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Wednesday, October 14, 2020

अप्रकाशित सत्य 10 , हमें क्यों नही पढा़या जाता 8वी तथा 9वी शताब्दी का इतिहास ? , क्या आप जानते हैं भारत में 8वी तथा 9वी शताब्दी में क्या हुआ था ? , 8वी तथा 9वी शताब्दी का इतिहास क्या है ?


     अपनी मध्य प्रदेस लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परिक्षा 2019 तथा केन्द्रीय लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परिक्षा 2020 की तैयरी करने के दौरान मैने जब इतिहास विष्य को गहन रुप से पढ़ना आरंभ किया तो यह पया कि हमारे इतिहास कि किताबों में से करीब 270 सालों का इतिहास नदारद है वह भी मुल रुप से उत्तर भारत का इतिहास , यह भारत का वही कालखंण्ड है जब अरबों ने उत्तर भारत पर एक सफल आक्रमण कर लिया था | तो आखिर ऐसा क्या हुआ है इन 270 वर्षों में जिसे हम भारतीयों से पुरी तरह से छुपाया गया है इतिहासकारों के द्वारा और क्यों ?

     भारत पर प्रथम सफल अरब आक्रमण 712 ई में मोहम्मद बीन कासिम ने भारत के सिंध राज्य पर किया था | इस समय यहां के राजा , राजा दाहीरसेन थे इन्होने इससे पुर्व मोहम्मद बीन कासिम के तीन आक्रमणों को बिफल किया था | वर्तमान में सिंध प्रात पाकिस्तान का हिस्सा है | 712 ई का सिंध प्रात वर्तमान सम्पुर्ण सिंध तथा बलूचिस्तान के कुछ हिस्से एवं अफगानिस्तान के कुछ हिस्से तक फैला था | राजा दाहीरसेन ने ही ईस्लाम मजहब के आखरी पैगम्बर मोहम्मद साहब के बचे हुए परिवार को अपने राज्य में शरण दिया था तथा उनकी सुरक्षा करने का भरोसा दिलाया था और जब मोहम्मद बीन कासिम ने सिंध पर चौथी बार अत्याधिक सेना बल के साथ आक्रमण किया तो वह अपने राज्य और शरणार्थीयों को बचाते हुए बीरगती को प्राप्त हुए | मोहम्मद बीन कासिम ने राजा के पुरे परिवार को मार डाला और उनकी बेटियों को अरब लेजाकर वेश्यालयों में बेच दिया पुरे राज्य में लाखों की तादाद में हत्याए , बलात्कार , जबरन धर्म परिवर्तन कराए गए | मगर इससे भी दुख की बात ये है कि आज के इतिहास में इस महान राजा के बारे में ये लिखा गया है कि यह एक कमजोर राजा था जो आपसी मदभेदों से उबर नही पा रहा था और हमले को नाकाम करने में बहुत निर्बल था | बस कुछ पंक्तियों में वर्णित इस एक घटना के अलावा भारत में अरब आक्रमण से संबंधित कोई अन्य घटना एवं जानकारी ढुढ़ने पर भी नही मिलती , इतिहास कि किताबों में सिधे इसके बाद 920-21 ई के तुर्क आक्रमण का उल्लेख मिलता है जिसमे गजनी के शासक सुबुक्तगीन ने हिन्दूशाही राज्य पर आक्रमण करके काबुल पर अधिकार कर लिया था | ऐसा मैं तीन से चार इतिहास कि किताबों कों पढने के बाद तथा कई घंटों तक गुगल पर रिसर्च करने के बाद लिख रहा हूँ | 

      यहां मेरा सबाल ये है कि क्या 712 ई से लेकर 920 ई के मध्य में उत्तर भारत में कोई आक्रमण नही हुए ?  , कोई बडी़ घटना नही घटी ? और यदि ऐसा है , तो ऐसा कैसे हो सकता है ? क्योंकि 270 से भी अघिक वर्षों में ये संभव नही है | इन सवालों के मेरे मन में उठने के पिछे कि वजह ये है की 712 ई में अरब से आए मोहम्मद बीन कासिम ने सफलता पुर्वक सिंध पर आक्रमण कर लिया था तो वह केवल सिंध तक ही रुका हो यह बहुत मुस्किल है और उसकी सफलता पुर्वक आक्रमण से प्रोतसाहीत होकर कोई अन्य अरब आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण करने न आया हो यह भी नामुकिंन है क्योंकि इतिहास में ऐसा कभी नही हुआ | 

      हमारे इतिहास कि किताबों से 270 सालों से भी अधिक के अरब आक्रमण के इतिहास को सामिल न करने की क्या वजह है इसका सवाल तो हमारी सरकारों से पुछा जाना चाहिए जो किताबों की विषयवस्तु निर्धारित करतें हैं खास तौर पर विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पढा़ई जाने वाली इतिहास कि किताबें का या उन इतिहासकारों से पुछा जाना चाहिए जिन्हेनें ये इतिहास कि किताबे लिखीं हैं | मगर मुझे लगता है की जल्द से जल्द इस कालखंण्ड के इतिहास को इतिहास कि किताबों में जोडा़ जाना चाहिए क्योंकि यह पुरे देश के साथ एक तरह का बौद्धिक धोखा है छल है | अपने देश के समपुर्ण इतिहास को जानना हर देशवासी का हक है चाहे वह इतिहास अच्छा हो या बुरा | एक निवेदन करना चाहूँगा के यदि आपको इस कालखंण्ड के इतिहास के संबंध में कोई जानकारी है तो मुझसे साझा करने की कृपा करें | 


Thursday, October 8, 2020

अप्रकाशित सत्य 9 , आजाद बलूचिस्तान पर किया है पाकिस्तान ने सैनिक कब्जा , बलूचिस्तान नही है पाकिस्तान का हिस्सा , बलोच चाहते हैं पाकिस्तान से आजादी , क्या है बलूचिस्तान का इतिहास आइए जानते हैं ?


    बलूचिस्तान , पाकिस्तान में सबसे बडा़ क्षेत्र है यहां के रहने वाले लोगों को बलूचि या बलोच कहते हैं तथा यहां कि भाषा बलोची है | बलूचिस्तान का एक पुराना नाम कलात भी है तथा पाकिस्तान में यह सबसे बडी़ समुद्री सीमा वाला प्रांत भी है इसकी लगभग 760 किलोमीटर की समुद्री सीमा है | बलूचिस्तान कुल पाकिस्तान का लगभग 44% हिस्सा है यह खनिज सम्पदा से बहुत धनी प्रांत है मगर पाकिस्तान के कब्जे के बाद लगातार संघर्ष एवं पाकिस्तान सरकार की उपेक्षा कि बजह से यह पाकिस्तान में सबसे गरीब एवं अशिक्षित प्रात है | बलूचिस्तान की कुल जनसंख्या लगभग 1.3 से 1.5 करोड़ है |

     15 हजार वर्ष पुर्व जब सम्पुर्ण भारत अस्तित्व में आया तब से बलूचिस्तान भारत का क्षेत्र था | अखंण्ड भारत कहने का अर्थ आज का अफगानिस्तान , बलूचिस्तान , पाकिस्तान , भारत , बांग्लादेश , नेपाल एवं वर्मा (मयानमार) को एक साथ संबोधित करना है | बलूचिस्तान भारत (अखंड) के 16 महाजनपदों में से एक गांधार का हिस्सा था तथा इसका अस्तित्व महाभारत काल में जब 200 जनपद थे तब भी था तथा यह 30 उन जनपदों में सम्मिलित था जिन्होने महाभारत के युद्ध में हिस्सा लिया था | बलूचिस्तान का इतिहास कई हजारों वर्ष पुराना है यहां माता सती के 51 शक्तिपीठो में से एक हिंगलाज का मंदिर है मान्यता है की यहां माता सती का सिर गिरा था | बलूचिस्तान में सैकडो़ कि तादाद में भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी पाई गई हैं | कहा जाता है की किसी जमाने में यहां बौद्ध धर्म भी अपने उत्कर्ष पर था | 

     बलूचिस्तान में स्थित मेहरगढ़ कि सभ्यता को हडप्पा सभ्यता से भी पुरानी सभ्यता कहा जाता है इसका कालखंण्ड 7 हजार ईपु से लेकर 2500 ईपु तक था | हडप्पा सभ्यता के भी समय में बलूचिस्तान से हडप्पा सभ्यता के बीच तांबे एवं सोने का व्यापार होता था | महान चन्द्रगुप्त मौर्य का शासन भी 321 ईपु में अफगानिस्तान से लेकर बलूचिस्तान तक था तथा बलूचिस्तान मौर्य  सामराज्य का हिस्सा था | यही नही मुगल बादशाह अकबर तथा उसके उत्तराधिकारियों ने भी किया था बलूचिस्तान पर राज्य , मुगल सामराज्य के पतन के बाद यहां के खानों ने स्वयं को आजाद घोषित किया तथा कुछ वर्षों तक वे स्वतंत्र शासक रहें | 

     साल 1877 में कलात (बलूचिस्तान) के खान आजाद थे उनपर अंग्रेजों का कोई नियंत्रण नही था मगर साल 1887 तक आते आते यह अंग्रेजों के कब्जे में आ गया | अंग्रेजों ने कलात (बलूचिस्तान) को चार भागों कलात , मकरान , खरान तथा लेसबुरा में बांट दिया था | 4 अगस्त 1947 को लार्ड लुई माउंटबेटन और मोहम्मद अली जिन्ना जो बसूचिस्तान का वकील था ने एक घोषणा कि जिसके मुताबिक 11अगस्त 1947 से कलात एक आजाद देश होगा | 

      11 अगस्त 1947 को कलात और मुस्लिम लीग के बीच एक समझौता हुआ था जिसके अनुसार मुस्लिम लीग कलात कि आजादी का सम्मान करेगी मगर फितरत के अनुसार पाकिस्तान के बनते ही मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तानी सेना भेजकर 27 मार्च 1948 को कलात पर कब्जा कर लिया | तब से लेकर आजतक पाकिस्तानी सेना यहां के निवासीयों पर जुल्म कर रही है , महिलाओं के साथ बलात्कार और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बोलने वाले लोगों को गायब कर देना आम बात होगयी है | बलोची लोग अपनी आजादी कि जंग 60-70 के  दसक से लड़ रहे हैं | कुछ प्रकाशित खबरों के मुताबिक पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तानी सेना ने मिलकर 5-8 हजार बलूचिस्तान के नागरिकों को गायब कर रखा है जिनके बारे में उनके परिवारजनों को कोई जानकारी नही है मगर फिर भी बलोची अपनी आजादी की जंग दिन रात लड़ रहे हैं |  


Thursday, October 1, 2020

अप्रकाशित सत्य 8 , 6 दिसंबर 1992 को इतिहास का ये बडा़ बदलाव हुआ था जिस पर अब श्री रामलला विराजमान होंगें , विध्वंस के सारे आरोपी भी निर्दोष कोर्ट का फैसला आया | क्या थे तथ्य जाने ?


     यह इतिहास तो सबको ज्ञात है कि अफगानी आक्रांता महमुद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया गुजरात स्थित महादेव के सोमनाथ का मंदिर तोड़ने के लिए , महिलाओं का बलात्कार करने तथा उन्हे अपनी रखैल बनाकर गजनी ले जाने के लिए , भारत से स्नातन को खत्म कर इस्लामिक बनाने के लिए , भारत कि धन संपदा लुटकर ले जाने के लिए आदि कई कारणों से | यह तथ्य इतिहास में दर्ज है कि गजनवी जब 17वी बार सोमनाथ का मंदिर लुटने और तोड़ने के लिए आया तो वहा के राजा और उनकी सेना के अलावा महमुद गजनवी ने 50 हजार से ज्यादा मात्र ब्राम्हणों की हत्या की और इनकी सभी मांओं बहनों बेटियों बहूओं को गुलाम बनाकर गजनी ले गया | इसके बाद तुर्क आक्रांता तैमुर लंग जिसे तैमुर लंगडा़ भी कहा जाता है वह भारत पर आक्रमण करने अपनी सेना के साथ आया यहा कि महिलाओं का बलात्कार करने के लिए और महिलाओं को अपना गुलाम बनाकर ले जाने के लिए | इस तैमुर लंगडे़ के बारे में लिखित है कि इसने और इसकी सेना ने लगभग 1 लाख से ज्या बलात्कार किए और कई हजारों कि तादाद में महिलाओं को गुलाम बनाकर ले गया | यही नही इस्लामिक कट्टरपंथी इस मजहवी आतंकी ने हजारों मंदिरों को तो़डा और बल पुर्बक लोंगों को मुसलमान बनाया | तैमुर लंगडे़ के बारे में यह बात आप जानेंगें तो आपके होश उड़ जाएंगे यह भारत के जिस भी शहर में जाता था बहा लोगों के सिर कटवाता था और सिरों का पिरामिड बनवाता था उसपर अपनी कुसी रखवाकर बैठता था तथा अपने आक्रांता सैनिकों कों और अथिक हत्याए करने , धन का लुटपाट करने और लोंगों को जबरन मुसलमान बनाने के लिए प्रोतसाहित करता था | यह तथ्य भी आहत करने वाला है कि इसी की इन अंधी हत्याओं का परिणाम था कि इस कालखंण्ड में दुनियां कि जनसंख्या 5 प्रतिशत तक घट गयी थी | 


     उपर मैने आपको इतिहास की जो कुछ छोटी बर्बरताएं बताई हैं वो इसलिए कि आप भारत में इस्लामिक आक्रमण की असली वजह समझ सके | इसी तरह का एक आक्राता था बाबर जो अफगानी मंगोल इस्लामिक कट्टर मुसलमान था | उसने जब दिल्ली पर अपना कब्जा कर लिया तो बाबर का सेनापति इसके आप पास के क्षेत्रों को जीतने और काफिरों (स्नातनी हिन्दुओं) को खत्म करने के मक्सद से भ्रमण पर सेना के साथ निकला | इसी कडी़ में वह अयोध्या पहूंता | उसने वहा मंदिर के पुजारियों इनके परिवारों तथा मंदिर की रक्षा कर रहे पहरेदारों की हत्या करवी दी तथा  प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर तुड़वा दिया एवं उसी मंदिर के अवशेषों का उपयों करके जल्दबाजी में बाबर के नाम की बाबरी मस्जिद बनवा दी | तब से लेकर यह मस्जिद प्रभु श्री राम की जन्मभुमी पर 6 दिसंबर 1992 तक रही जब तक इसको इसके सही अंजाम तक नही पहूंचाया गया | हालॉकि इस अबैथ कब्जे को खत्म करने में हमें 450 से ज्यादा वर्ष लगे , दंगा फसाद हुआ शांति प्रीय समुदाय के द्वारा और बहुत लौगों को अपनी जान गवानी पडी़ मगर फिर भी नोकिली जमीन समतल कर दी गई और अबैथ कब्जा खत्म कर दिया गया सामाजिक तौर पर |


     आरकेलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी अपने सर्वे में माना था कि विवादित ढाचें के निचे एक संरचना मौजुद है | वहरहाल 9 नवंबर 2019 को इस 500 साल पुराने विवाद का फैसला आया और रामलला को उनकी जमीन वापस मिल गई और अब तो मंदिर निर्माण का मुमि पुजन भी देश के प्रथानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा श्री राम जन्मभुमि तीर्थ क्षेत्र विकास ट्रस्ट के आग्रह पर कर चुके हैं | कुछ लोंग जब फैसला सत्य के पक्ष में आया तो कह रहे थे कि हमारी मस्जिद शहिद होगयी हमें अपनी मस्जिद वापस चाहिए तो मुझे लगता है कि उनसे यह सबाल पुछा जाना चाहिए था कि क्या ? भारत के अलावा भी पुरी इस्लामिक दुनियां में कहीं और मस्जिदें शहिद होती हैं या बस भारत में हुई हैं , क्यों कि अरब देशों में तो मस्जिदें रोज बनती और टुटती हैं निर्माण कार्यों के लिए जिनकी तस्वीरें और विडियों सोसल मिडिया और बेबसाइटो पर उपलब्ध हैं तो क्या वहा भी कोई उनके शहिद होने का मातम मनाता है | 


     कल 30 सितंबर 2020 को सीबीआई की विशेष अदालत ने विध्वंस के मामले पर फैंसला सुनाया और सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया | 6 दिसंबर 1992 के 32 साल बाद इस मामले की हर एक गांठ खोल दी गई है और अब श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य भी प्रारंभ होगया है तो यह कह सकते हैं कि लगभग 500 वर्ष पुराना विवाद कई शदियों के बाद शांति पुर्वक सुखद पडा़व पर आकर खत्म हो रहा है और यहा से इसिहास के नए बदलावों की शांति पुर्वक और सुखद उम्मीद कि जा सकती है |


अप्रकाशित सत्य 7 , चीन का पुरा सच , चीन पडो़सी देश या जमीन माफिया |


     चीन के बारे में हम जो बातें जानते हैं उनमें से कुछ यू हैं कि जीन दुनियां का तीसरा सबसे बडा़ देश है , चीन दुनियां कि सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है , चीन दनियां का सबसे ज्यादा लगभग 14 पडो़सी देशों वाला देश है मगर इसके अलावा कुछ तथ्य और भी हैं जिन्हें हम नही जानते या कम जानते हैं जैसे चीन का सीमा विवाद अपने सभी पडो़सी देशों से चल रहा है , चीन ने दुनियां के लगभग 6 आजाद देशों पर कब्जा कर रखा है , चीन में दुनियां में सबसे ज्यादा मानवाधिकार का उलंघन होता है मगर उसकी खबर दुनियां तक नही पहुंच पाती क्योंकि चीन में बाहरी दुनियां में प्रचलित कोई भी सोसल मिडिया नही चलता और चीन में कोई भी अंतराष्टीय न्युज एजेंसी चलती | 


     चीन को जमीन माफिया कहा जाता है वजह यही है कि चीन ने अपने आस पास के सभी आजाद देशों पर बल पुर्वक कब्जा कर लिया है | चीन ने सबसे पहले मंचूरिया पर कबजा किया था | इससे पहले आपने शायद मंचूरियन नामक एक चाइनीज डिश ही सुनी होगी मगर यह एक देश का नाम है | 1945 तक मंचूरिया पर सोवियत रुस का कब्जा था पर 1946 में सोवियत रुस ने मंचूरिया को चीन को दे दिया तबसे लेकर आज तक चीन ने मंचूरिया कि संस्कृति , सभ्यता तथा जनसांख्यिकी को बदल दिया है पर अब मंचूरिया के युवाओं में आदाजी के प्रती गागृति आई है और आजादी की मांग उठने लगी है |


     तुर्किस्तान का पुर्वी हिस्सा या पुर्वी तुर्किस्तान जिसे आज चीन शिनजियांग प्रात कहता है को चीन ने 1949 में अपनी सेना भेजकर बल पुर्वक कब्जे में लिया था | यहां के निवासी उड्गर मुस्लिम हैं जिन्हे चीन आज जबरन राहत सिविरों में बल पुर्वक रखता है और उन्हे उनका धर्म मानने कि आजादी नही है और चीन उनकी मजहबी किताब कुरान-ए-पाक का भी चीनी संस्कृति के हिसाब से पुन:लेखन करवा रहा है |


      भारत और नेपाल कि सीमा से सटे तिब्बत को चीन ने 1951 में भारत की सहायता से बल पुर्वक कब्जे में ले लिया था | उस समय के भारत के तत्कालिन प्रधानमंत्री जबाहर लाल नेहरु ने अपनी अदूरदर्शिता और चीन पर अत्याधिक विश्वास करते हुए तिब्बत पर कब्जा करने आए चीनी सैनिकी को खाने के लिए चावल देकर मदद कि थी जिसका खामयाजा यह हुआ कि तिब्बत जो भारत एवं चीन के बीच मध्य देश की भुमिका निभा सकता था अब वह नही रहा और यही वजह है कि 1962 के चीन भारत युद्ध में चीनी सेमाएं आसानी से भारतीय क्षेत्र में आगई और अक्साई चीन पर कब्जा कर लिया |


     चीन के कब्जे का सिलसिला अभी तब भी चल रहा था जब भारत में सत्ता का हस्तांतरण हो रहा था | चीन ने दुसरे विश्व युद्ध के बाद दक्षिणी मंगोलिया या जिसे इनर मंगोलिया कहा जाता है पर सैनिक कब्जा कर लिया | लगातार जनसांख्यिकी बदलाब एवं सास्कृतिक दमन के बाद अब चीन ने इस हिस्से मे यहां कि मुल भाषा मंगोल पर रोक लगा दी है और यही वजह है कि यहां के लोग अब कम्मुनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना कि सरकार से आजादी चाहते हैं |


     हॉन्गकॉन्ग पर 1992 से पहले ब्रिट्रेन का शासन था पर 1992 में ब्रिट्रेन ने चीन को हॉन्गकॉन्ग इस शर्त पर दे दिया कि चीन 50 वर्षों तक हॉन्गकॉन्ग को स्वतंत्र रहने देगा और केवल संरक्षक कि भुमिका में रहेगा मगर पिछले वर्ष चीन ने एक कानुन बनाकर हॉन्गकॉन्ग पर पुर्ण नियंत्रण करने कि कोशिश की और इस वर्ष कर भी लिया यही वजह है 2019 से लेकर अब तक हॉन्गकॉन्ग में चीन विरोधी प्रदर्शन जारी है |


     मकाउ को 1999 में पुर्तगालीयों ने चीन को हॉन्गकॉन्ग कि तरह ही 50 वर्षों के स्वतंत्रता समझौते के तहत सौपा था मगर चीन ने मकाउ का भी वही हाल बना दिया है जो उसने हॉन्गकॉन्ग का बनाया है | और यहां कि जनसंख्या में भी चीन के खिलाफ रोष है |


     चीन ने 1962 में भारत पर हमला कर दिया और जबाहर लाल नेहरु की अगुवाई वाली त्तकालिन भारतीय सरकार में आपसी मतभेद तथा युद्ध में वायु सेना का उपयोग न करने के निर्णय का परिणाम यह हुआ कि भारत चीन से युद्ध हार गया और 38 हजार स्क्वायर किलोमीटर का अक्साई चीन जो लद्दाख का बहोत बडा़ हिस्सा है चीन के कब्जे में चला गया जिस पर आज भी चीन का अबैध कब्जा है | यही नही 1963 में पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर जिसे हम पाकिस्तान अधिकृत कशमीर कहते के 5180 स्क्वायर किलोंमीटर के हिस्से को चीन को  युद्ध के डर से उपहार स्वरुप दे दिया | इसी के साथ आज चीन का भारत की 43180 स्क्वायर किलोमीटर भुमि पर अबैध कब्जा है जिसे वापस प्राप्त करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है और निरंतर प्रयासरत है |


     अपनी विस्तारवादी मानसिक्ता के चलते चीन अपने हर एक पडो़सी देश का दुश्मन है और भारत समेत हर छोटे-बडे़ पडो़सी देश के लिए खतरा है | यही कारण है कि आज चीन का भारत , रुस , जापान , ताइवान , वियतनाम , मंगोलिया , तुर्किस्तान , दक्षिण कोरिया , आस्ट्रेलिया समेत 22 देशों से सीमा विवाद चल रहा है | चीन केवल अपने पडो़सी एवं विरोधी देशों के लिए ही खतरा नही है बल्की वह उसके मित्र कहे जाने वाले देशों के लिए भी खतरा है | पाकिस्तान में चीन पाकिस्तान इकोनामिक गलियारे के नाम पर ग्वादर शहर पर कब्जा कर लेने के बाद चीन अब नेपाल के सैकडो़ गावों पर भी कब्जा कर रहा है | ताजा खबरों के अनुसार इसी के विरोध में नेपाली राष्ट्रवादी लोग नेपाल में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं | अब समय आ गया है की चीन के सताए हुए सभी राष्ट्र एकजुट होकर चीन का सामना करें तथा अपनी स्वतंत्रता कि रक्षा करें और चीन के कब्जे में फसे देशों को आजाद कराएं |


Friday, September 25, 2020

अप्रकाशित सत्य 6 , जनसंख्या नियंत्रण के सख्त कानुन की लगातार बढ़ रही है मांग |

       यू तो जनसंख्या नियंत्रण कानुन की मांग बहुत पुरानी है मगर 2019 में मोदी सरकार के फिर से केन्द्र में आने के बाद से यह मांग और बलवती होती जा रही है | इस मुद्दे पर ज्यादा बात करने से पहले हम यह समझ लेते हैं कि आखिर इस कानुन की मांग हो क्यों रही है और क्या सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानुन भारत देश के लिए आवश्यक या नही ?

     हसे समझने के लिए हमे कुछ तथ्यों को समझना चाहिए पहला यह की 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी करीब 111 करोड़ थी जो 2011 में बढ़कर 121 करोड़ हो गयी नयी जनगणना रिपोर्ट जो 2021 में आनी थी अब वह कोरोना महामारी के वजह से 2022 में आएगी | एक अंदाजे के अनुसार इस नयी जनगणना रिपोर्ट में भारत की जनसंख्या लगभग 135 से 140 करोड़ हो सकती है | और यह कोई छुपा हुआ तथ्य नही है कि किसी देश में बेरोजगारी , गरीबी , भुखमरी , कुपोषण , अपराध , अशिक्षा जैसी जितनी भी समस्याएं होती है वह उस देश की लगातार बढ़ती जनसंख्या की ही देन होती हैं | यही वजह है कि दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश चीन ने अपने देश में एक बच्चा नीति सख्ती से लागु कर रखी है जबकी चीन एक विकसित अर्थव्यवस्था है और भारत तो लगातार जनसंख्या विस्फोट झेल रहा है तो भारत जैसी विकासशिल अर्थव्यवस्था वाले देश के लिए अपनी जनसंख्या बृद्धी को काबु करना बहुत आवश्यक हो जाता है |

     यहां देश और जनसंख्या को क्षेत्रफल के हिसाब से भी देखने की जरुरत है जिससे किसी देश का जनसंख्या घनत्व तय किया जाता है | अगर हम दुनिया के सबसे विकसित अर्थव्यवस्था संयुक्त राज्य अमेरिका की बात करें तो वह दुनिया का चौथा सबसे बडा़ देस है और उनकी जनसंख्या मात्र 33 करोड़ के करिब है वही दुनिया के सबसे बडे़ देश रुस की जनसंख्या मात्र 15 करोड़ के करीब है कनाडा़ जो दुनिया का दुसरा सबसे बडा़ देश है वहा कि जनसंख्या केवल 4 करोड़ के आस पास है | यहां हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह सारे देश विकसित रास्ट्र है |

      इन सभी तुलनाओं से यह स्पस्ट हो जाता है कि भारत को एक सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानुन की कितनी आवश्यक्ता है | ऐसा नही है कि पिछली केन्द्र सरकारों ने इसके लिए प्रयास नहीं किया , प्रयास किए गए मगर वह उतने प्रभावी नही रहे जितने की होने चाहिए थे मगर जब से मोदी सरकार ने बडे़ फैसले करने शुरु किए जैसे तिन तलाक को रोकने वाला कानुन , धारा 370 को हटाना , नागरिक्ता संसोधन बिल हो आदि तो लोगों को लगने लगा है की इस सरकार में बडे़ और कडे़ फैसले करने की हिम्मत भी है और मंसा भी है यही वजह है कि जनसंख्या नियंत्रण कानुन को लेकर लोगों कि उम्मीदें इस सरकार से बढ़ गई है |


Friday, September 18, 2020

अप्रकाशित सत्य 5 , बैंग्लौर दंगे को ऐसे समझिए |

     क्या आपको याद है कि पिछले महिने में बैग्लौंर में दंगा फसाद हुआ था ? यदि यह याद है तो आपको ये भी याद होगा कि यह दंगा क्यों हुआ था ? यदि आप यह भी जानते है तो बहुत बेहोंतर है वर्ना कुछ लोग तो अपनी नीजि जिंदगी में इतने व्यस्त हैं कि उन्हे ये भी पता नही है की फेसबुक पर किसी बाद विबाद में फंसकर अगर आपने जवाब में कुछ कह दिया चाहे वह सत्य ही क्यों न हो तो एक समुदाय विशेष कि हथियारबंद भीड़ सड़कों पर उतर जाएगी और आपका घर जला देगी या शायद आपको पिट पिट कर मार ही डाले |

     मगर यहां सोचने वाली बात तो यह है कि एक फेसबुक कमेंट को पढ़कर इतनी जल्दी भीड़ आयी कहां से वो भी खास एक शांती प्रिय समुदाय विशेष की जो भारत कि मुख्य मिडिया कि नजरों में हमेशा बगुसंख्यकों के द्वारा सताई ही गयी है | मुझे यह लगता है कि ये समझने के लिए आपको दिल्ली दंगों को समझना पडे़गा | जी हां यदि आपकी स्मृति से यह बात निकल गई हो तो मै आपको याद दिलाना चाहुंगा कि दिल्ली में भी दंगे हुए थे हिंन्दु विरोधी दंगे जिसमें पचास से ज्यादा लोग मारे गए थे | दिल्ली के हिंन्दु विरोधी दंगों के बारे में मैने अपने इसी लेख सिरीज अप्रकाशित सत्य में विस्तार पुर्वक चर्चा कि है आप चाहें तो पढ़ सकते हैं |

      अब आप कहेंगे के दिल्ली के हिन्दु विरोधी दंगे और  बैंग्लौर दंगे के मध्य क्या संबंध है तो वह संबंध है मजहबी कट्टरपंधी विचारधारा का मजहबी उन्माद का और देश विरोधी षणयंत्र का वर्ना यू हि एक छोटा सा फेसबुक कमेंट जो आमतौर पर महिनों में भी हजारों लोगो तक नही पहुचता वह कुछ ही घंटों में हजारों कि विभिन्न तरीके की हथियारबंद भींड़ को कैसे इकट्ठा कर सकता है | क्या आपको नही लगता कि इसमें 'कुछ तो गड़बड़ है दया , कुछ तो गड़ब़ड़ है' |

    और इसमें एक परिदृश्य यह भी है कि मजहब विशेष के कथित चोर की मॉब लिचिंग पर ,  मजहब विशेष की एक बच्ची के मंदिर में बलात्कार पर पुरे हिन्दुओ को कटघरें में खडा़ करने वाले , रेप इन देविस्तान कहने वाले ,  असहिष्णुता बढ़ गई है कहने वाले , प्रस्तावित एनआरसी तथा सीएए का विरोध करने वाले वालीबुड के कुछ लोग तथा मिडिया वर्ग बैग्लौर दंगे पर खामोंश रहे तथा किसी ने भी अपना पुरस्कार वापस नही किया या किसी की पतंनी ने शायद उनसे देश छोड़कर जाने के लिए नही कहा तथा यहा किसी कि अभिव्यक्ति की आजादी भी नही छीनी गई और सबसे बडी़ बात लोकतंत्र कि हत्या भी नही हुई |


Friday, September 11, 2020

अप्रकाशित सत्य 4 , कंगना कि ललकार और बॉलीवुड की हिंदू घृणा का कारण और विश्लेषण


       कहा जाता है कि भारत में हर साल करीब 1000 फिल्में रिलिज होती हैं जो विभिन्न भाषाओं कि होती हैं पर एक भाषा है जो देश में सर्वाधिक बोली जाती है और वो है 'हिंदी' | इस भाषा की फिल्में बनाने वाली ईकाइयों को एक रुप में बॉलीवुड कहा जाता हैं | यहां तरह तरह की फिल्में बनती हैं और बनाते हैं कुछ खास फिल्मी घराने जिन्हे बैनर भी कहा जाता है जैसे आपने नाम सुना होगा कपुर्स , खांस , चोपडा़स आदि | और इन फिल्मों में जो मुख्य अभिनेता या अभिनेत्री होती हैं अमुमन इन्ही घरानों के बच्चे होते हैं "यहां आप इस बात का ध्यान रखें के यहां फिल्मों कि बात हो रही है टीवी पर प्रसारित होने वाले धारावाहिकों की नही" | 

        हां यह भी संभव है कि कभी कोई गैर फिल्मी परिवार का अभिनेता या अभिनेत्री भी फिल्मों में मुख्य भुमिका में दिख सकते है मगर यह बहुत कम देखने को मिलता है | और इन गैर फिल्मी परिवार के अभिनेताओं और अभिनेत्रीयों को बॉलीवुड में एक शब्द से संबोधित किया जाता है वो है 'आउटसाइडर्स' , जिसका मतलब है बाहर से आया हुआ | ये कुछ इसी तरह का संबोधन है जैसे आप ये कह रहे हो कि तुम में और मुझमें बहुत अंतर है | यदि आप कहना चोहें तो बॉलीवुड को परिवारवाद का सबसे अच्छा उदाहरण कह सकते हैं | और आज कंगना रनोत जो सुशांत के लिए इंसाफ की मांग कर रहीं हैं और लगातार मुंबई पुलिस के महाराष्ट सरकार की मंसा पर सवाल उठा रहीं हैं बॉलीवुड में ड्रग्स के चलन की बात पुरजोर तरिके से रख रहीं हैं वह इसे परिवारवाद पर प्रहार कि तरह देखा जा रहा है | और जब से सुशांत के हत्या कि जांच सीबीआई को गयी है तब से महाराष्ट की सरकार कंगना से बदले कि कार्यवाही कर रहें हैं और इसी कडी़ में 9 सितंबर को कंगना का ऑफिस तोडा़ जा चुका है और महाराष्ट सरकार के इशारे पर बीएमसी की यह कार्यवाही बहुत निंदनीय हैं |

       बॉलीवुड कि ज्यातर फिल्मों कि कहानी में प्रेम अलगाव और हिंसा दिखाई जाती है पर इसमें भी जो मुख्य रुप से एक चीज दिखाई जाती है वो है हिन्दु धर्म और उसके प्रति घृणा | इस तथ्य को समझने के लिए आपको अपने मस्तिष्क पर थोडा़ जोर डालना होगा और ये सोचना होगा के क्या आपने ये दृश्य नही देखा जहां एक आदमी माथे पर चंदन लगाए एक युवती का शारिरीक शोषण करने कि कोशिश कर रहा है , कोई साधु कहीं एक महिला का बलात्कार कर रहा है , एक अमिर साहुकार है और वह बच्चों से काम करवा रहा है या किसी विधवा लाचार महिला से पैसे उधार देने के बदले कंगन गिरवी रखवा रहा है और वही एक खान चाचा है जो बच्चें को खाना खिला रहा है ,  कोई अब्दुल भाई है जो गरिबों का मुफ्त में इलाज कर रहा है | यह सारे दृश्य हिंदी फिल्मों में आम बात है और यही वो तरिका है जिससे लगातार हिन्दु धर्म का अत्याचारी और धोखेवाज तथा एक मजहब को महान प्रस्तुत करने कि कोशिश हो रही है |

      अब आप स्वयं सोचकर देखें कि इन दृश्यों मे से कितने दृश्य सही लगते हैं और कितने गलत ? पर फिर भी लगातार ऐसे दृश्य दिखाए जा रहें हैं | और वही दुसरी तरफ आतंकवाद , जबरन धर्मांतरण और लव जिहाद आज के समाज की सच्चाई हैं | पर ये दृश्य फिल्मों और वेब सिरिजों से गायब मिलते हैं |

      हम यदि इसी वर्ष की बात करें तो 2020 में हि ऐसी कई फिल्में और बेव सिरिज हैं जो हिन्दु घृणा से भरे पडे़ हैं जैसे एमएक्स प्लेयर पर रिलीज हुई बेव सिरिज 'पाताल लोक' , डिज्नी प्लस हाटस्टार पर रिलिज फिल्म सड़क 2 , एमएक्स प्लेयर पर रिलीज हुई बेव सिरिज 'आश्रम' आदि | ये तो बस कुछ ही नाम हैं और ऐसी न जाने कितनी चीजे रोज युवाओ के सामने आ रही हैं और युवा इन्हे ही देखकर अपना नजरिया हिन्दु धर्म के बारे में बनाने के लिए विवश हैं क्योंकि उनके पास सही हिन्दुत्व की अवधारणा पहुच ही नही रही है |

  अब सवाल ये खडा़ होता है कि ऐसा किया क्यों जा रहा है तो इसकी बहुत सी बजहें हो सकती हैं | पहला तो ये है कि यह एक तरह के तुष्टीकरण की राजनीति है जो देश की सबसे पुरानी पार्टी से प्रभावित लोग करते हैं और दुसरी और सबसे बडी़ वजय है मजहबी कारण , क्योंकि सत्तर से अस्सी प्रतिशत बॉलीवुड एक विशेष मजहब को मानने वाला है तो उनकी विचारधारा ये है कि हम संख्यां में पुरे देश में हिन्दुओ से कम हैं और हम गजवा-ए-हिंद जो इनका वर्षों पुराना ख्वाब है कर नही सकते तो हमें इन्हें इसी तरह से निचा दिखाते रहना है ताकि इनकी युवा पीढी़ स्वयं ही अपने धर्म से शर्मिंदा हो और खुद ही अपना धर्म छोड़कर उन्हीं के मजहब को अपना ले | और तिसरी वजय हिन्दुओ का अत्याधिक उदासिन होना भी हो सकता है जिससे इन्हे इस बात का विश्वास है कि चाहे हम हिन्दु धर्म के बारे में कुछ भी दिखा दें कोई हमसे सवाल पुछनेवाला नही है |


Saturday, September 5, 2020

अप्रकाशित सत्य 3 , आतंकवादीयों , अलगाववादीयों और अपराधियों को टीवी चैनलों की सहानुभुति और मिडिया ट्रायल का सच

     पिछले कुछ वर्षो से हम देख रहें है कि कुछ टीवी चैनल आतंकवादीयों , अलगाववादीयों और अपराधियों को पत्रकारिता के नाम पर अपना मंच प्रदान करते आए हैं और न शिर्फ मंच प्रदान करते हैं बल्कि बाकायदा उनका महिमामंडन भी करते है राष्ट की जन भावना के साथ खिलवाड़ करते आए हैं तथा अपराधियों के अपराथ को सामान्यीकृत करने का प्रयास करते आए हैं और इसका हालिया उदाहरण सुशांत सिंह राजपुत के केस में देखने को मिला जब एक तथाकथित बडे़ चैनल ने इस केस कि मुख्य आरोपी को बैठाकर हास्यास्पद सवाल पुछे और मुख्य आरोपी को पुरा समय दिया जिससे वह पिड़ित पर ही संगीन आरोप लगा सके और उसका चरित्र हनन कर सके और न सिर्फ पिड़ित बल्की उसके पुरे परीवार पर आरोप लगा सके और उनका भी चरित्र हनन कर सके | यह बहुत दुर्भाग्यपुर्ण है |


     अब यदी हम इस बारे में और चर्चा करें तो कुछ ही दिन पहले दिल्ली दंगे के मुख्य आरोपियों में से एक को उसी तथाकथित बड़े टीवी चैनल ने स्थान दिया था यही नहीं इसी टीवी चैनल ने कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा मारे गए एक आतंकवादी के बारे में बताया था की वह गणित का शिक्षक था और भी कई घटनाएं बताकर उसके आतंकवादी होने के गुनाह को सामान्यीकृत करने का प्रयास किया | मुझे याद है कि जब निर्भया के दोषियों को फांसी पर चढ़ाया गया था तो एक इसी तरह के न्युज चैनल और उसके पत्रकार ने अपराधियों की रात से लेकर सुबह फांसी पर चढने तक की कहानी बताई थी जिसमें वह यही भी बता रहा था की किस तरह से फांसी वाली रात को किसने खाना खाया था नही खाया था या उन्हे फांसी पर चढा़ने ले जाते वक्त वो फुट फुट कर रो रहे थे | यहां मेरा सवाल इन टीवी चैनलों से ये है कि आप ये बताकर साबित क्या करना चाहते है कि देश उन बलात्कारियों कि फांसी पर रोए या न्यायालय नें उन्हें फांसी कि सजा देकर कोई गुनाह कर दिया है | मुझे यह लगता है कि इन टीवी चैनलों से ऐसे सवाल पुछे जाने चाहिए |


      इसलिए अब समय आ गया है कि इन टीवी चैनलों का पुर्णतय बहिस्कार करके इन्हे सत्य से और राष्ट की जन भावना से अवगत कराया जाए | वरना ये टी आर पी के भुखे चैनल इसी तरह से सत्य को एवं राष्ट को हानी पहुचाते रहेंगे | सच तो ये है कि ऐसे चैनल केवल अपनी वामपंथी विचारधार और अपनी टी आर पी के लिए पत्रकारिता के नाम पर केवल अपना हित साध रहे हैं| | यही वजह है कि पहले सुशांत की कथित हत्या को आत्महत्या कहकर छोड़ देने वाले लोग आज जब एक चैनल ने अपनी मेंहनत , लगन और सत्य के दम पर जब एक मुहिम बना दी है तो इसे मिडिया ट्रायल कहकर आलोचना कर रहें है |


     जिस तरह से घने अंधेरे को रोशनी की एक किरण चिर देती है उसी तरह से टीवी पत्रकारिता में भी कुछ चैनल ऐसे है जो रोशनी की वही किरण हैं और वो दिन रात मेहनत करके सच दिखाने कि कोशिश कर रहे हैं तो उन पर ये आरोप लगाया जा रहा है कि वह मिडिया ट्रायल कर रहे है | इन आरोपों को इस बात से समझिए कि ये वही लोंग हैं जो आतंतवादियों , अलगाववादियों और कातिलों के टीवी इंटरव्यू को सोसल मिडिया पर यह कहते हुए साझा करते हैं कि यही तो अभिव्यक्ति की असली स्वतंत्रता है |

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     इस लेख को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

Sunday, March 29, 2020

लेख, करोना वायरस कविड 19

         नमस्कार , करोना वायरस कविड 19 चीन के वुहान प्रांत से फैला एक जानलेवा वायरस है जिससे अब तक दुनिया में 29 हजार के करीब मौतें हो चुकी हैं और 6 लाख से ज्यादा लोग इस बिमारी के चपेट में आ चुके हैं | चीन से फैला यह खतरनाक वायरस अब तक दुनियां भर के 203 से ज्यादा देशों में फैल चुका है |

     हमारे देश भारत में भी यह वायरस बहोत तेजी से फैल रहा है देश में अब तक कुल 1024 पॉजिटीव मरीज मिले हैं तथा इस वायरस से मरने वालों कि संख्या बढकर 27 हो गई है | इस वायरस के फैलाव को रोकने के लिए पुरे देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया है जो कि करोना वायरस कोविड 19 के खिलाफ भारत कि लडा़ई का निर्णायक कदम साबित होकता है |

     करोना वायरस कोविड 19 से स्वयं का बचाव ही इसका सबसे बेहतर इलाज है मैं यहा जोर देकर यह बताना चाहुंगा के अब तक इस भयावह बिमारी का कोई इलाज नही ढुढा़ जा सका है | करोना वायरस कोविड 19 से बचाव के लिए आप डाक्टरों के द्वारा बताई जा रही कुछ आधारभुत सावधानियॉ जरुर रखें

1.किसी से मिलें तो हाथ मिलाने के बजाय नमस्ते करें
2.बीना किसी ठोस वजय के घर से बाहर ना जाएं घर पर रहें यदि आवश्यकता बस बाहर जाना पड़ जाए तो मुंह पर मास्क लगाकर जाएं
3.अपने हाथों को बार बार चेहरें एवं आंखों पर ना लगाएं तथा अपनें हाथों को लगातार 20 सेकेंड तक साबुन से धोते रहें या सेनेटाइजर से सेनेटाइज करतें रहें
4.किसी अपरिचित व्यक्ति से 2 मिटर की दुरी बनाकर बात करें
5.सबसे महत्वपुर्ण सावधानी यह है कि बाहर ना जाएं घर पर ही रहें

    करोना वायरस कोविड 19 से संक्रमण का पता दो से 14 दिन में चलता है डॉक्टरों का कहना है कि इसके कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं

1.सर्दी , सुखी खांसी , तेज बुखार आना
2.गले में तेज दर्द होना , सांस लेने में परेशानी होना
3.थकावट महसुस होना आदी

     यदि आपको इस तरह के लक्षण महसुस हो तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाएं और अपना चेकअप करवाएं | आप चाहें तो केन्द्र या राज्य सरकारों के द्वारा उपलब्ध करवाई गई हेल्पलाइन पर भी सम्पर्क कर सकते हैं |  नमस्कार

Thursday, March 26, 2020

अप्रकाशित सत्य 2 , दिल्ली दंगों का ये पहलु , क्या दिल्ली में हुआ दंगा योजनाबद्ध साजिश था ?

     23 , 24 और 25 फरवरी , ये शिर्फ तारिखें नही हैं बल्की ये वो मंजर है जो भारत के आधुनिक पंथनिरपेक् और समाजवादी समाज को नही भुलना चाहिए वजय ये है कि इन तीन तारिखों के दरमियान उत्तरपुर्वी दिल्ली में जो दंगे हुए है उन में अब तक 40 से ज्यादा लोगों कि मौत हो गई है और राजधानी में ये तब हुआ जब दुनियां के सबसे अमीर , ताकतवर और दुसरे सबसे बडे़ लोकतात्रिक देश के राष्टपति श्री डोनाल्ड ट्रंप सह परिवार दो दिवसीय दौरे पर भारत आए थे तब इन दंगों के इस तरह योजनाबद्ध साजिश से कराए जाने के पुख्ता आसार हैं और मैं यह क्यों कह रहा हुं इसे निचे लेख में विस्तारपुर्वक लिख रहा हुं |

       जब से ये दंगे हुए हैं तब से मुख्य मिडिया केवल कपिल मिश्रा के बयान को इन दंगों का जिम्मेदार ठहरा रहा है , लेकिन सबाल यह खडा़ होता है कि क्या मात्र कपिल मिश्रा के द्वारा हि कथित रुप से भड़काउ बयान दिया गया था ? , इसका जबाब है जी नही ! इसमें तीन महिने से जिस तरह से भड़काउ बयान दिए जा रहे हैं इसके सामने कपिल मिश्रा का बयान इंच मात्र भी नही है | जब से जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंसा हुई थी तभी से ऐसे सैकडो़ भड़काउ बयान सैकडो़ नेताओ के द्वारा दिए जा चुके हैं जिनमें एआईएमआईएम नेता ओवेसी भाईयों ( असदुद्दीन ओवेसी और अकबरुद्दीन ओवेसी ) तथा वारीस पठान , आम आदमी पार्टी के नेता विधायक अमानतुल्लाह खान का बयान भी सामिल है | वारीस पठान ने तो यहां तक कह दिया कि 'हम दिखा देंगे पंद्रह करोड़ सों करोड़ पर भारी पडे़गे' और आम आदमी पार्टी के विधायक नेता अमानतुल्लाह खान से ताल्लुकात रखने वाला एक दंगाई लड़का जिसका नाम सर्जिल इमाम है चीकन नेक को भारत से काटकर पुर्वोत्तर को परमानेंटली अलग करने कि बात कह रहा था फिलहाल वह पुलिस कि हिरासत में है |

         उत्तरपुर्वी दिल्ली के ये दंगे जिसमें दोनो धर्मों के 40 से ज्यादा लोगों कि मौत हो गई है जिसमें दिल्ली पुलिस के हेड कांसटेबल रतनलाल तथा आईबी के आफिसर अंकित शर्मा जिनको 2 से 4 घंटे तक 400 से ज्यादा बार चाकु मारकर हत्या कर दी गई और लाश को पास के नाले में फेंक दिया गया सामिल हैं | इन दंगों को पुरे योजनाबद्ध तरीके से साजिश के तहत आयोजित किया गया था और आयोजनकर्ता के रुप में आम आदमी पार्टी का पार्षद ताहिर हुसैन चिंन्हीत किया जा चुका है और आज दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी कर लिया है | ताहिर हुसैन के पॉच मंजिला घर कि छत पर से 200 से 500 लोगों कि भीड़ निचे हिन्दुओं का घर चुनचुन कर पत्थर , पेटो्ल बम , तेजाब कि थैलियां और टाइल्स फेंक रहे थे | इस दंगों के योजनाबद्ध होने का यही सबसे बडा़ सबुत है कि एक पार्टी के पार्षद के घर कि छत पर इतने बडे़ मात्रा में पत्थर जिसे रिपोर्ट में तकरिबन सात ट्रक बताया जाता है , पेट्राेल बम , तेजाब तथा गुलेल जैसी खतरनाक चीजें कहां से आयीं क्योकि यह सब चिजे ना तो हवा में उड़कर आ सकती है और ना जादु से पैदा कि जा सकती हैं मतलब साफ है ये सब चीजे एक खास दिन के लिए एक खास मक्सद के लिए इकट्ठा कि गई थी |

      आप दंगों का रुप देखेंगे तो पाएंगे कि यह दंगे पुरी तरह से हिन्दू घृणा से सने हुई थे | अंकित शर्मा को किस तरह से मारा गया था यह मैने आप को बताया और आप थोडा़ और जानने कि कोशिश करेंगे तो पाएंगे कि इन दंगों में जितने भी हिन्दूओ कि मौत हुई है इसी तरह से हुई है और ताहिर हुसैन के घर कि छत से जिस तरह से केवल हिन्दूओ के घरो पर हि पेट्रोल बम , पत्थर और टाइल्स के टुकडे़ फेंके गए हैं तथा उनके हि घरों और दुकानों को ज्यादातर आग लगाई गई है तो इतना सब देखने और सुनने के बाद मैं मजबुर हो गया हुं यह कहने के लिए कि जिस तहर से 1984 में दिल्ली में सिख विरोधी दंगे हुए थे जिसमें 4 हजार से ज्यादा सिखों को मार डाला गया था उसी तरह से यह उत्तरपुर्वी दिल्ली के 2020 के हिन्दू विरोधी देगे थे | हां यह सच है कि इस दंगे मे 1984 के दंगों जितनी मौते नही हुई हैं पर मेरे लिए एक व्यक्ति कि जान भी बहोत अहमियत रखती हैं , नमस्कार | 

अप्रकाशित सत्य 1 , दिल्ली में ध्रुवीकारण किसने किया ? BJP ने या AAP ने

 11 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम देर साम तक पुर्ण रुप से सब के सामने आए जिसमें AAP को 62 , BJP को 8 एवं कांग्रेस को 0 सिटे मिली इसी के साथ माननीय अरविंद केजरीवाल का दिल्ली का तिवारा मुख्यमंत्री बनना निश्चित होगया है |

यू तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में कई मुद्दे रहे जिसमे फ्री बिजली , पानी , स्कुल आदी पर इन सब में प्रमुख रुप से केन्द में रहा 'शाहिनबाग' | इसी शाहिनबाग का अपने भाषणों में गृहमंत्री अमित शाह एवं BJP के अन्य नेताओ के द्वारा जिक्र करने पर इसे मिडिया द्वारा यह कहा गया कि BJP ध्रुवीकारण करने कि कोशिश की मगर क्या यह आरोप सत्य है ? इस सबाल का कोई जबाब या निष्कर्ष जानने से पहले हमें शाहिनबाग के बारे में जानना पडे़गा |

आधारभुत रुप से शाहिनबाग को इसलिए जाना जाने लगा क्योकि वहा महिलाएं , बुजुर्ग महिलाएं एवं बच्चे CAA ( नागरीक्ता संसोधन कानुन ) तथा NRC ( जो कि अभी आयी नही है ) का विरोध कर रहे हैं मगर यहा से लगातार प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ मुसलसल बयानबाजी हो रही थी तथा बेब मिडिया एवं सोसल मिडिया में यह भी आया है कि 8 साल के मासुम बच्चे से प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्द कहलवाए जा रहे थे यह भी खबरों एवं मिडिया में है कि कई आपत्तीजनक एक धर्म विशेष कि घृणा से सने हुए पोस्टर भी लगाए गए थे जिनमें स्वास्तिक को आग लगाना , बिन्दी लगाए हुई महिलाओ को हिजाब में दिखाना आदि सामिल है और यह सब तब किया जा रहा था जब यह प्रदर्शन एक कानुन एवं एक प्रस्तावित कानुन के खिलाफ राजनीतिक प्रदर्शन कहा जा रहा था | और ऐसा भी नही है कि यहा केवस ऐसी महिलाएं है जिन्हे CAA और NRC का पुरा सच नही पता और वह किसी तरह कि गलतफहमी में विरोध प्रदर्शन कर रही हों बल्कि इसके ईतर यहा JNU , AMU के PHD एवं मास्टर्स के स्कॉलर तथा कांग्रेस पार्टी के नेता तक भाषण दे चुके हैं | यही नही AAP के विधायक उम्मीदवार अमानतुल्लाह खान का भी पुरा समर्थन था और असम को देश अलग करने कि बात कहने वाला हिरासत में लिया गया सर्जिल इमाम भी मिडिया के अनुसार अमानतुल्लाह खान के साथ देखा गया था | जिस शाहिनबाग में राजनीतिक विरोघ प्रदर्शन के चादर तले देश कि बहुसंख्यक आबादी के धर्म के प्रति , BJP के प्रति एवं देश के प्रति घृणा का एजेंडा चल रहा था | यह भी खबरों में हे कि शाहिनबाग में सभी तरह के पत्रकारों को भी जाने नही दिया जा रहा था और कुछ न्यंज चैनलों के पुरुष पत्रकारों के साथ साथ महिला पत्रकारों के साथ भी दुर्व्यवहार एवं मारपिट कि गई थी |

यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि बड़ों के विरोध प्रदर्शन में दो मासुम दुधमूंहे बच्चों कि मौत हो गई है जिनमें से एक बच्चा चार माह का था एवं एक बच्ची मात्र दो महिने कि थी इसी पर बाल अधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुचा एवं अब मामला सुप्रीम कोर्ट नयायिक पथ पर है | शाहिनबाग के बेबुनियादी विरोध प्रदर्शन या एजेंडा कह लिजिए एक माह से ज्यादा वक्त से  आम आवा जाही में बाधा हो रही है |

लगातार BJP के भाषणों में शाहिनबाग का जिक्र होने पर अरविंद केजरीवाल निरंतर कहते रहे के गृहमंत्री अमित शाह को वहा जाना चाहिए ओर रास्ता खुलवाना चाहिए मगर वह खुद नही गए एवं एक स्थान पर हुई गोली चलाने कि घटना में AAP का सदस्य हि पकडा़ गया हिल्ली पुलिस एवं मिडिया खबरों के अनुसार और वैसे यह सच तो किसी से छुपा नही है कि केजरीवाल साहब कईयों बार मिडिया में आने के लिए एवं जनता कि सहानुभुति पाने के लिए खुद को थप्पड़ भी मरवा चुके हैं | तो यह सारी बातें स्वयं संकेत करती हैं कि केजरीवाल साहब तो खुद शाहिनबाग के साथ खडे़ नही हुए मगर उनकी पार्टी AAP और मनिस सिसोदिया मजबुती से शाहिनबाग के साथ खडे़ रहे | और जहा तक रही शाहिनबाग के विरोध प्रदर्शन नाटक के वास्तविक होने कि बात तो CAA और NRC का सच किसी से छुपा नही है |

और अब जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आए हैं तो इस एजेंडे एवं ध्रुवीकारण का साफ और स्पस्ट असर देखा जा सकता है जहा आम आदमी पार्टी ( AAP ) के विॉधायक उम्मीदवार अमानतुल्लाह खान ने 76100 वोटों से जीत दर्ज कि है जो कि दुसरी सबसे बडी़ जीत है और इसी तरह का हाल बाकि के मुस्लीम बहुल सिटों का भी है | तो ध्रुवीकारण कि राजनीति किसकी थी और किसको इसका लाभ मिला है यह सत्य सब के सामने उजागर होगया है | अगर बात करें BJP कि तो BJP का मत प्रतिशत पहले के विधानसभा चुनावों से बेहतर होकर 38.4 % रहा जिका मतलब यह है कि BJP पुरी तरह से नकारी नही गई है और जिस तरह से BJP ध्रुवीकारण करने का आरोप तमाम चुनावों में चाहे वह जीते हो या हारे हो तमाम न्युज चैनलों , अखबारों ,  बेब न्युज पोर्टलों एवं सोसल मिडिया पर झेलती आयी है यह काबिले तारीफ है और जैसा कि चुनाव हारने वाली हर पार्टियां करती हैं BJP भी हार पर मंथन कर रही है और ध्रुवीकारण किए जाने और के फायदे नुकसान का सच सब के सामने है , नमस्कार |

Friday, March 15, 2019

लेख, इतिहास में सबसे बड़ा दानी कौन

      हमारे भारत भूमि को परोपकार की भूमि कहा जाता है | यू तो मैं ने कई दानवीर राजाओं के बारे में सुना हैं मगर यहां मैं केवल दानवीर कर्ण का उल्लेख करना चाहूंगा |

        जितना मैं ने पढ़ा है, सुना है और टीवी सीरियलों के माध्यमों से देखा है उतना मै आपको दानवीर कर्ण के बारे मे विस्तार से बता रहा हूं :-

      कर्ण पांडवों की मां यानी कुंती के पहले बेटे थे जिन्हें माता कुंती ने अपने विवाह से पहले ही जन्म दिया था | कर्ण के जन्म के बाद समाज में बदनाम होने के भय से कर्ण को जल में प्रवाहीत कर दिया था |

      जल में प्रवाहीत कर्ण को एक किसी गरीब वंचित वर्ग के लोगों ने पाया एवं उन्हीं में से एक दंपति ने कर्ण का लालन पालन किया | फिर कर्ण जब बहे हुए तो उन्होने परमवीर परशुराम से युद्ध कौशल सिखा |

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लेख, हर चीज का जानकार नही समझदार बनो


   कोई इंसान सब कुछ जानले ये किसी इंसान के लिए नामुमकिन है इस दुनियां में हर चीज केवल ईश्वर जान सकते | एक इंसान हर चीज जान पाए ये संभव हो या ना हो मगर एक इंसान बहोत कुछ जान सकता है |

         ये दुनियां इतनी विभिन्नओ से भरी है | इतना बड़ा जनसंख्या घनत्व है इतने सारे देशों का भूत वर्तमान इतने विषय मनोरंजन खेल व्यापार आदी कि ये सब कुछ एक माया जाल के जैसा लगता है |

     जानकार और समझदार होने में फर्क होता है | जानकार इंसान केवल एक या दो विषय का हो सकता है मगर समझदार इंसान तो कई विषयों का हो सकता है | इसलिए जरुरी ये है कि हर चीज जानने से ज्यादा हर चीज समझने की कोशिश करें |

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Sunday, January 20, 2019

लेख, खुबसुरत कौन ? बदसूरत कौन ?

   सच तो वो है की इस दुनियां में कोई बदसूरत नही क्योंकि हमारे भगवान ने जिन्हें हम इस दुनियां के रचयिता कहते हैं ने ये सारे रंग बनाए हैं जिनके विभिन्नता हैं और अनेकता हैं | ये भी सोचने वाली बात है कि अगर दुनियां में सभी एक जैसे होते तो ये दुनियां ही बेरंग और अजीब लगती |

     दरअसल खुबसुरत और बदसूरत हमेशा इंसान अपने मन से और अपनी सोच से हो सकता है शरीर से कभी नही हो सकता | मगर जिन लेगो की सोच खराब है वह दूसरों को देखकर कहते हैं ये बदसूरत है बीना इस सच को जाने की वह जैसा है उसमे उसकी कोई गलती नही है |

     हम मे से कुछ लोग दूसरों के कहे मुताबिक खुद को बदसूरत मानने लगते हैं और अपनी पुरी जिंदगी इसी शर्मिंदगी में गुजार देते हैं की वह खुबसुरत नही है या वह इतने बदसूरत क्यों है? | जबकि इसकी कोई जरुरत नहीं है | शरीर की खुबसुरती का क्या है वह तो उम्र बढने के साथ साथ एक दिन चली ही जाएगी पर यदि आप मन से खुबसुरत हैं तो आप हमेशा खुबसुरत ही रहेंगे |

    अब के बाद अगर आप को आपके पीठ पीछे कोई आपको बदसूरत कहे तो यह सोचकर मुस्कुराइएगा की वह मन से कितना बदसूरत है | ये दुनियां हम सब को एक ही और एक जैसी ही मिली है क्योंकि बनाने बाले ने किसी को कम किसी को ज्यादा नही बनाया है |

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लेख, मनुष्यों के कुछ अजीबोगरीब विचार

     मनुष्यो के हम मनुष्यों ने अपना अस्तित्व पाने के बाद अपना विकास सवाधिक तिव्र गति से किया है मह मनुष्यों की तुलना में धरती पर और कोई ऐसा जीव नही है जिसने इतनी सक्षम शारिरीक एवं बौद्धिक प्रगति की हो |

     वैसे तो मनुष्यों ने अनेकों अजीबोगरीब विचार किए हैं जैसे पानी पर चलने की कोशिश करना , नकली पंख लगाकर पंछी की तरह उडने की कोशिश करना जिसमें कुछ हद तक कामयाबी मिली है , दिखाई न देने की चाह रखना आदी |

      लेकिन इन सब में जो मनुष्य की सबसे बड़ी एवं सबसे अजीबोगरीब चाहत है वह मौत को जीत लेने की हैं | बहोत समय से इंसान या तो बहोत लंबा जीना चाहता है या कभी मरना ही नही चाहता अन्य शब्दो में कहे तो अमर होना चाहता है |

     यही वजह है की हम मनुष्य आज नियति के दिए अंगों को बदल सकते हैं कृत्रिम अंगों तक का प्रयोग कर सकते हैं | यह हम इंसानो की एक जीत कही जा सकती है मगर हमे यह नही भूलना चाहिए की यह धरती एवं यह दुनियां बहोत शक्तिशाली एवं रहस्यमयी है |

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लेख, असल में हिन्दी क्या है और क्यों हम धारा प्रवाह हिन्दी नही बोल पाते

    हा यह सच है कि भारत में लोग धाराप्रवाह हिन्दी नही बोल सकते वजह ये है कि हमे असलियत में हिन्दी भाषा का भान ही नही है |

     दरअसल हम आज जिस भाषा को हिन्दी कहते हैं वह देवनागरी एवं उर्दू का मिश्रण है | उदाहरण के तौर पर यदि हम किसी से ये पूछते हैं कि , ‘साहब आपको एक गिलास पानी चाहिए क्या’ | तो इस एक वाक्य में साहब शब्द उर्दू का है , गिलास उर्दू का शब्द है , पानी उर्दू का शब्द है एवं आपको, एक , चाहिए और क्या देवनागरी के शब्द है | तो यदि हम उसी वाक्य को असली एवं शुद्ध हिन्दी यानी देवनागरी में बोलना चाहे तो कुछ यू कह सकते हैं, ‘महोदय आपको एक जल पात्र जल चाहिए क्या ‘|

    यही वजह है कि हम लोग धाराप्रवाह हिन्दी नही बोल पाते क्योंकि हम अपने आम बोलचाल में हिन्दी से कही ज्यादा उर्दू भाषा के शब्दों को बोलते हैं और बहोल सारे लोगों को बोलते वक्त यह भी नही पता रहता के वो उर्दू के शब्द बोल रहे हैं |

     हमारी हिन्दी की तरह ही हमारी उर्दू भी हमारे भारत देश में जन्मी भाषा है | हिन्दी एवं उर्दू दोनों ही हमारे भारत देश की शान हैं और घर घर में बोली जातीं हैं |

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लेख, इतिहास को छेड़ने के सन्दर्भ में

     अगर कोई समाज तरक्की की राह पर चलता है तो उस समाज की तरक्की में एक दो नही बल्की कई पीढ़ी का योगदान होता है और हर योगदान का महत्व समय की किताब में भी है और इंसानी किताबो में भी |

    इतिहास का लेखन हो चुका है तो उसे किसी के भी जरिए किसी भी तरह से और किसी भी स्वार्थ की सफलता के लिए बदला नही जा सकता मगर इतिहास को पढ़ने का तरीका बदला जा सकता है मसलन अगर किसी को किसी जती विशेष को खुला करना है तो वह उस जाती विशेष के इतिहास को बढा चढ़ा कर प्रस्तुत करेगा | ये ख़ासियत अक्सर राजनीति में देखी जा सकती है |

    स्वार्थ साधना में इतिहास का उपयोग अनुवाद के रुप में भी होता है | अपने नीजी हीतोॉ के लिए कोई अनुवादक किसी विशेष भाषा के इतिहास के उन पन्नों को अनुवादित करता है जो उसे आर्थिक या सामाजिक रुप से समाज में कोई विशेष स्थान या ख्याति दिला सके |

     अब तो फिल्मों एवं टीवी सीरियलों में भी निर्माताओं में इतिहास को उपयोगी बनाने की होड सी लग गयी है और हर निर्माता निर्देश इतिहास को अपने तरीके से बदल रहा है और इस बदलाव को रचनात्मक का चोला ओढा दिया जाता है | इसका हालिया उदाहरण फिल्म पद्मावत के रुप में देखा जा सकता है |

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Sunday, August 12, 2018

लेख , आत्म निर्भर जीवन

 प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक आम मुद्दा है जो जीवनशैली है, जीवनशैली का मतलब है दैनिक दिनचर्या का प्रारूप और फैशन के साथ शेड्यूलिंग । जीवन शैली का मानक में आपके काम, धन, पेशे इत्यादि पर निर्भर करता है |

 अगर हम आत्म निर्भर पुरुषों और आश्रित पुरुषों की जीवनशैली की तुलना करते हैं, तो आप उनके बीच बहुत बड़ा अंतर पा सकते हैं | इसलिए मानक जीवनशैली के लिए आप स्वयं आत्मनिर्भर बने |

 यदि आप दूसरे व्यक्ति पर निर्भर हैं तो आपकी सारी दैनिक आवश्यकताएं उसके द्वारा पूरी होंगी | तो जिस व्यक्ति पर आप निर्भर करते है वह आपको बोझ की तरह महसूस करने लगता है, शायद वह आपको नहीं कहता है लेकिन यह एक आम मानव प्रकृति है |

 आपके लिए इतने सारे उदाहरण हैं , जैसे शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण या अक्षम व्यक्ति | लेकिन हम आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से आत्मनिर्भर एवं स्वतंत्र जीवन जी सकते हैं |

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       मेरा ये लेख आपको कैसा लगा है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

लेख , सत्य की शक्ति

   आपको शक्ति क्या देती है? अगर मैं आपको उस विशेष प्रश्न के बारे में पूछूंगा , तो आपका दिमाग पैसे की शक्ति, किसी भी राजनीतिक पद की शक्ति, के बारे में सोचने लग जायेगा, व्यवसायी संपर्क इस तरह के बहुत सारे ख्याल भी |

    मनुष्यों के लिए मानव प्रकृति द्वारा दो प्रकार से विभाजित शक्ति है , सबसे पहली शारीरिक शक्ति और दूसरा मानसिक शक्ति है, मूलभूत रूप में भौतिक शक्ति आपके शरीर की शक्ति है, यह सब धन शक्ति,  किसी भी राजनीतिक पद की शक्ति आदि की तरह है , और दूसरी मानसिक शक्ति निर्भर करती है अपके मस्तिष्क पर, यदि आप ईमानदार हैं, तो आप सच्चाई के साथ हैं और खुद पर विश्वास करते हैं | आपकी सच्चाई आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाती है |

     यह बहुत संभव है कि आपकी शारीरिक शक्ति समाप्त हो जाए लेकिन आपकी मानसिक शक्ति हमेशा आपके साथ रहेगी , क्योंकि आपकी मानसिक शक्ति आपके दिमाग में है। जब तक आप मानसिक रूप से फिट हैं तो आपकी मानसिक शक्ति कभी समाप्त नहीं होगी |

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Wednesday, July 25, 2018

लेख , मतदाता जागरूक तो मताधिकार सार्थक

लेख , मतदाता जागरूक तो मताधिकार सार्थक
 मारे देश में 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेने वाले हर व्यक्ति को एक समान रूप से बिना उसके धर्म , जाति , लिंग ,  संप्रदाय , जन्म स्थान  आदि का भेदभाव किये देश में होने वाले हर तरह के आम चुनावों में अपना मत देने का अधिकार प्राप्त है | यह अधिकार हमें हमारे देश के संविधान ने दिया | देश में होने वाले हर आम चुनावों में मत देना हमारा अधिकार भी है हमारा कर्तव्य भी है | यदि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु पूर्ण कर लेने वाले किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है तो वह अपनी पंचायत कार्यालय में जाकर अपना नाम जुड़वाने हेतु आवेदन कर सकता | मेरी जानकारी के अनुसार इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है |

अक्सर यह देखा जाता है कि चुनाव के दिन लोग वोट (मत) डालने नहीं जाते  बल्कि से छुट्टी का एक दिन समझ कर निवास पर ही रहते हैं या फिर कहीं भ्रमण पर निकल जाते हैं |  शहरों में यह हालात और भी आम बात है | ऐसा करने के बजाय अगर हम सब अपने अपने नजदीकी चुनाव केंद्रों में जाकर अपना मत दें तो एक सही सरकार चुनकर सरकार में आएगी | जिससे हमारे देश का विकास होगा | मत का उपयोग करना मैं समझता हूं कि हमारे देश के हर नागरिक की प्रथम जिम्मेदारी होनी चाहिए |

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    मेरी ये लेख मतदाता जागरूक तो मताधिकार सार्थक आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |