Tuesday, March 23, 2021

अप्रकाशित सत्य 19 ,धर्म , विधर्म , अधर्म , मजहब , सेक्युलर (Secular) का मतलब क्या है ? राष्ट , देश , राज्य में अन्तर क्या है? तथा राष्ट्रीयता एवं नागरीकता में फर्क क्या है ?


     मानव की विकास यात्रा में जितना योगदान भाषाओं का रहा है शायद ही किसी अन्य का हो तभी तो आज विश्व भर में हजारों की तादाद में भाषाएं बोली जाती हैं | कहा जाता है के अकेले भारत में सैकड़ों की संख्या में भाषाएं एवं हजारों की तादाद में बोलीयां हैं इन बोलीयों की गिनती 1400 से भी अधिक है | मगर भाषा जहां विकास करती है वही दूरीयां भी उत्पन्न करती है क्योंकि एक भाषा का व्यक्ति दूसरे की भाषा को नही समझता और यही से जन्म होता है अनुवाद का | आज जो मानव का विकास इस उंचाई तक पहुंचा है इसकी सबसे बडी वजह यह है कि हमने एक दूसरे की भाषा यानी अभिव्यक्ति को समझ लिया और अनुवाद इसका प्रमुख माध्यम है चाहे वह मौखिक हो या लिखित | 

     आमतौर पर अनुवाद के साथ यह समस्या होती है कि वह हूबहू वैसा नही हो पाता जैसा वह अपनी मूल भाषा में होता है कारण मूल भाषा की तरह अनुवाद की भाषा में शब्दों का या उच्चारणों का न होना आदि | ऐसा ही कुछ हुआ है हिन्दी , उर्दू और अंग्रेजी के इन शब्दों के साथ , आइए चर्चा करें | 

धर्म 

     धर्म का हिन्दी अर्थ है वह नैतिक कर्तव्य जो मानव परिस्थितियों के अनुसार स्व विवेक से स्वयं के लिए घारण करता है | मगर अंग्रेजी में इसका अनुवाद रेलिजन (Religion) है | यही नही एक और शब्द है उर्दू का 'मजहब' जिसका अंग्रेजी अनुवाद रेलिजन (Religion) ही है | जबकि इन दोनों शब्दों के अर्थ अलग हैं | 'मजहब' धर्म से भिन्न कैसे हैं मैं आगे लेख में चर्चा करता हूँ |

विधर्म 

     विधर्म का हिन्दी अर्थ है स्व विवेक से ऐसे नैतिक कर्तव्य का पालन करना जो किसी विशेष परिस्थितियों में या सामान्य जीवन में जो किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के द्वारा न अपनाया जा रहा हो | विधर्म के लिए अंग्रेजी में कई शब्द हैं जैसे हेट्रोडाक्सी (Heterodoxy) , हेरेसी (Heresy) आदि | यहां यह भी बताना आवश्यक है कि विधर्म का मतलब अधर्म नही होता या यू कहे तो विधर्मी , अधर्मी नही होता |

अधर्म 

     अधर्म का हिन्दी में अर्थ है किसी विशेष परिस्थितियों में या सामान्य जीवन में स्व विवेक से ऐसे कर्तव्य का पालन करना जो नैतिक एवं मौलिक नही है | एक उदाहरण देकर बात करें तो यदि एक भूखा छोटा बच्चा आपसे कुछ भोजन मांगता है तो आप क्या करेंगें? मेरी नजर में धर्म यह है कि मैं पहले उसके लिए अपनी क्षमता अनुसार भोजन का प्रबंध करुं यदि मैं ऐसा नही कर पा रहा हूँ तो उसे ऐसे स्थान पर लेकर जाउँ या ऐसे लोगों से भेंट करावाउँ जो उसके लिए भोजन का प्रबंध कर सके | यदि मैं इसके विपरीत व्यवहार करता हूँ उसके भोजन मांगने पर उसे गालीयॉ देता हूँ मारता पीटता हूँ तो मेरी समझ में मैं अधर्म कर रहा हूँ | अधर्म के लिए भी अंग्रेजी में कई शब्द हैं जैसे इरेलिजन (Irreligion) , इनइक्वीटी (Iniquity) आदि |

मजहब 

     जैसा कि मैने उपर लेख में बताया था की मजहब के लिए भी अंग्रेजी में वही शब्द है जो धर्म के लिए है रेलिजन (Religion) | जबकि मजहब का हिन्दी अर्थ धर्म नही है | मजहब का एक प्रवर्तक होता है एक किताब होती है कुछ प्रचारक होते हैं इसके शुरु होने की कोई तारीख या वर्ष होता है इसके खत्म होने का भी एक वर्ष होता है इत्यादि मगर धर्म तो अनंत होता है | धर्म ना तो कभी शुरु होता है और ना ही कभी अंत होता है | यहां यह भी बताता चलुं की दुविधा का पर्यायवाची शब्द धर्म संकट है मजहब नही है | 

सेक्युलर (Secular)

     यह अंग्रेजी का वह शब्द है जो 1976 में 42वे संविधान संशोधन से भारतीय संविधान की प्रस्तावना में डाले जाने के बाद से किसी न किसी वजह से हमेशा ही चर्चा मे रहता है | सेक्युलर शब्द का हिन्दी अनुवाद अगर आप खोजेंगे तो पाएंगे की इसका हिन्दी अनुवाद 'धर्म निरपेक्ष' मिलता है मगर यदि आप भारतीय संविधान का हिन्दी अनुवाद पढ़ेंगे तो पाएंगे कि इसी शब्द के लिए 'पंथ निरपेक्ष' शब्द का उपयोग किया गया है | मतलब भारतीय संविधान पंथ निरपेक्ष है धर्म निरपेक्ष नही है | 

   सामान्य जीवन में जब कोई व्यक्ति अपने आप को सेक्युलर कहता है तो वह अपने आप को यह प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहा होता है की वह अपने पंथ या धर्म को लेकर बहुत कट्टर नही है या इसका एक मतलब यह भी निकाला जाता है कि वह आधुनिक सोच का है मगर हमें यहां यह समझना चाहिए की 'एक व्यक्ति कभी सेक्युलर हो ही नही सकता' | अब सामान्य सवाल यह है कि क्यों एक व्यक्ति सेक्युलर नही हो सकता? तो जबाब यह है कि एक व्यक्ति सेक्युलर इसलिए नही हो सकता क्योंकि वह राज्य या देश नही है ना ही वह सरकार है बल्कि वह तो राज्य या देश का निवासी है या हो सकता है कि सरकार का हिस्सा भी हो | 

राज्य 

     राज्य देश का एक हिस्सा होता है या वह कभी-कभी एक स्वतंत्रता देश भी हो सकता है | राज्य कि एक सीमा होती है एक सैनिक व्यवस्था होती है एक प्रशासक होता है | सामान्यत: राज्य देश का एक हिस्सा ही होता है वह देश नही होता | अंग्रेजी में आप सब जानते हैं स्टेट (State) कहा जाता है |

देश 

     देश कई राज्यों का एक समूह है जिसकी एक निर्धारित सीमा होती है सीमा सुरक्षा के लिए सेना होती है राजतन्त्र हो तो राजा एवं उसके प्रशासक देश पर शासन करते हैं या लोकतंत्र हो तो एक संविधान होता है जनता के द्वारा चयनित एक सरकार होती है जो प्रशासन का कार्यभार संभालती है | देश को अंग्रेजी में कन्ट्री (Country) कहा जाता है | यहां यह भी नोट करना चाहिए कि देश राष्ट्र नही होता |

राष्ट्र 

     राष्ट्र , ना तो राज्य है और ना ही देश है | राष्ट्र को किसी सीमा से नही बांधा जा सकता ना तो राष्ट्र का कोई प्रशासक होता है और ना ही कोई सेना | राष्ट्र किसी संविधान से नही चलता बल्कि राष्ट्र चलता है तो अपनी आस्था पर परम्पराओं पर संस्कारों पर अपने नैतिक , मौलिक और सामाजिक मूल्यों पर | किसी राष्ट्र को एक महान राष्ट्र उस राष्ट्र की राष्ट्रीयता को धारण करने वाले राष्ट्रीय बनाते हैं | एक देश में कई सारे राष्ट्र रह सकते हैं मगर एक राष्ट्र में कई सारे देश नही रह सकते | संपूर्ण विश्व में भारत ही एक  मात्र ऐसा देश है जहां कई सारे राष्ट्र एक साथ मिलकर रहते हैं जिनकी कोई सीमा नही है | अंग्रेजी में राष्ट्र को नेशन (Nation) कहते हैं | 

नागरिकता

     नागरिकता किसी राज्य या देश का पहचान होती है | नागरिकता को अंग्रेजी में सिटीज़नशिप (Citizenship) या स्टेटहूड (Statehood) कहा जाता है | किसी व्यक्ति की नागरिकता इस बात का प्रमाण है कि वह किस देश या राज्य का निवासी है |

राष्ट्रीयता 

     राष्ट्रीयता किसी राष्ट्र का पहचान होती है | राष्ट्रीयता को अंग्रेजी में नेशनलटी (Nationality) कहा जाता है | राष्ट्रीयता आमतौर पर किसी व्यक्ति के सामाजिक पक्ष की पहचान कराती है | इसे मैं इस तरह से कहना चाहूंगा की नागरिकता , राष्ट्रीयता नही होती |


Wednesday, February 3, 2021

अप्रकाशित सत्य 18 , खालिस्तान क्या है ? सिख विरोधी दंगा या नरसंहार 1984 पर विस्तार पुर्वक चर्चा एवं विश्लेषण |

 

     कुछ दिनों से मिडिया में एक शब्द लगातार सुनाई दे रहा है तथा 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रेक्टर रैली के नाम पर हुई हिंसा में भी इसके समर्थकों का होना कहा जा रहा है वो शब्द है 'खालिस्तान' | तो आइए जानते हैं की ये खालिस्तान क्या है ?|

     जैसा की मैं ने अपने पिछले लेख में बताया था कि सिख पंथ का उदय हिन्दुओ(स्नातनियों) की विदेशी आक्रांताओं से सुरक्षा के लिए हुआ था |मगर 1947 में जब भारत का विभाजन पंथ के आधार पर हुआ तो सिख पंथ के कुछ लोगों में भी दबे स्वरों में अलग देश की मांग उठने लगी थी और यह तब से लेकर 1980 तक दबे हुए स्वरों में ही थी |

     अकाली दल ने पंजाब राज्य की मांग की थी इसी के परिणामस्वरुप 1966 में भाषा के आधार पर दो राज्य पंजाब एवं हरियाणा तथा एक केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ का गठन हुआ था |

खालिस्तान क्या है ?

     खालिस्तान आंदोलन एक सिख अलगाववादी आंदोलन था जो पंजाब क्षेत्र में 'खालिस्तान (खालसा की भुमि)' नामक अलग संप्रभु देश बनाना चाहता था | 

     कहा जाता है कि खालिस्तान की मांग 1980 से जोर पकड़ने लगी थी परन्तु इसके उलट कुछ किताबों , मिडिया रिपोर्ट्स , तत्कालिन सरकारी अफसरों के विडियों इंटरव्युस के आधार पर कहा जाए तो खालिस्तान कांग्रेस पार्टी के कुछ मुख्य नेताओं के द्वारा शुरु किया गया मसला था ताकि इसका फायदा पंजाब के आने वाले चुनाव में उठाया जा सके | इसी कडी़ में कहा जाता है कि कांग्रेस पार्टी के इन्हीं कुछ मुख्य नेताओं के द्वारा दमदमी टकसाल के 'जनरैल सिंह भिंडरावाला' को बढावा दिया गया था | 

     वर्तमान समय में भारत में खालिस्तान आंदोलन का कोई अस्तीत्व नही है | परन्तु खबरों के अनुसार कुछ विदेशों जैसे कनाडा , UK , संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में रहने वाले कुछ सिखों में इसका प्रभाव दिखता है और इसके पिछे भी भारत देश के दुश्मनों का हाथ माना जाता है | 

ऑपरेशन ब्लूस्टार क्या है ?

     साल 1984 में 1 जुन से लेकर 8 जुन के बीच स्वर्ण मंदिर मे छिपे भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए तत्कालीन केन्द्र सरकार के आदेश पर चलाया गया सैन्य अभियान था | 

     6 जुन 1984 को स्वर्ण मंदिर के भीतर भारतीय सेना द्वारा एक व्यापक अभियान चलाया गया और अलगाववादी आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाला तथा उसके समर्थकों को मार गिराया गया | 7 जुन 1984 को स्वर्ण मंदिर भारतीय सेना के नियंत्रण में आ गया | 

     ऑपरेशन ब्लूस्टार में भारतीय सेना के कुल 83 जवान वीरगती को प्राप्त हूए तथा कुल 493 खालिस्तानी समर्थक एवं आमजन मारे गए | 

सिख विरोधी दंगा या नरसंहार 1984 ?

     इसी ऑपरेशन के कारण उत्पन्न हुई सरकार विरोधी एवं भारत विरोधी भावनाओं का परिणाम था की 4 महीने बाद 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन कांग्रेसी केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को उनके ही 2 सिख सुरक्षा गार्डों ने गोली मारकर हत्या कर दी | 

     तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली समेत पुरे भारत में सिखों के विरुद्ध व्यापक दंगे हूए या यू कहे तो नरसंहार हुआ | इस नरसंहार में सरकारी आंकडो़ के अनुसार 4 हजार से ज्यादा सिख और हिन्दु मारे गए जबकि तत्कालीन कुछ बुद्धिजीवियों का मानना है कि यह संख्या 15 हजार से लेकर 26 हजार के बीच थी | 

      भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली समेत पुरे भारत में सिखों के विरुद्ध जो व्यापक दंगे हूए कुछ किताबों , मिडिया रिपोर्ट्स , तत्कालिन सरकारी अफसरों के विडियों इंटरव्युस के अनुसार कहें तो इसे भी कांग्रेस समर्थीत बताते हैं | यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है |

 परन्तु परिस्थितियां चाहे जो रही हो राजनीतिक महत्वाकांक्षाए या मजबूरी मगर सत्य तो यह है की 1984 का सिखों तथा हिन्दुओं का सामूहिक नरसंहार मानवता के माथे पर एक काला धब्बा है जिसे शायद समय ही भर पाए | मानवता को ही किसी देश की सफलता का आधार होना चाहिए और हमें गर्व होना चाहिए की भारत सदा से ही साझा मानव संस्कृतियों का पोषक रहा है |


 

Tuesday, January 12, 2021

अप्रकाशित सत्य 17 , स्वामी विवेकानन्द का स्नातनी नजरिया


     कक्षा पांचवी से लेकर दसवी तक मैने जिस स्कूल में पढा़ है उसका नाम है स्वामी विवेकानन्द स्कूल कुछ तो यह भी वजह है कि मेरे मन में तभी से स्वामी विवेकानन्द को जानने की इच्छा होती थी धीरे धीरे , जैसे जैसे में स्वामी विवेकानन्द को पढ़ता गया मेरी इन्हे और जानने की इच्छा बढ़ती गई |

     स्वामी विवेकानन्द को इतना पढ़ने के बाद मैने जाना के स्वामी विवेकानन्द का पुरा जीवन ही स्नातन धर्म का वह नजरिया है जो कहीं न कहीं अभी तक छुपा है बावजूद इसके की स्वयं स्वामी विवेकानन्द ने अपने जीवन काल में इसी का प्रचार प्रसार किया और आम जन तक स्नातक का दर्शन पहुचाया |

      शिकांगों के विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानन्द का दिया वो ऐतिहासिक भाषण सबने पढा़ एवं सुना होगा स्नातन का प्रमुख विचार है जो सर्व धर्म समभाव का परिचायक है जो अपनी जन्मभूमि को मां मानता है | स्नातन धर्म जीवन के हर क्षण में प्रकृति से प्रेम की सिख देता है |

      आज के आधुनिक समय और समाज में जीवन के कई संघर्षों में हमारी युवा पीढी़ के सामने खडी़ कई चुनौतीयों में एक चुनैती अपना आदर्श चुनने की भी है यदि सही आदर्श चुनना चुनैती नही होती तो देश के एक बडे़ शिक्षा संस्थान में वहा के छात्रों द्वारा स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा नही तोडी़ जाती | विचारधारा कि विभिन्नता के कारण कुछ लोगों को लगने लगा है कि स्वामी विवेकानन्द केवल स्नातनियों या हिन्दूओं के हैं जबकि यह विचार सर्वथा गलत है स्वामी विवेकानन्द सम्पुर्ण भारत ही नही सारी मानवता के हैं |