Sunday, January 20, 2019

स्तंभ दरार, एक चीज है जो किसी भी रिश्ते को तुरंत खत्म कर सकती है

     रिश्ते की उम्र उसके प्रकार एवं लोगों के स्वभाव पर निर्भर करता है क्योंकि रिश्ता अगर खून का है तो जाहिर सी बात है कि उसकी उम्र ज्यादा होगी |

    मां बाप, भाई बहन और इस तरह के रिश्ते कुछ ये रिश्ते हैं जिन्हें कोई इंसान अपनी मर्जी से नही चुन सकता मगर दोस्ती एवं शादी के रिश्ते एक इंसान खुद चुन सकता है |

    इंसान का खुद का चुना रिश्ता कितना निभेगा वह इंसान की समझदारी एवं संयम पर निर्भर करता है | रिश्ता जो भी हो उसमे विश्वास एवं निष्ठा होनी ही चाहिए |

    यह भी ध्यान रखे की आपका रिश्ता किसी गलतफहमी या शक का शिकार ना हो क्योंकि कैंसर का इलाज है मगर गलतफ़हमी और शक का कोई इलाज नही है |

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    इस स्तंभ को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

लेख, इतिहास को छेड़ने के सन्दर्भ में

     अगर कोई समाज तरक्की की राह पर चलता है तो उस समाज की तरक्की में एक दो नही बल्की कई पीढ़ी का योगदान होता है और हर योगदान का महत्व समय की किताब में भी है और इंसानी किताबो में भी |

    इतिहास का लेखन हो चुका है तो उसे किसी के भी जरिए किसी भी तरह से और किसी भी स्वार्थ की सफलता के लिए बदला नही जा सकता मगर इतिहास को पढ़ने का तरीका बदला जा सकता है मसलन अगर किसी को किसी जती विशेष को खुला करना है तो वह उस जाती विशेष के इतिहास को बढा चढ़ा कर प्रस्तुत करेगा | ये ख़ासियत अक्सर राजनीति में देखी जा सकती है |

    स्वार्थ साधना में इतिहास का उपयोग अनुवाद के रुप में भी होता है | अपने नीजी हीतोॉ के लिए कोई अनुवादक किसी विशेष भाषा के इतिहास के उन पन्नों को अनुवादित करता है जो उसे आर्थिक या सामाजिक रुप से समाज में कोई विशेष स्थान या ख्याति दिला सके |

     अब तो फिल्मों एवं टीवी सीरियलों में भी निर्माताओं में इतिहास को उपयोगी बनाने की होड सी लग गयी है और हर निर्माता निर्देश इतिहास को अपने तरीके से बदल रहा है और इस बदलाव को रचनात्मक का चोला ओढा दिया जाता है | इसका हालिया उदाहरण फिल्म पद्मावत के रुप में देखा जा सकता है |

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    इस लेख को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |  द्वारा भीम

Wednesday, January 2, 2019

संस्मरण , कादर खान साहब

   
संस्मरण , कादर खान साहब
    मैने कादर खान साहब को सबसे पहले एक फिल्म में देखा था जिसमे वह घरजमाई का किरदार निभा रहे थे , उसके बाद उनकी एक और फिल्म देखी जिसमे उन्होने एक अमीर होटल कारोबारी का किरदार निभाया था | इन दोनों फिल्मों को देखते वक्त कादर साहब के किरदारों को देखकर मुझे बड़ी हंसी आयी थी इसके बाद मैने तय कर लिया था कि टीवी पर जब भी इस आदमी की कोई फिल्म आएगी तो मै जरूर देखुंगा |

      नव वर्ष के पहले ही दिन जब मैने ये खबर सुनी की कादर साहब नही रहे तो मुझे यकीन ही नही हुआ मगर दिन कि साम होते होते भरम टूट गया |कॉमेडी के अपने अलग ही अंदाज से हम सब को हंसाने वाला गुदगुदाने वाला नही रहा |

     वक्त बदलता है अपनी गति से आगे बढ़ता रहता है मगर हमेसा अपने बदलने का निशान छोड़ जाता है |अपने निभाए सैकड़ों किरदारों के जरिए कादर खान साहब हमेसा हमारे बिच रहेंगे और हमे याद आते रहेंगे |
     
        जितना कादर साहब को मैने फिल्मों में देखा है उसके अनुसार कह रहा हूं के कादर साहब की एक बहोत बड़ी खासियत यह रही कि उन्होने जितने भी किरदार अदा किए उन्हें हमेशा के लिए जीवंत कर दिया | कादर साहब का अभिनय दिलों पर छाप छोड़ देने वाला रहा | कादर साहब मनोरंजन जगत सदा आपकी कमी महसूस करेगा |

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       मेरा ये लेख आपको कैसा लगा है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |