबेडकर साहब ने खुद एक जगह कहा है कि संविधान बनाने का पुरा श्रेय मेरा नही है इसमे बीएन राव की महत्वपूर्ण भूमिका है और जब संविधान बनकर तैयार हो गया था तब संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने डॉ अम्बेडकर का विशेष धन्यवाद किया था संविधान निर्माण मे उनके अहम योगदान के लिए यह भी तध्य है जिसे कोई नकार नहीं सकता। बाबा साहब डॉ अंबेडकर के नाम की राजनीति करने वालों ने इनका स्तर इतना नीचे गिरा दिया है कि हर ऐरा गैरा उनकी आलोचना करने लगा या स्पष्ट कहें तो अपशब्द कहने लगा है सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए। 


     बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जितना खुला और बेबाक सच बोलने वाला व्यक्ति आधुनिक भारत के इतिहास में उनके अलावा दुसरा नहीं मिलेगा ये बात मैं पुरे विश्वास से कह सकता हूं। बाबा साहब डॉ अंबेडकर ने जो भी सोचा उसे लिखा और बोला चाहे वो गांधी को लेकर हो, दलितों को लेकर हो,मुसलमानों को लेकर हो, हिन्दू धर्म छोड़ने और बौद्ध धर्म अपनाने को लेकर हो या भारत के विभाजन को लेकर हो। 


     हर बार जब भी कोई हिन्दू धर्म को लेकर विवाद होता है तो तुरंत ये कहा जाता है कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने मनुस्मृति जलाई थी लेकिन कोई ये नहीं बताता की जब 1953-54 में हिन्दू कोड बिल लाया गया था तो इसके विरोध में बाबा साहब अंबेडकर ने कैबिनेट छोड़ दिया था क्योंकि उनका मानना था कि सुधारों की जरुरत हर समाज में है मुसलमानों में भी, लेकिन हिन्दू कोड बिल केवल हिन्दुओं के लिए लाया जा रहा है और इसे पारित भी नही करवाया जा सका। यही नहीं बाबा साहब अंबेडकर ने एक जगह यह भी कहा है कि उन्हें संस्कृत पढ़ने में महारत नही है लेकिन वह पढ़ सकते हैं उन्होंने जो अपनी किताबें लिखी है या जितना हिन्दू धर्म को समझा है वो अंग्रेजी के अनुवादों के अनुसार भी समझा है और इसके बारे मे लिखा और पढ़ा जा सकता है। 


     संविधान में अनुच्छेद 370 जोड़ने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था बाबा साहब ने। कुछ ही दिनों के बाद जो संविधान बना था उससे बाबा साहब स्वयं नाखुश हो गए थे और इसकी आलोचना की थी। 32 डिग्रियां हासिल करने वाला और 12 से अधिक किताबों की रचना करने वाला विलक्षण और बहुमुखी प्रतिभा का धनी वो भारत रत्न महापुरुष कुछ राजनैतिक स्वार्थों के लालची नेताओं के कारण इन अनायास आलोचना का शिकार हो रहा है। 


     जो भी लोग डॉ भीमराव अंबेडकर को लेकर कोई धारणा बना रहे हैं या कोई आलोचना कर रहे हैं या फिर उन्हें समझना चाहते हैं तो मेरा उनसे विनम्रता से आग्रह है कि पहले अच्छी तरह से डॉ भीमराव अंबेडकर को पढ़िए और फिर कोई धारणा बनाइये अब तो उनका पुरा कलेक्टिव वर्क हिन्दी अंग्रेजी समेत कई भाषाओं में उपलब्ध है और वो भी नहीं कर पा रहे हैं तो चैटजीपीटी से पुछ लिजिए।

शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

लेख - स्वयं सम्पादकीय 03, मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने का मुद्दा बिहार चुनाव और सवर्ण वोटबैंक की नाराज़गी का डर के हर पहलू पर एक चर्चा।


क्या मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार के द्वारा ओबीसी आरक्षण के लिए उच्चतम न्यायालय में पैरवी करने से भाजपा को बिहार के विधानसभा चुनाव में कोई बड़ा नुक्सान हो सकता है या फिर इसका कोई लाभ हो सकता है इस पर चर्चा होनी चाहिए। कुछ सवर्ण बुद्धजीवी ऐसा कह रहे हैं कि इसका नुकसान होगा भाजपा को और दुसरे पक्ष यानी ओबीसी समाज के चिंतक लाभ होना बता रहे हैं मेरा मानना है इसका प्रभाव बहुत सीमित होगा चाहे भाजपा के पक्ष मे हो या खिलाफ हो। 


मैं इन बुद्धिजीवियों से असहमत होते हुए ये कहता हूं कि बिहार का चुनाव समीप है तो आप ऐसा कह सकतें हैं लेकिन बाकि और कहीं अगर फायदा नहीं होगा तो नुकसान नहीं होगा। 


2026 की जनगणना और 2027 का परिसीमन ध्यान में हैं बीजेपी के शायद और कहीं न कहीं संघ को भी होगा ही। 2024 के लोकसभा चुनावा परिणामों से विशेष समुदाय के वोट बैक का भ्रम टूट गया है। भाजपा को यह यकिन हो गया है लगता कि 2029 का लोकसभा चुनाव सवर्ण वोटबैंक का भ्रम भी तोड़ देगा और तब तो 33% महिला आरक्षण भी होगा और सभी वर्गों की महिलाओं के लिए होगा। परिसीमन के बाद लोकसभा और विधानसभा साथ ही राज्यसभा कि सदस्य संख्या बढ़ना तय है और यह एससी एसटी वर्ग में तो बढ़ेगी ही साथ ही ओबीसी प्रभावित क्षेत्रों में भी बढ़ेगी तो जो भी दल इन क्षैत्रो कि जनसंख्या को साध पाएगा वही सत्ता पर काबिज होगा और अगर ऐसे मे यदि भाजपा अब भी सवर्ण वोटबैंक के दबाव मे आकर ओबीसी समाज के मांगों और भावनाओं कि उपेक्षा करती है तो यह राजनीतिक रुप से आत्मघाती हो सकता है और यह भी ध्यान मे रखना चाहिए कि केंद्र सरकार ने स्वयं जाती जनगणना कराने को स्वीकार किया है। 


मोहन यादव कैबिनेट तीन बच्चों को स्वीकार्यता देने वाली है मध्यप्रदेश में और यही बात संघ प्रमुख ने पिछले दिनों कही थी तो ये तालमेल कैसे बन रहा है ये भी पुछा जाना चाहिए। ताली एक ही हाथ से बज रही हैं या दोनों हाथों से ये भी पुछा जाना चाहिए। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा खुद को और अपने वोटबैंक को विविधता प्रदान करने का प्रयास कर रही है और मेरा मानना है कि यह बहुत ही उत्तम है हर लिहाज से चाहे राजनीतिक रुप से हो या सामाजिक रुप से यदि आप लगातार सत्ता में बने रहना चाहते हैं तो।

सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

लेख - स्वयं सम्पादकीय 02, ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने का प्रयास सवर्णों के एक वर्ग कि नाराजगी और मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार के मध्य बने त्रिकोण का विष्लेषण।

     कुछ दिनों से मध्यप्रदेश में ओबीसी समाज के आरक्षण को बढ़ाने के लिए किए जाने वाले प्रयास के तहत मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा उच्चतम न्यायालय में पेश किये गए हलफनामे के बाद सोशल मीडिया पर कुछ सवर्ण बुद्धजीवी ने भाजपा को 2019 में सवर्ण रोष के कारण हार का सामना करना पड़ा था ऐसा लिख रहे हैं तो मैं उन्हें एक सच से अवगत कराना चाहता हूं की 2019 में बीजेपी 5-7% सवर्णों के रोष के कारण नहीं हारी थी बल्कि कांग्रेस पार्टी और कमलनाथ के किसानों के कर्ज माफ और बिजली का बिल माफ के वादे पर जीती थी और जो वादा कमलनाथ ने पुरा किया था जमीनी स्तर पर भी वो अमल में आया था तो गलतफहमी नही पालनी चाहिए खासकर मध्यप्रदेश को लेकर। और हां 2019 में भाजपा राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी हारी थी तो वहा कौन से आरक्षण को लेकर सवर्ण नाराज़ थे। 


    अब यही स्वघोषित सवर्ण भाजपा हितैषी जिस ओबीसी महासभा को एकदम से कांग्रेस समर्थक कह दे रहें हैं उसी ओबीसी महासभा ने पुरे राज्य में 2014 में और उसके बाद सभी लोकसभा चुनावों में मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए हजारों ब्लाक स्तर की सभाएं की हैं और 2024 के परिणाम आपके सामने हैं मध्यप्रदेश कि 29 की 29 लोकसभा सीटें भाजपा ने जीती। और एक तथ्य शिवराज सिंह चौहान लगातार मध्यप्रदेश में इसलिए भी जितते रहे क्योंकि मध्यप्रदेश में वो स्वयं को ओबीसी समाज का हितैषी ऐसा जताते रहे थे और मध्यप्रदेश के लोग दिग्विजय सिंह के कुप्रसासन और उनके समर्थकों के अत्याचारों से त्रस्त थे और दिग्विजय सिंह सवर्ण हैं मुझे लगता है मुझे ये बतानें कि आवयश्कता नही है।  गुजरात में मोदीजी को भी तथ्य में रखना चाहिए वो भी गुजरात में लगातार जीतते रहे ओबीसी समाज से आते हैं। 


    पता नही हर सवर्ण बुद्धजीवी और चिंतकों को ये भ्रम या कहें कि अहंकार क्यों हों जाता है कि हम नहीं तों भाजपा कुछ नहीं। यहां मैं लिखना नहीं चाह रहा था लेकिन जब मैंने इन बुद्धिजीवियों से भाजपा के 2019 का मध्यप्रदेश का चुनाव हारने का कारण सवर्ण रोष बताते हुए पढ़ा तो मुझे लगा मुझे सच्चाई लिखनी चाहिए। एक तथ्य और इन बुद्धिजीवियों को नहीं भुलना चाहिए कि 2014 से पहले भाजपा को ब्राह्मण बनिया पार्टी कहा जाता था और उससे पहले जब केन्द्र सरकार में थे तो कितनी सीटों के साथ थे ये हम सब जानतें हैं और जब एक ओबीसी के व्यक्ति यानी मोदीजी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो उसके बाद का परिणाम भी हम सब जानतें हैं। रही बात 2024 की तों भाजपाई ये जानतें हैं कि उत्तरप्रदेश और राजस्थान में क्या हुआ था। मैं किसी भी तरह से सवर्ण विरोधी नहीं हूं और ना इसकी कोई आवश्यकता समझता हूं। मध्यप्रदेश में ओबीसी समाज 55-60% है और 14% का आरक्षण इसके लिए ऊट के मूंह में जीरा बराबर भी नहीं है तो इसे हर हाल में बढ़ाया जाना ही चाहिए। 


     कुछ सवर्ण चिंतक और स्वघोषित हितैषी लगातार ये दुष्प्रचार कर रहे हैं या दुसरे शब्दों में कहें तो धमकी दे रहे हैं कि सवर्ण तो भाजपा को 80-90% वोट देता है भाजपा को अपने कोर वोटर को नारज करके बहुत बुरा परिणाम मध्यप्रदेश में भुगतान पड़ सकता है तो उन लोगों को मैं सामान्य गणित समझाना चाहूंगा कि 20% का 90% भी मात्र 18 वोट ही होगा और 50% का 50% भी 25 वोट होगा। तो 25 वोट अधिक हैं या 18 वोट। भारत में चुनाव संख्या बल से जीता जाता है ना कि मत प्रतिशत से तो ये तर्कहीन बात करना बंद कर देना चाहिए सवर्ण बुद्धजीवी को। मुझे यकिन है कि भाजपा का केन्द्रीय नेत्तृत्व भी यह सामान्य गणित समझता होगा और राज्य का भी पर सवर्ण बुद्धिजीवियों को अभी भी भाजपा का कोर वोटर होने का अहम है या वो ऐसा दिखावा करते हैं लेकिन सच्चाई इससे उलट है। मुझे लगता है कि राज्य सरकार को इस दबाव में आए बीना ओबीसी समाज को उसका हक दिलाने का प्रयास जारी रखना चाहिए। 


     वर्तमान में ओबीसी आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश में जो व्यवस्था है इससे लाखों कि संख्या में ओबीसी छात्र प्रभावित हो रहें हैं तो इसका समाधान निकालना ही चाहिए। अपेक्षा कि जा रही है कि माननीय उच्चतम न्यायालय एक सकारात्मक पथ प्रदान करें जो लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करे।