Sunday, January 20, 2019

लेख, मनुष्यों के कुछ अजीबोगरीब विचार

     मनुष्यो के हम मनुष्यों ने अपना अस्तित्व पाने के बाद अपना विकास सवाधिक तिव्र गति से किया है मह मनुष्यों की तुलना में धरती पर और कोई ऐसा जीव नही है जिसने इतनी सक्षम शारिरीक एवं बौद्धिक प्रगति की हो |

     वैसे तो मनुष्यों ने अनेकों अजीबोगरीब विचार किए हैं जैसे पानी पर चलने की कोशिश करना , नकली पंख लगाकर पंछी की तरह उडने की कोशिश करना जिसमें कुछ हद तक कामयाबी मिली है , दिखाई न देने की चाह रखना आदी |

      लेकिन इन सब में जो मनुष्य की सबसे बड़ी एवं सबसे अजीबोगरीब चाहत है वह मौत को जीत लेने की हैं | बहोत समय से इंसान या तो बहोत लंबा जीना चाहता है या कभी मरना ही नही चाहता अन्य शब्दो में कहे तो अमर होना चाहता है |

     यही वजह है की हम मनुष्य आज नियति के दिए अंगों को बदल सकते हैं कृत्रिम अंगों तक का प्रयोग कर सकते हैं | यह हम इंसानो की एक जीत कही जा सकती है मगर हमे यह नही भूलना चाहिए की यह धरती एवं यह दुनियां बहोत शक्तिशाली एवं रहस्यमयी है |

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    इस स्तंभ को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

स्तंभ जीवन मूल्य, हर रिश्ते में बातचीत की जरुरत है

    कहा जाता है की बातचीत हर समस्या का हल है और समस्या ना हो तो जीवन का फल हैं | आपके मन में कोई बात है जो आपको परेशान कर रही है तो यह जरुरी है कि आप मन की बात किसी करीबी के साथ साझा करें |

     हर इंसान के जीवन में रिश्तों की अपनी अलग जगह होती है जो उसे चारो तरफ से बांधे रखते हैं | हर संबंध में संचार को यानी बातचीत को पुरी प्राथमिकता मिलनी चाहिए |

    संचार को बेहतर बनाने के लिए आपको कई बार अपने लहजे मे नरमी लानी पड सकती है कुछ ऐसी बातों से भी जुड़ना पड सकता है जो आपको पसंद ना हो | अगर कभी ऐसा करना भी पड़े तो बेहिचकीचाए करें क्योंकि ऐसा करना आपके हित में हो सकता है |

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लेख, असल में हिन्दी क्या है और क्यों हम धारा प्रवाह हिन्दी नही बोल पाते

    हा यह सच है कि भारत में लोग धाराप्रवाह हिन्दी नही बोल सकते वजह ये है कि हमे असलियत में हिन्दी भाषा का भान ही नही है |

     दरअसल हम आज जिस भाषा को हिन्दी कहते हैं वह देवनागरी एवं उर्दू का मिश्रण है | उदाहरण के तौर पर यदि हम किसी से ये पूछते हैं कि , ‘साहब आपको एक गिलास पानी चाहिए क्या’ | तो इस एक वाक्य में साहब शब्द उर्दू का है , गिलास उर्दू का शब्द है , पानी उर्दू का शब्द है एवं आपको, एक , चाहिए और क्या देवनागरी के शब्द है | तो यदि हम उसी वाक्य को असली एवं शुद्ध हिन्दी यानी देवनागरी में बोलना चाहे तो कुछ यू कह सकते हैं, ‘महोदय आपको एक जल पात्र जल चाहिए क्या ‘|

    यही वजह है कि हम लोग धाराप्रवाह हिन्दी नही बोल पाते क्योंकि हम अपने आम बोलचाल में हिन्दी से कही ज्यादा उर्दू भाषा के शब्दों को बोलते हैं और बहोल सारे लोगों को बोलते वक्त यह भी नही पता रहता के वो उर्दू के शब्द बोल रहे हैं |

     हमारी हिन्दी की तरह ही हमारी उर्दू भी हमारे भारत देश में जन्मी भाषा है | हिन्दी एवं उर्दू दोनों ही हमारे भारत देश की शान हैं और घर घर में बोली जातीं हैं |

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