Thursday, January 13, 2022

असंपादित सत्य 01 , भारत का नवीन नारीवाद और उसकी नारी |


     भारत एक ऐसा देश जो कृषि प्रधान तो है ही साथ ही साथ नारी प्रधान भी है | नारी प्रधान मै इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इस राष्ट्र के कोने-कोने में नारी के प्रभाव की छाप मिलती है , हिन्दू धर्म में नारी के हर रुप की पुजा की जाती है चाहे वह बेटी के रुप में हो या मां के रुप में | अगर यह अतिशयोक्ति न हो तो हर भारतीय के लिए भारत एक जमीन का टुकडा न होकर उसकी मातृभूमि है उसकी भारत माता है |


     जितना मेरा अध्ययन है महिलाओं को शोषण से बचाने और उनके सभी तरह के नागरिक और मानवीय अधिकारों की बात करना मूल रुप से नारीवाद माना जाता है | यू तो नारीवाद मूलत: पश्चिम की विचारधारा है क्योंकि उनके समाज में एक बहुत बड़े कालखण्ड में महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता रहा है और वह आज भी हो रहा है जैसे उदाहरण के लिए अनेक युरोपियम देशों में महिलाओं के साथ बलात्कार को सामान्य सी घटना समझा जाता है और इस पर आधुनिकीकरण का पर्दा डाले रखा गया है | 


     यदि हम भारत की बात करें तो प्राचीन भारत महिलाओं के अनेकों योगदानों से भरा पड़ा है जिसमें महिलाएं लेखन , शिक्षा , तपस्या , व्यापार , रक्षा , अनुसंधान , सेवा आदि हर क्षेत्र में उत्कर्ष पर रही हैं | मगर बीच के इसलामीक आक्रमण के कालखण्ड में महिलाओं के इस चेतना का हास हुआ जिसे आज के भारत में यह समझा जाने लगा है कि भारत सदैव से ऐसा ही था इसीलिए रेप इन देविस्तान जैसी बातें कही जाती हैं | आज के भारत में नारी की जो मूल समस्याए हैं वो है अच्छी शिक्षा , स्वास्थ्य , वित्तीय आत्मनिर्भरता , रोजगार के समान अवसर , जागरुकता आदि | मगर आज भारत की नारीवादी महिलाओं के लिए यह मुद्दे गौण हैं उनके लिए नारीवाद का मतलब हो गया है कपडे न पहनना या छोटे पहनना या बड़े पहनना , शादीशुदा होते हुए भी गैर मर्दों से संबंध बनाने की समाज में स्वीकार्यता लाना या चरमसुख की प्राप्ति के लिए अधिक से अधिक पुरुषों से संबंध बनाने की स्वीकार्यता पाना , पुरुषों की अंधी बराबरी करना आदि | 


     जिस देश की करोड़ों की आबादी गरीबी रेखा से नीचे हो जिनके पास दो वक्त का भोजन भी सरकार के अनुदान पर हो , महिलाओं में अशिक्षा , संवैधानिक और कानूनी जागरुकता का आभाव  , महिला आधारिक स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव हो उस देश की नारीवादी महिलाओं के ऐसे विषय न केवल हास्यास्पद हैं बल्कि भारतीय नारीवाद पर भी सवाल खड़े करते हैं | सबसे पहले तो यही की क्या भारत में नारीवाद सही पथ पर है? और क्या इसके विषय वास्तव में समस्त भारत की नारियों के लिए प्रासंगिक है? आदि |


     मुझे निजी तौर पर किसी भी नारीवादी महिला या पुरुष के किसी भी विचार से कोई आपत्ति नही है यह उनकी निजी प्राथमिकता हो सकती है और वह उन विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए स्वतंत्रत हैं | मेरा आशय समस्त भारतीय नारीवादी परिचर्चा से है जो स्वयं को नारी के बेहतरी के लिए सार्थक होना चाहता है | 


Thursday, November 4, 2021

'दीया' होने का एक अर्थ 'राम' होना भी है


     आज दीपावली है और हम अपने घरों में उल्लास के साथ यह पर्व मना रहे हैं और बड़े उत्साह के साथ रात को सारे घर में दीपक जलाने का इंतजार कर रहे हैं और यही तो दीपावली का सौंदर्य है जो जगमगाते दीपकों का प्रकाश प्रकृति के कण कण में भर देता है | आपको दीपावली के पावन पर्व पर अनेक अनेक शुभकामनाएं |

     दीयों को अगर खुशीयों का सबसे अच्छा प्रतीक कहा जाए तो कोई अतिशयोक्तिपूर्ण बात नही होगी | जब राम का जन्म कौशल्या के गर्भ से हुआ तब तक राम के पिता यानी राजा दशरथ को कोई संतान नही थी तो राम के जन्म को पूरे अयोध्या में बड़े धूमधाम से मनाया गया , अयोध्या वासियों ने अपने युवराज के जन्म को भी दीपावली की तरह से ही मनाया था | राम जब चौदह वर्ष के वनवास और लंका विजय कर वापस अयोध्या आए तब भी अयोध्या वासियों ने दीये जलाकर दीपावली मनाई |

     यदि हम दोनों अवसरों 'राम के जन्म' तथा 'राम के वापस अयोध्या आगमन' को देखें तो    दोनों ही समय राम निराशा के अंधेरे में उम्मीद की रोशनी बनकर आए और दोनों ही समय में उनका स्वागत अयोध्या वासियों ने दीये जलाकर खुशीयां मनाकर किया | पुजा से लेकर बाकी हमें खुशी देने वाले हर कार्य में दीये सम्मिलित होते हैं और राम तो जनमानस के रोम रोम में हैं तब यह सर्वथा सत्य हो जाता है कि 'दीया'' होने का एक अर्थ 'राम' होना भी है |

Monday, October 4, 2021

किसान आंदोलन के नाम पर लखीमपुरखिरी हिंसा और भाजपा की योगी सरकार

 ऐसा इनको लगता है कि साहिनबाग के वजह से भाजपा दिल्ली नही जीत पाई तो इसकी सफलता से उत्साहित होकर ये किसान आंदोलन की नौटंकी शुरु की गई और फिर इसी कड़ी में भाजपा बंगाल का चुनाव हार गई तो इनको लगने लगा है की हां ये तो सही तरिका है कि इससे भाजपा चुनाव हार रही है तो इनको लगता है कि योगी को भी इसी तरह से हराया जा सकता है | 

यदि साहिनबाग की नौटंकी को सही तरीके से शांत कर दिया जाता तो आज ये सब नही होता | इस तरीके के राजनीतिक स्टंट करके सत्ता में आने का कांग्रेस का पुराना इतिहास रहा है और आंदोलन के नाम पर ये सब ड्रामे इसीलिए जानबूझ कर चुनाव के वक्त कराए जाते हैं क्योंकि जानते हैं कि ऐसे वक्त में कोई भी राज्य सरकार सख्त एक्शन नहीं लेगी और यही हो भी रहा है |

मुझे अभी तक ये समझ में नही आया कि आखिर भाजपा की केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार हो इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही से डर क्यों रहे हैं आखिर किस बात का डर है |

आप इस तरह के राजनीतिक प्रयोगों को रोक क्यों नहीं रहें हैं जबकि आप ये जानते हैं कि इससे आपका कोर वोटर कहीं नही जाने वाला उल्टा यदि आप इस तरह की आंदोलन या विरोध प्रदर्शन के नाम पर हो रही नौटंकी को रोकेंगे तो इससे आपका वोटर बेस बढ़ेगा ही कम नही होगा | इसका मूल कारण यह है कि इस तरह की राजनीतिक नौटंकीयों से आम लोगों का कोई लेना देना नही होता बल्कि आम सामान्य लोग इससे परेशान ही होता है उसे इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नुकसान ही होता है |