Saturday, July 28, 2018

रिपोतार्ज , एक बड़ा हादसा होते होते टल गया

रिपोतार्ज , एक बड़ा हादसा होते होते टल गया
टना एक चौराहे पर की है | दोपहर के 1:00 बजे होंगे | एक आदमी पैदल चलता हुआ उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहा था के तभी दक्षिण दिशा की सड़क से  अचानक एक बोलेरोवाला  एक ट्रक को ओवरटेक करता हुआ निकला | जब तक पैदल चलता आदमी कुछ समझ पाता तब तक मैं बोलेरो उसके सामने थी | गरिमा तो यह रही कि बोलेरोवाले ने सही समय पर ब्रेक लगा दिया | जिससे एक बड़ा हादसा टल गया | पुख्ता जानकारी के मुताबिक वह आदमी पूरी तरह से सुरक्षित है |  उस बोलेरोगाड़ी एवं उसके चालक को  यातायात पुलिस ने ओवर स्पीड के लिए हिरासत में ले लिया था |

नोट :- रिपोतार्ज में की गई घटना का विवरण पूरी तरह से काल्पनिक है | इस घटना का संबंध किसी भी वास्तविक घटना से नहीं है |

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       मेरा ये रिपोतार्ज आपको कैसा लगा है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

व्यंग , मुफ्त की चाय

व्यंग , मुफ्त की चाय
मारे देश हिंदुस्तान में मुफ्त की चाय कोई नहीं छोड़ता | फिर चाहे कोई व्यक्ति अपने पैसे देकर किसी टी स्टाल पर चाय पी भी लें फिर भी अगर वही उसका दोस्त आकर उसे चाय पिलाई दो आदमी दोबारा मुफ्त की चाय पीने के लिए तैयार हो जाता है और पेट में दूसरी प्याली चाय के लिए जगह बनाने लगता है |

मेहमान नवाजी में चाय पिलाना यह हमारे देश की आम रवायत है | मगर कुछ लोग इसका नाजायज फायदा भी उठाते हैं | हमारे मोहल्ले में एक साहब हैं वह अपने दोस्तों के घर मेहमान बनकर जाते ही इसीलिए हैं कि मुफ्त की चाय पीने को मिल सके | और खुद के घर की चाय और शक्कर बची रहे | और हां पते की बात यह है क्यों वह साहब मेहमान बनकर जाते ही उन्हें दोस्तों के घर हैं , जिनके यहां गरम-गरम चाय पीने को मिलती है |

सबसे ज्यादा मुफ्त की चाय पीने की आदत सरकारी कर्मचारियों को होती है | मांग कर चाय पीते हैं |  कभी टेबल के ऊपर से तो कभी टेबल के नीचे से पीते हैं | मगर चाय पीते जरूर है | सरकारी कार्यालयों में तो आम जनता को चपरासी तक को चाय पिलाने पड़ती है ,  जिसे बाकायदा सरकारी कर्मचारियों को चाय पिलाने के लिए रखा गया है | खैर छोड़िए क्या किया जाए चाहे चीज ही ऐसी | मेरे भी चाय पीने का वक्त हो चला है , नमस्कार |

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       मेरा ये व्यंग आपको कैसा लगा है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

खुश रहना है तो संतोष करें


खुश रहना है तो संतोष करें
     मन का स्वभाव गतिमान है | जो कुछ पलों में हजारों मीलों का सफर तय कर सकता है ,  हजारों सपने देख सकता है | जब हम जागते हुए सपने देखते हैं तो इच्छाएं जागृत होती हैं और जब इच्छाएं पूरी नहीं हो पाती तो मन तुलनात्मक अंतर करने लगता है | उन लोगों से जिन्होंने हमारे जैसी ही इच्छाएं पूरी कर ली है |

    जिस तरह से समय का चक्र रुक नहीं सकता उसी तरह से हमारा मन भी तुलना करना बंद नहीं कर सकता | और जब तुलना हमारे पक्ष में नहीं होती तो मन में असंतोष जागृत होता है | असंतोष मानसिक तनाव को जन्म देता है | और तनाव दुखों को जन्म देता है |

    पेड़ के पत्तों पर आसमान से गिरती बूंदों का शहर ठहराव  बूंद के संतोष का प्रतीक होता है जो यह बताता है कि इस बिंदु में  धरती की सतह पर गिरकर मिट्टी में मिल जाने की चाहत नहीं है | मन की गतिशीलता को नियंत्रित करने के लिए यदि उसे संतोष का मार्ग दिखाया जाए तो कई तरह के मानसिक तनाव से निजात पाई जा सकती है | यदि मानव मन को संतोष प्राप्त हो जाए तो जीवन में खुशियों के लिए दरवाजे खुल जाते हैं |

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       मेरा ये स्तंभ खुशमिजाजी आपको कैसा लगा है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |