Thursday, November 4, 2021

'दीया' होने का एक अर्थ 'राम' होना भी है


     आज दीपावली है और हम अपने घरों में उल्लास के साथ यह पर्व मना रहे हैं और बड़े उत्साह के साथ रात को सारे घर में दीपक जलाने का इंतजार कर रहे हैं और यही तो दीपावली का सौंदर्य है जो जगमगाते दीपकों का प्रकाश प्रकृति के कण कण में भर देता है | आपको दीपावली के पावन पर्व पर अनेक अनेक शुभकामनाएं |

     दीयों को अगर खुशीयों का सबसे अच्छा प्रतीक कहा जाए तो कोई अतिशयोक्तिपूर्ण बात नही होगी | जब राम का जन्म कौशल्या के गर्भ से हुआ तब तक राम के पिता यानी राजा दशरथ को कोई संतान नही थी तो राम के जन्म को पूरे अयोध्या में बड़े धूमधाम से मनाया गया , अयोध्या वासियों ने अपने युवराज के जन्म को भी दीपावली की तरह से ही मनाया था | राम जब चौदह वर्ष के वनवास और लंका विजय कर वापस अयोध्या आए तब भी अयोध्या वासियों ने दीये जलाकर दीपावली मनाई |

     यदि हम दोनों अवसरों 'राम के जन्म' तथा 'राम के वापस अयोध्या आगमन' को देखें तो    दोनों ही समय राम निराशा के अंधेरे में उम्मीद की रोशनी बनकर आए और दोनों ही समय में उनका स्वागत अयोध्या वासियों ने दीये जलाकर खुशीयां मनाकर किया | पुजा से लेकर बाकी हमें खुशी देने वाले हर कार्य में दीये सम्मिलित होते हैं और राम तो जनमानस के रोम रोम में हैं तब यह सर्वथा सत्य हो जाता है कि 'दीया'' होने का एक अर्थ 'राम' होना भी है |

Monday, October 4, 2021

किसान आंदोलन के नाम पर लखीमपुरखिरी हिंसा और भाजपा की योगी सरकार

 ऐसा इनको लगता है कि साहिनबाग के वजह से भाजपा दिल्ली नही जीत पाई तो इसकी सफलता से उत्साहित होकर ये किसान आंदोलन की नौटंकी शुरु की गई और फिर इसी कड़ी में भाजपा बंगाल का चुनाव हार गई तो इनको लगने लगा है की हां ये तो सही तरिका है कि इससे भाजपा चुनाव हार रही है तो इनको लगता है कि योगी को भी इसी तरह से हराया जा सकता है | 

यदि साहिनबाग की नौटंकी को सही तरीके से शांत कर दिया जाता तो आज ये सब नही होता | इस तरीके के राजनीतिक स्टंट करके सत्ता में आने का कांग्रेस का पुराना इतिहास रहा है और आंदोलन के नाम पर ये सब ड्रामे इसीलिए जानबूझ कर चुनाव के वक्त कराए जाते हैं क्योंकि जानते हैं कि ऐसे वक्त में कोई भी राज्य सरकार सख्त एक्शन नहीं लेगी और यही हो भी रहा है |

मुझे अभी तक ये समझ में नही आया कि आखिर भाजपा की केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार हो इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही से डर क्यों रहे हैं आखिर किस बात का डर है |

आप इस तरह के राजनीतिक प्रयोगों को रोक क्यों नहीं रहें हैं जबकि आप ये जानते हैं कि इससे आपका कोर वोटर कहीं नही जाने वाला उल्टा यदि आप इस तरह की आंदोलन या विरोध प्रदर्शन के नाम पर हो रही नौटंकी को रोकेंगे तो इससे आपका वोटर बेस बढ़ेगा ही कम नही होगा | इसका मूल कारण यह है कि इस तरह की राजनीतिक नौटंकीयों से आम लोगों का कोई लेना देना नही होता बल्कि आम सामान्य लोग इससे परेशान ही होता है उसे इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नुकसान ही होता है | 

Saturday, July 31, 2021

अप्रकाशित सत्य 23 , डा. आंबेडकर के बारे में वो तथ्य जो आप आज तक नहीं जानते होंगे


     बाबा साहब के बारे में अपने पिछले लेख में मैने उनके जीवन के बारे में बताया था जिससे ज्यादातर लोग परिचित होंगे लेकिन इस लेख में मै डॉक्टर भीमराव आंबेडकर से जुड़े ऐसे तथ्यों के बारे में बता रहा हूं जिसे कुछ चुनिंदा लोगों ही जानते हैं या वो लोग जान पाते हैं जो डा आंबेडकर को अपने अध्ययन का मुख्य हिस्सा बनाते हैं 

     हम सब बाबा साहब को संविधान के निर्माता के रुप में जानते हैं लेकिन बाबा साहब एक वकील होने के साथ साथ समाज सुधारक , पत्रकार , लेखक , संपादक , शिक्षाविद , विधिवेत्ता तथा अर्थशास्त्री भी थे | संविधान के अलावा बाबा साहब ने भारत के बैकिंग सिस्टम , इरिगेशन सिस्टम , इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम तथा रेवेन्यु सिस्टम पर भी महत्वपूर्ण योगदान दिया | यहां हम कुछ तथ्यों पर गौर करेंगे जो सामान्य जन मानस को नही पता |

1. किया था राज्यसभा में संविधान को जलाने का ऐलान 

   23 सितंबर सन् 1953 को राज्यसभा में कहा था कि इसकी यानी संविधान की हमें कोई जरुरत नहीं है क्योंकि ये किसी के लिए भी अच्छा नही है | देश को अल्पसंख्यक एवं बहुसंख्यक में नही बांट सकते |

19 मार्च 1955 डा अनूप सिंह ने डा अांबेडकर के बयान का मामला उठाया तो डॉक्टर अांबेडकर ने इसके जबाब में कहा था कि हमने संविधान बनाकर एक मंदिर बनाया था भगवान के रहने के लिए लेकिन इसमें अब राक्षस रहने लगे इसलिए इसे तोड़ने के अलावा हमारे पास कोई और चारा नही है |

2. मुस्लिम और ईसाई नही बल्कि बौद्ध पंथ अपनाया था 

   1935 में ही महाराष्ट्र में दिए अपने एक भाषण में बाबा साहब ने कह दिया था कि मै पैदा जरूर हिन्दू हुआ हूं लेकिन हिन्दू मरुंगा नही | इसके बाद बाबा साहब ने 20 वर्षों तक सनातन धर्म समेत सभी पंथों का अध्ययन किया इसके बाद बौद्ध पंथ अपनाने का निर्णय लिया | बाबा साहब का मानना था कि बौद्ध पंथ ही सबसे अधिक तर्क संगत है | 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर कि दीक्षाभूमि में विधिवत धर्म परिवर्तन किया तथा उनके साथ उनके समाज के 385000 लोगों ने भी धर्म परिवर्तन करके बौद्ध पंथ अपना लिया था |

3. डॉक्टर अांबेडकर ने अनुच्छेद 370 का ड्राफ्ट बनाने तक से इनकार कर दिया था 

   1949 में कश्मीरी नेता शेख अब्दुल्लाह डॉक्टर अांबेडकर से मिलने इसी के लिए गए थे कि संविधान में जम्मू कश्मीर को विशेष प्रावधान दिए जाएं जिसे बाद में अनुच्छेद 370 के रुप में लागू किया गया | मगर बाबा साहब ने इसका ड्राफ्ट बनाने तक से मना यह कह के कर दिया था कि यह भारत के हित के खिलाफ है और मै ये पाप नही करूंगा |

4. इस्लाम के बारे में ये कहा है डॉक्टर भीमराव अांबेडकर ने 

   बाबा साहब ने एक स्थान पर ये स्पष्ट शब्दों में कहा है कि 'इस्लाम एक सच्चे मुसलमान को कभी भी भारत को अपनी मातृभूमि तथा हिन्दू को अपने सगे के रुप में मान्यता नही दे सकता |

5. उर्दू को राष्ट्र भाषा बनाने कि मांग को खारिज करते हुए ये लिखा था 

   जब उर्दू को भारत की राष्ट्र भाषा बनाने कि मांग कि जा रही थी तो संप्रदायीक आक्रमण नामक किताब के ग्यारहवाँ अध्याय में बाबा साहब ने लिखा - उर्दू ना तो भारत में बोली जाती है और ना ही यह हिन्दुस्तान के सभी मुसलमानों कि भाषा है | 68 लाख मुसलमानों मे से केवल 28 लाख ही उर्दू बोलते हैं |

     उपर वर्णित बिन्दुओं से यह स्पष्ट होता है कि आज राजनीतिक स्वार्थ के लिए जिस तरह से खुद को दलित नेता कहने वाले लोग डॉक्टर बी आर अांबेडकर का चित्रण करने का प्रयास करते हैं वह सर्वथा गलत है और लोग भी इन तथाकथित नेताओं कि बात में इसलिए आ जाते हैं क्योंकि उनके पास सही जानकारी का आभाव है और ये नेता नही चाहते कि ये सत्य आम जनता तक पहुंचे | 

     अक्सर आपने सुना होगा हर टीवी डिबेट में या किसी न किसी राजनीतिक आंदोलन में या धरना प्रदर्शन में कोई ना कोई नेता यह कहता हुआ मिल जाएगा कि हम बाबा साहब के बनाए संविधान को बचाने के लिए लड़ रहे हैं या बचाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का बनाया संविधान वैसा ही था जैसा आज का हमारा संविधान है |

वर्तमान जो हमारा भारतीय संविधान है इसमें 100 से अधिक संरोधन हो चुके हैं साथ ही निम्न बदलाव भी संविधान में किए जा चुके हैं 

A. जब संविधान लागू हुआ था तब संविधान कि प्रस्तावना में समाजवादी और पंथनिरपेक्ष शब्द नही थे इन शब्दों को संविधान कि प्रस्तावना में 42वे संविधान संशोधन से 1976 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा जोड़ा गया |

B. 26 नवंबर 1949 को जब संविधान अंगीकृत किया गया था तब इसमें तिथि और वर्ष बताने के लिए विक्रम संवत का उपयोग किया गया था जिसे आज भी संविधान कि प्रस्तावना में स्पष्ट पढ़ा जा सकता है तब से लेकर 1957 तक यही पंचांग भारत में प्रचलन में रहा |

मगर 22 मार्च 1957 को कांग्रेस की जवाहर लाल नेहरु सरकार के द्वारा विक्रम संवत के स्थान पर शक संवत को राष्ट्रीय पंचांग के रुप में अपनाया गया |

C. बाबा साहब के बनाए संविधान के प्रारंभिक पन्नों पर बने भगवान प्रभु श्री राम और माता सीता समेत भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले चित्रों को संसद भवन के अतिरिक्त प्रकाशित होने वाली संपूर्ण भारत में संविधान की प्रतियों के लिए गैर जरुरी बना दिया गया है जिससे आज आम जनता को वो चित्र देखने के लिए भी उपलब्ध नही हैं |