Wednesday, June 23, 2021

अप्रकाशित सत्य 22 , क्या कन्या भ्रूण हत्या , बाल विवाह , पर्दा प्रथा , सती प्रथा जैसी कुप्रथाएं वास्तव में प्राचीनकाल से भारतवर्ष में प्रचलित कुप्रथाएं थी या भारतीय स्त्रीयों को विदेशी आक्रमणकारीयों से बचाव का तरीका थी ? आइए विस्तार से जाने |


     जैसा कि हम सब ने अपनी प्राथमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के दौरान शीर्षक में वर्णित सभी कुप्रथाओं के बारे में पढ़ा है और यह भी पढ़ा है कि किस तरह से समय-समय पर कुछ समाज सुधारकों के द्वारा इनका अंत किया गया | मगर क्या यह कुप्रथाएं भारतवर्ष में हमेशा से विद्यमान थी ? मतलब क्या यह सभी कुप्रथाएं प्राचीन भारत में भी थी ? , तो इसका जबाब है , नही | कई शोधी इतिहासकारों ने इस बात को पूरे प्रमाण के साथ साबित किया है कि यह सभी कुप्रथाएं प्राचीन भारत में नही थी |

     अब यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि आखिर जब यह कुप्रथाएं प्राचीन भारत में नही थी तो फिर यह सभी कुप्रथाएं मध्यकालीन भारत में कैसे उत्पन्न हो गयी | इसे समझने के लिए आपको भारत पर हुए बर्बर इस्लामीक आक्रमणों को समझना पड़ेगा | भारत पर सबसे पहला सफल इस्लामीक हमला अरबों का था | 712 ईसवी में मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर हमला तब किया जब सिंध के राजा दाहिर सेन ने पैगम्बर मोहम्मद साहब के परिवारजनों को अपने राज्य में शरण दिया | मोहम्मद बिन कासिम ने 17वी बार में सिंध पर सफलता प्राप्त की और राजा दाहिर सेन को मार डाला तथा राजा के पूरे परिवार के मर्दों को भी मार डाला जिसमें बच्चे भी सम्मिलित थे मगर उसने राजा कि सभी रानीयों तथा उसकी बेटियों को अपना यौन गुलाम बना लिया | यही नही उसने राजा दाहिर की कुछ बेटियों को अमिर अरबों को बेच दिया | यह भी इतिहास है कि जब वह सिंध विजय करने के बाद वापस लौट रहा था तो बहुत अधिक संख्या में धन के साथ-साथ कई हजार सिंधी महिलाओं को भी अपना यौन गुलाम बनाकर ले जा रहा था | कुछ लेखों में इसकी संख्या चार हजार तो कुछ में चालिस हजार तक बताई जाती है |

     तब के बाद से आगे भारत में जितने भी अरब , मंगोल , तुर्क , अफगान या मुगल आक्रमणकारीयों ने आक्रमण किए सब में यही दोहराया जाता रहा जिसमें कि राजा के युद्ध में हार जाने के बाद ये बर्बर आक्रमणकारी न केवल राजा कि रानीयों बेटियों बल्कि युद्ध में मारे गए सैनिकों की पत्नीयों और बेटियों को भी अपना यौन गुलाम बना लेते थे | इतिहास में सैकड़ों बार आपको यह भी देखने को मिलेगा की यह बर्बर आक्रमणकारी पूरे गांव भर के मर्देों एवं दस वर्ष से बड़े लड़को को और बूढी महिलाओं को मार डालाते थे और बाकी सभी औरतों और लड़कीयों को अपना यौन गुलाम और दासीयां बना लेते थे | 

     जब हम बात करते हैं कन्या भ्रूण हत्या की तो यह सबसे पहले भारत के उन क्षेत्रों में प्रारंभ हुई मानी जा सकती है जिस पर इन बर्बर इस्लामीक आक्रांताों ने कब्जा कर लिया | इसकी पर्याप्त संभावना थी की आम जन ने यह सोचकर कन्या भ्रूण हत्या करना आरंभ कर दिया होगा कि ना तो बेटी पैदा होगी या बड़ी होगी और ना ही इसे किसी मलेच्छ की यौन गुलाम बनकर पुरा जीवन जीना पड़ेगा | और अधिक पढ़ने के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

     बाल विवाह भी इसी तरह का बेटियों की अस्मिता की रक्षा का एक प्रयास लगता है जिसमें बेटी को जल्द से जल्द विवाह करके ससुराल भेज दिया जाता था ताकि यदि गांव या नगर पर इन बर्बर आक्रमणकारीयों का हमला हो और यदि पिता को कुछ हो जाए या उसे मार डाला जाए तो कम से कम बेटियों को बचाने के लिए उनका पति और ससुराल पक् के लोग जिम्मेदार हो | भारत के कुछ क्षेत्रों में बहुत कम मात्रा में बाल विवाह आज भी होता है जिसमें बंगाल विहार झारखंड छत्तीसगढ़ समेत कई अन्य राज्य भी सम्मिलित हैं | और अधिक पढ़ने के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

     आप इसी प्रकार के बचाव की भावना सती प्रथा में भी देख सकते हैं जहां स्त्रीयां स्वेच्छा से पति की चिता के साथ जलकर भस्म हो जाती थी ताकि कोई मलेच्छ जीवन भर उनकी अस्मिता से ना खेल सके जो वास्तव में महारानी पद्मावती के जौहर से प्रचलित और प्रेरित मानी जा सकती है और महारानी पद्मावती ने जौहर क्यों किया था आप ये भली भाँति जानते हैं | हां इस बात से इंकार नही है कि शुरुआत में जो बचाव के तरीके थे बाद में वो प्रथा बन गए और फिर इन्होने एक कुरीति का रुप धर लिया |और अधिक पढ़ने के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

     राजस्थान के कुछ जिलों में आज भी घूँघट की परंपरा है यह पर्दा प्रथा का ही एक रुप समझा जा सकता है जिसका मक़सद अनजान पुरुषों से अपने मुख को छुपाना है | इसके मूल में भी यही कट्टर बर्बर इस्लामीक आक्रमणकारीयों से बचाव का उद्देश्य है | दरअसल ये बर्बर इस्लामीक आक्रमणकारी ये करते थे कि जिस क्षेत्र में यह अधिकार स्थापित कर लेते थे वहा अपने सैनिकों को आदेश देते थे की जाओ और पुरा नगर घुमों और जितनी भी सुन्दर स्त्रीयां मिलें उन्हें उठाकर हरम (जहां ये आक्रमणकारी बादशाह अपनी बेगमों और यौन गुलामों को रखते थे) में पहुंचा दो | मैने किसी पुराने लेख में पढ़ा था की मुगल बादशाह जहांगीर के हरम में उसकी 300 बेगमें 5000 यौन गुलाम बनाई गई महिलाएं (रखैलें) और 1000 से ज्यादा कमसिन लड़के रखें गए थे | यह आंकड़े यह बताने के लिए काफी है कि यह बर्बर मुगल आक्रमणकारी किस तरह से हारे हुए राज्य की महिलाओं और यौन गुलाम बनाई महिलाओं को रखते थे | और अधिक पढ़ने के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

     ऐसा ही एक कृत्य आपने सुना होगा जिसमें आक्रांता मुगलों का एक बादशाह अकबर दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में औरतों का अंतरंग मीना बाजार लगाया करता था जिसमें औरतों को यह कहा जाता था की वह अपना चेहरा बीना ढके आए | दरअसल मीना का मतलब सुराही होता है तो मीना बाजार का मतलब सुराहीयों का बाजार या सुराही जैसी महिलाओं का बाजार | कहा तो यह भी जाता है कि इस मीना बाजार में अकबर स्वयं महिला बनकर रहता था और अपने सैनिकों को कहकर अपने पसंद की महिलाओं को अपने हरम तक पहुंचवाता था | इतना जानने के बाद यह समझना बहुत कठिन नही होना चाहिए की आखिर क्यों पर्दा या घूँघट जैसी प्रथाएं प्रचलन में आयी होंगी | और अधिक पढ़ने के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

     आज के आधुनिक समाज में इस तरह की प्रथाओं का कोई स्थान नही हेना चाहिए और यह बहुत सुखद बात है कि इन में से कुछ कुप्रथाएं पुर्ण रुप से समाप्त हो चुकी है और जो थोड़ी बहुत हैं भी वह भी समाप्ति कि ओर बढ़ रही हैं | मगर इन सभी प्रथाओं के हर पहलु को जाने बीना इसे किसी समाज के सम्पूर्ण अस्तित्व पर नही थोपा जाना चाहिए | 







Thursday, June 17, 2021

अप्रकाशित सत्य 21 , शेक्सपियर ने कहा था 'नाम में क्या रखा है', तो आइए चर्चा करते हैं कि नाम में क्या रखा है | आखिर शहरों के नाम बदले जाने पर क्यों होता है विरोध |

अप्रकाशित सत्य 21 , शेक्सपियर ने कहा था 'नाम में क्या रखा है', तो आइए चर्चा करते हैं कि नाम में क्या रखा है | आखिर शहरों के नाम बदले जाने पर क्यों होता है विरोध |


     अक्सर आपने लोगों को ये कहते हुए सुना होगा की शेक्सपियर ने कहा था नाम में क्या रखा है , जब उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर उसका पुराना नाम प्रयागराज रखा था तब हमारे देश में तमाम लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री का विरोध करते हुए यही बात कही थी की नाम क्यों बदल रहें हैं नाम में क्या रखा है , ये तो हिन्दूवादी सरकार है जो इतिहास को खत्म करना चाहती हैं आदी आदी |

     अब जो मुख्य बात है वो यह है कि क्या सच में नाम में कुछ नही रखा | हम सब ने बचपन में संज्ञा कि परिभाषा में यह पढ़ा है कि किसी व्यक्ति वस्तू या स्थान के नाम को संज्ञा कहा जाता है | इसे और अधिक विस्तार देने के लिए मैं आपसे एक प्रश्न पुछना चाहता हूं कि यह जो कोट है 'नाम में क्या रखा है' वो किसका है ? , मै जानता हूं के आप जबाब देंगे यह कोट मशहूर कवि लेखक एवं चिंतक शेक्सपियर का है | अब आप स्वयं सोचीए कि नाम में क्या रखा है आप यह बात उस व्यक्ति के नाम से जानते हैं जिसने इसे कहा है यानी यदि नाम में कुछ नही रखा होता तो शेक्सपियर ने ये कोट लिखने के बाद नीचे ऑथर के रुप में अपना नाम नही लिखा होता |

     एक बार इसी बात को लेकर मेरी एक मित्र के साथ चर्चा हो रही थी तभी उसने भी यही बात कही कि शेक्सपियर ने कहा था की 'नाम में क्या रखा है' तभी मैने तुरंत इसके जबाब में यह बात कहा की तुम्हारा नाम आदित्य है मगर अब से मै तुम्हें बेवकूफ कहूंगा | मेरे इतना कहते ही वह नाराज हो गया और मुझ पर झल्लाने लगा , तब मैने उसे शांति से ये बात कहा कि मेरे दोस्त अभी तुम ही तो कह रहे थे की नाम में क्या रखा है तो फिर मै तुम्हें आदित्य कहूं या बेवकूफ क्या रखा है दोनों नाम ही तो हैं | तब तुम आदित्य कि जगह बेवकूफ को अपना नाम स्वीकार करलो इसके बाद वह कहने लगा के ऐसा कैसे हो सकता है ऐसा हो ही नहीं सकता |

     जी बिलकुल सत्य है ऐसा नही हो सकता गधे को हाथी और हाथी को गधा नही कहा जा सकता जबकि दोनों ही जाति वाचक संज्ञा यानी की नाम ही हैं | यही तर्क है जिसकी वजह से इतिहास में हुई गलतियों को सुधार जा रहा है और सुधारा जाना भी चाहिए | अब तक फैजाबाद को अयोध्या 

इलाहाबाद को प्रयागराज 

गुड़गांव को गुरुग्राम और 

आदी स्थानों के नामों को उनके पुराने या प्रचीन नाम लौटाएं जा चूके है मगर अभी और बहुत कुछ बाकी है जिसे उसकी असली पहचान नही मिली है |

      हमारे देश में बहुत अधिक संख्या में शहरों और कस्बों के नाम बाहर से आए अरब , मंगोल , तुर्क , अफगानी और मुगल आक्रमणकारी के नाम पर हैं जो अब भी उनके किए नरसंहार , बलात्कार और अत्याचारों की अनुभूति कराते है मगर अब समय आ गया है कि हमें इन नामों को बदलना चाहिए और भारत की आजादी की लड़ाई में अपना जीवन बलिदान करने वाले लाखों महान क्रांतिकारीयों के नाम पर रखना चाहिए जिससे हमारे भारत देश की आने वाली पीढ़ीयां इनसे प्रेरणा ले सकें |



Saturday, March 27, 2021

अप्रकाशित सत्य 20 , लव जेहाद या जिहाद क्या है? इस पर कितने राज्यों में कानून हैं? क्या Bollywood भी प्रोत्साहित करता है लव जिहाद को ? आइए विस्तार से चर्चा करते हैं |

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नोट - 

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     यह लेख समसामयिक घटनाओं एवं इंटरनेट पर उपलब्ध तथ्यों पर आधारित है | मेरा इस लेख को लिखने का मक़सद किसी की धार्मिक , सामाजिक या मानसिक भावनाओं को आहत पहुंचाना नही है बल्कि जानकारीयों को साझा करना एवं स्वच्छ विमर्श करना है | लेख के शीर्षक या किसी भी अन्य भाग को पढ़कर यदि आप असहज महसूस करें तो मैं आपसे आग्रह करूंगा के आप इस लेख को ना पढ़े इसके बाद भी यदि आप लेख पढ़ रहे हैं तो आपका स्वागत है | इस लेख के बारे में अपनी कोई भी राय बनाने से पहले कृपया लेख पुरा अवश्य ही पढ़े | नमस्कार |

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     लव जेहाद या जिहाद को लेकर हाल ही के कुछ महीनों मे मेन स्ट्रीम मीडिया में काफी चर्चा हुई और इस पर कुछ राज्यों में कानून भी बनाए गए हैं इसी वजह से मेरी दिलचस्पी इसे जानने के लिए बढ़ती गई और मैने इस पर एक विस्तार से चर्चा करने का मन बनाया है | लव जेहाद या जिहाद को समझने के लिए सबसे पहले आपको जेहाद या जिहाद को समझना होगा |

जेहाद या जिहाद क्या है ?

     यदि आप इस शब्द को गूगल पर सर्च करेंगें तो कई परिभाषाएं मिलेगी मगर उन सब का सारांश यह है कि जेहाद या जिहाद वह पाक युद्ध है जिसे इस्लाम को मानने वाले मोमिन (मुसलमान) गैर मुसलमानों (काफ़िरों) से लड़ते हैं ताकि उन्हें भी मोमिन (मुसलमान) बना सकें , जेहाद या जिहाद के लिए क़ुरान पाक में आयतें हैं जिनमें से 26 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है और इसे लेकर मीडिया में चर्चाएं हो रही हैं (इसकी पुष्टि के लिए आपको स्वयं कुरान पाक पढ़कर देखना चाहिए , आजकल इंटरनेट पर हर भाषा में कुरान पाक का तर्जुमा उपलब्ध है या तो आप फ्री में उपलब्ध वाले वर्जन डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं या किंडल एडीशन खरीद सकते हैं सत्यापित अनुवाद पढ़ने के लिए खरीद कर पढ़ना ज्यादा उचित होगा ) | यह जेहाद या जिहाद कई तरह से किया जा सकता है और किया जा भी रहा है | एक रास्ता तो सीधा है जिसमें एक कट्टर मुसलमान हथियार लेता है और काफ़िरों को मारता हैं इन्हें ही आपने तमाम खबरों में पढ़ा एवं सूना होगा जेहादी या जिहादी कहा जाता है आम तौर पर इन्हें आतंकवादी भी कहा जात है |

     जिस तरह से उपर लिखी तमाम बातें सत्य हैं उसी तरह से यह भी सत्य है कि हर मुसलमान यह नही करता या इस सोच को नही मानता और बहुत कम संख्या ऐसे मुसलमानों की भी है जो इसका विरोध कर रहे हैं मगर अब भी बहुत अधिक संख्या ऐसे मुसलमानों की है जो इस पर कुछ नही बोलते | जो जेहादी या जिहादी हैं वो बहुत कम संख्या में हैं परन्तु उनके आतंक से वह हमेशा दहसत बरकरार रखने में कामयाब हो रहे हैं |

लव जेहाद या जिहाद क्या है? 

     लव जेहाद या जिहाद केरल की हाई कोर्ट के द्वारा प्रतिपादित किया गया शब्द है | जब एक मुस्लिम लड़का अपनी पहचान छिपाकर , झूठ बोलकर एक हिन्दू या किसी अन्य धर्म की लड़की से प्रेम का नाटक करके उसके साथ बलात्कार करता है , विवाह करता है या उसका धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास करता है या करवा लेता है तो इसे ही लव जेहाद या जिहाद कहा जाता है | कई बार तो खबरों में यहां तक आया है कि लड़की जब लड़के की सच्चाई जान जाती है या धर्म बदलने से इनकार कर देती है तो ऐसे जेहादी लड़के उन लड़कीयों कों जान से मार डालते है और ये कोई अपवाद नही है आप पता कर सकते हैं हजारों की तादाद में ऐसी खबरें आए दिन छपती हैं और गुमनाम हो जाती है और जरा ये सोचिए उन खबरों का क्या जो कहीं किसी अखबार में छप ही नही पाती या किसी टीवी चैनल की हेडलाइन में नही आ पाती | लव जेहाद या जिहाद एक मज़हबी सोज है जो बहुत बड़ी समस्या है यदि यह बड़ी समस्या न होती तो इस पर राज्य सरकारों को कानून नही बनाना पड़ता |

और कितने तरह के जेहाद या जिहाद की अवधारणा है?  

लव जेहाद या जिहाद के अलावा भी निम्न तरह के जिहाद किए जा रहे हैं -

1. ज़मीन जिहाद 

     सरकारी या किसी की नीजी जमीन पर मस्जिद , मदरसा , दरगाह या घर आदी बना देना | जिससे वहा किसी अन्य की मौजुदगी को घटाया जा सके | यह भी उसी श्रेणी में आता है | अतिरिक्त जानकारी के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

2. जनसंख्या जिहाद 

     घर की आर्थिक हालत खराब होने तथा एक दो बच्चों का उचित लालन पालन करने में सक्षम ना होने के बावजूद भी समुदाय विशेष की दम्पति के द्वारा दर्जन भर बच्चे पैदा करना ताकि किसी क्षेत्र विशेष में मुसलमानों की आबादी को बढ़ाया जा सके यह भी एक अवधारणा है | अतिरिक्त जानकारी के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

3. रेप जिहाद 

     हिन्दू या किसी अन्य धर्म की लड़कियों का बलात्कार समुदाय विशेष के युवकों या पुरुषों के द्वारा करना | यह भी एक चिन्हित किया गया पैटर्न है | यहां किसी भी तरह के बलात्कार को सही नही ठहराया जा रहा है बस विषय का विवरण दिया जा रहा है | अतिरिक्त जानकारी के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

4. हलाल जिहाद 

     हलाल भी इस्लाम की एक विचारधारा है जिसके अनुसार कोई भी मुस्लिम उन्हीं समानों या खाद्य उत्पादों का प्रयोग कर सकता है जो उसके लिए है यानी हलाल है | और कोई समान या उत्पाद तभी हलाल माना जाता है जब उसके उत्पादन के आरंभ चरण से लेकर अंतिम चरण तक यानी उसके उत्पाद बनने तक केवल और केवल मुसलमानों ने ही कार्य किया हो | भारत में एक संस्था है जो सामानों एवं उत्पादों को हलाल प्रमाण पत्र देती है | तभी यदि आप किसी ऑनलाइन खाना डिलीवरी एप से खाना मंगाते है तो आपको हलाल का भी एक ऑप्शन दिया जाता है | यह एक बलाक चेन टाइप की व्यवस्था है जिसका मक़सद मुसलमानों के लिए एक अलग अर्थव्यवस्था का निर्माण करना बताया जाता है | 

     इसे भी सभी मुस्लिम नही मानते मगर मानने वालों का प्रतिशत बहुत अधिक है जिससे यह फैल रहा है | अगर आपको याद हो तो कुछ महीने पहले यह खबर आई थी कि अब भारत में हलाल निर्यात की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है | विस्तार से जानने के लिए आप गूगल सर्च करें, इसे हलाल इकोनॉमी या हलालोनॉमिक्स के नाम से भी परिभाषित किया जाता है |

5. UPSC जिहाद 

     यह भी सोशल मीडिया एवं टीवी मीडिया में काफी चर्चा का कारण रहा है | इसके अनुसार कहा जा रहा है था कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की पिछले एक दशक या उससे कम ज्यादा की भर्तीयों में समुदाय विशेष के उम्मीदवार को कोटा एवं आरक्षण से अधिक तथा कम योग्यता होने के बावजूद भी चयनित किए जा रहा हैं और इसमें उसी समुदाय विशेष से आने वाले चयनकर्ताओं की भागीदारी पर भी सवाल किए गए थे | अतिरिक्त जानकारी के लिए आप गूगल सर्च कर सकते हैं |

क्या Bollywood भी प्रोत्साहित करता है लव जिहाद को ? 

     मुझे नीजी तौर पर लगता है कि यह प्रश्न ही उल्टा है | Bollywood भी नही Bollywood ही प्रोत्साहित करता है लव जिहाद को | हम सब ने बचपन से लेकर आज तक Bollywood की हजारों फिल्में देखी होंगी और इन सब की कहानी एक ही तरह की होती है जिसमें आमिर,  सलमान,  सैफ,  इमरान , शाहरुख आदी नामों के हीरो सूरज,  राहुल,  प्रेम, राज,  विजय आदी बनकर मधु, संजना,  अराधना,  सोनिया,  आशा,  पार्वती,  सरस्वती आदी नामों वाली हीरोइनों से प्यार करते हैं, शादी करते हैं और इन्ही तरह के दृश्यों से भरी होती हैं | और जब इस तरह की फिल्म एक मुस्लिम युवक देखता है तो उसे यह फिल्म प्रेरक लगती है बाकी का कार्य गैर मुसलमानों के लिए उसकी विचारधारा कर देती है जो उसे विरासत में प्रदान की जाती है नतिजा लव जेहाद या जिहाद के रुप में प्राप्त होता है | आपको याद होगा की अभी कुछ महीनों के पहले एक ज्वैलरी ब्रांड तनिस्क के एक टीवी प्रचार को लेकर खूब विरोध हुआ था जिसके बाद ब्रांड ने वह प्रचार हटाया और माफी भी मांगी उस प्रचार में भी इसी तरह का प्रयास किया गया था | इस तरह की फिल्मों या वेब शोज का असल जीवन से कोई वास्ता नही होता और झूठ कभी अच्छा जीवन नही दे सकता | 

कितने राज्यों में है लव जिहाद पर कानून? 

     उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सर्व प्रथम लव जेहाद को मध्य मे रखकर 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मपरिवर्तन प्रतिरोध अध्यादेश 2020' नामक एक कानून बनाया है जिसके मुताबिक यदि कोई व्यक्ति झूठ बोलकर , प्रलोभन देकर अथवा किसी कपट माध्यम से किसी का धर्म परिवर्तन करवाता है तो यह एक गैर जमानती अपराध होगा तथा उस व्यक्ति को अधिकतम 10 साल तक की जेल तथा 50 हजार रुपये तक का अर्थदंड लगाया जा सकता है |

     मध्य प्रदेश में 'मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्र्य विधेयक 2020' भी कानून बन चुका है जिसके अनुसार यदि किसी व्यक्ति को अपना धर्म छिपाकर , झूठ बोलकर , प्रलोभन देकर अथवा किसी अन्य कपटपूर्ण माध्यम से धर्म परिवर्तन कराया जाता है या करने के लिए विवश किया जाता है तो करवाने वाले व्यक्ति को अधिकतम 5 साल की जेल तथा 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है | खबरों की माने तो हरियाणा में भी जल्द ही इसे लेकर कानून बनाया जा सकता है और भी कुछ राज्य हैं जहां इस तरह की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं |

लव जेहाद या जिहाद पर मेरी राय |

     मुझे लगता है कि यदि आप किसी को यह कहते हैं कि आप उससे प्यार करते हैं तो आपको स्वयं से और उससे जिससे आप कह रहे हैं की आप प्यार करते हैं आपको बहुत ईमानदार रहना चाहिए और यही सलाह मेरी हमउम्र या मुझसे छोटी युवतीयों के लिए भी है कि आपको किसी पर आंख बंद करके विश्वास नही करना चाहिए किसी के नाम अपना जीवन करने से पहले उस शख्स के बारे में हर संभव जानकारी पता कर लेनी चाहिए ताकि किसी तरह का धोखा होने की संभावना कम हो जाए | अपने प्रेमी पर यदि किसी बात को लेकर शक है तो उसका निराकरण करें याद रखें शक करना गलत बात नही है शक ही है जो यकीन को ज़िंदा रखता है | 

     मैं किसी भी तरह से विपरीत धर्म के लोगों से प्रेम या प्यार जो भी कहें करने के खिलाफ नही हूं मैं प्यार के नाम पर दिए जा रहे धोखे के खिलाफ हूं | मेरा निजी रुप से मानना है की यदि आप किसी से सच में खुद के प्रति ईमानदार होकर प्यार करते हैं तो फिर आपको अपनी प्रेमिका या प्रेमी को बदलने का प्रयास नही करना चाहिए वो जैसे भी हैं जिस भी धर्म को मानते हैं उन्हें वैसा ही स्वीकार करना चाहिए | और यदि आप ऐसा नही कर रहे हैं और उनके धार्मिक भावनाओं को बदलने का प्रयास कर रहे हैं तो मुझे आपको लव जेहादी या जिहादी कहने में कोई संकोच नही है |