Sunday, November 22, 2020

अप्रकाशित सत्य 12 , संविधान का अनुच्छेद 30 क्या है ? , भारत में मदरसे और मिशनरी विद्यालय किस अनुच्छेद के तहत खुलते है ? , अनुच्छेद 30 कैसे है समानता के अधिकार के खिलाफ ? , आइए चर्चा करें |

 संविधान का अनुच्छेद 30 क्या है ?

     भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 में लागु होने के बाद से 395 अनुच्छेदों के साथ विश्व का सबसे बडा़ संविधान बना हुआ है | दुनियां के अन्य किसी देश के पास इतना बडा़ संविधान नही है | अनुच्छेद 30 हमारे भारत के इसी संविधान के भाग 3 मूल अधिकार के संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार में वर्णित 3 अनुच्छेदों में से एक है | इसका शिर्शक है 'शिक्षा संस्थाओं की स्थापना तथा प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार' |

क्या कहता है अनुच्छेद 30 ?

     अनुच्छेद 30 के खण्ड 1 के अनुसार 'धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों कों अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना एवं प्रशासन का अधिकार होगा' वही इसी खण्ड 1 (क) के अनुसार 'किसी भी अल्पसंख्यक वर्ग द्वारा प्रशासित शिक्षा संस्थान की सम्पत्ति के अनिवार्य अर्जन के लिए उपबन्ध करने वाली विधि बनाते समय राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी सम्पत्ति के अर्जन के लिए ऐसी विधि द्वारा नियत या उसके अधीन अवधारित रकम इतनी ना हो की उस खंण्ड के अधिन प्रत्यभुत अधिकार निर्बन्धित या निराकृत न हो जाए' |

   इसी तरह खण्ड 2 के वर्णानुसार 'शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्थान के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नही करेगा की वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबन्ध में है' |

भारत में मदरसे और मिशनरी विद्यालय किस अनुच्छेद के तहत खुलते है ? 

     भारत में मदरसे और मिशनरी विद्यालय इसी अनुच्छेद 30 के तहत खुलते है क्योंकि हमारे भारत देश में कुल जनसंस्खया का लगभग 19 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय तथा 1 प्रतिशत ईसाई समुदाय अल्पसंख्यक वर्ग में आते है | यदि जनसंख्या के लिहाज से देखा जाए तो मुस्लिम समुदाय भारत का दुसरा सबसे बडा़ बहुसंख्यक समुदाय है जिनकी जनसंख्या लगभग 21-22 करोड़ के करीब है जो पुरे पाकिस्तान की जनसंख्या के बराबर है और वही दुसरी ओर भारत की सबसे छोटी अल्पसंख्यक आबादी पारसीयों की है जिनकी जनसंख्या लगभग 60-90 हजार के बिच में है | मगर आप तलाशेंगे तो पाएंगे की पुरे देश में पारसीयों के लिए विशेष शिक्षा संस्थान नाममात्र के हैं या नही हैं कम से कम मैने तो नही देखे मगर मदरसे और मिशनरी विद्यालय भारत के कोने कोने में हैं जबकी ईसाइयों की जनसंख्या भारत में 3 करों से ज्यादा है | 

अनुच्छेद 30 की आलोचनाएं

     अनुच्छेद 30 की कुछ निम्नलिखित आलोचनाएं हो सकती हैं :-

1. अनुच्छेद 30  हमारे संविधान के समानता के अधिकार अनुच्छेद 15 के खिलाफ हैं जिसमें लिखा गया है की धर्म , मूलवंश , जाति , लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी से विभेद नही किया जाएगा |

2. यह किसी बहुसंख्यक व्यक्ति के अपने धर्म के बारे में उसे पढ़ाने से केवल इस आधार पर ही रोक देता है की वह बहुसंख्यक परिवार में जन्मा है तथा वह अपने धर्म को पढ़ाने के लिए किसी संस्थान को चला नही सकता है |

3. सन् 1976 के 42वे संविधान संसोधन के तहत हंमारे संविधान की प्रस्तावना में 'पंथनिरपेक्ष' शब्द लिख दिया गया है जिसका अर्थ यह होता है कि भारत राष्ट्र का कोई धर्म विशेष नही है तो फिर धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक कहां रह जाते हैं | और यदि राय्ट्र में संविधान के अनुसार कोई अल्पसंख्यक बहुसंख्यक नही है सब बराबर हैं तो फिर अलग से धार्मिक शिक्षण संस्थानों कि जरुरत कहां रह जाती है |

4. अनुच्छेद 30 में घर्म के साथ साथ भाषायी अल्पसंख्यकों का भी जिक्र है मगर पुरे भारत देश में भाषायी अल्पसंख्यकें के लिए शिक्षण संस्थान ना के बराबर हैं | उदाहरण स्वरुप बात करुं तो संस्कृत संविधान की आठवी अनुसूची में सामिल 22 भाषाओं मे से एक है इसके बोलने वालों कि संख्या पुरे देश में कुछ हजारों में होगी | संस्कृत भारत में बोली जाने वाली सबसे पुरानी भाषाओ मे से एक है पर आज इसे भारत में मृत भाषा कहा जाता है और इसके प्रचार प्रसार एवं संरक्षण के लिए पुरे देश में वर्तमान में कितने शिक्षण संस्थान हैं आप स्वयं पता कर लिजिए |


Sunday, November 15, 2020

अप्रकाशित सत्य 11 , क्या आप डॉक्टर भीमराव रामजी अंबेडकर के बारे में ये तथ्य जानते हैं ?


     क्या आप डॉ बी आर अंबेडकर का पुरा नाम डॉक्टर भीमराव रामजी अंबेडकर जानते हैं ? यदि हां तो आपको ये बात भी पता होगी की डॉ बी आर अंबेडकर को भारत रत्न 1990 में मरणोप्रांत दिया गया था जबकी भारत रत्न देने कि शुरुआत भारत सरकार ने 1954 में ही कर दी थी , है तो बहोत आश्चर्यजनक बात पर क्या कीजिएगा सियासत है |

     डॉ बी आर अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को जन्म स्थान महु , मध्यप्रदेश जो (Central Province , CP) के नाम से जाना जाता था गुलाम भारत में हुआ था | डॉ साहब का निधन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुआ | पिता का नाम रामजी सकपाल तथा माता का नाम भीमा सकपाल था | परिवार रत्नागिरी के महार जाती का रहनेवाला था | डॉ बी आर अंबेडकर ने लगभग 32 डिग्रीयां धारण कीं , अंबेडकर साहब 14 भाई बहनों में सबसे छोटे थे | डॉ अंबेडकर के गुरु ब्राम्हण कृष्ण केशव अंबेडकर थे | गांव का नाम अंम्बदाबेकर था | डॉ अंबेडकर साब को 9 भाषाओं का ज्ञान था | 

      डॉ बी आर अंबेडकर की दो शादीयां हुई थी | पहली पत्नी का नाम रामाबाई 1906-1935 (निधन) तथा दुसरी पत्नी का नाम डॉ सविता अंबेडकर 1948 था | 1956 में डॉ अंबेडकर साहब ने बौद्ध धर्म अपना लिया था तथा इनके साथ साथ 5 लाख इनके समुदाय या दलित समुदाय के लोगों ने भी बौद्ध धर्म अपना लिया था | 1920 में कोल्हापुर के साहू महाराजा की सहायता से डॉ अंबेडकर साहब ने 'मुकनायक' नाम से साप्ताहीक अखबार प्रकाशित करना आरंभ किया | 1920 में ही बहिष्कृत हितकराणी सभा नाम के संगठन की स्थापना की | डॉ साहब ने अपनी आत्मकथा लिखी है 'वेटिंग फार अ विजा' नाम से , इसके अलावा भी कई अन्य किताबें लिखी हैं |

     डॉ अंबेडकर साहब ने 1946 में एक किताब लिखी जिसका नाम था 'ह्यु वर द शुद्रा' | के वी राव जी ने कहा था डॉ साहब संविधान के जनक एवं जननी दोनों हैं | 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा की प्रारुप समिति जिसमें 7 सदस्य थे के अध्यक् बनाए गए | थाट्स ऑन पाकिस्तान और रिडल्स ऑफ हिन्दूइज्म डॉ साहब की दो मशहूर किताबें हैं | डॉ अंबेडकर साहब ने तीनो गोलमेज सम्मेलनों में हिस्सा लिया था | 25 सितंबर 1932 को पुणे की यरवदा जेल में दलित आरक्षण को लेकर हॉ अंबेडकर साहब और गॉधीजी के बीच में पुना समझौता हुआ था जिस पर डॉ अंबेडकर और मदन मोहन मालविय के हस्ताक्षर हुए थे | डॉ अंबेडकर साहब भारत के पहले कानुन एवं न्याय मंत्री भी थे |

डॉ बी आर अंबेडकर ने भारत के बंटवारे भारत और पाकिस्तान उसमें मुस्लिमों तथा कॉग्रेस की भुमिका को लेकर कई कठोर सत्य लिखे है यही नही डॉ अंबेडकर ने गांधीजी को लेकर भी खुलकर बात की है जो उनकी किताबों साक्षात्कारों तथा लेखों में पढ़ने को मिलती है | डॉ बी आर अंबेडकर ने दर्जनभर से ज्यादा किताबें लिखी हैं | भारत में जाती प्रथा तथा हिन्दुत्व के विषय में भी अपनी कई किताबों में विस्तारपुर्वक चर्चा की है | मगर अाज के समय में भारत में डॉ बी आर अंबेडकर कि वह सच्ची बाते चर्चाओं तथा पठन पाठन में नही हैं जो उन्होने अपनी किताबों में कही हैं इसी का परिणाम है की कई राजनीतिक दलों ने उनके नाम को राजनीतिक स्वार्थ के लिए ध्रुवीकरण का जरिया बना रखा है |


 

Wednesday, October 14, 2020

अप्रकाशित सत्य 10 , हमें क्यों नही पढा़या जाता 8वी तथा 9वी शताब्दी का इतिहास ? , क्या आप जानते हैं भारत में 8वी तथा 9वी शताब्दी में क्या हुआ था ? , 8वी तथा 9वी शताब्दी का इतिहास क्या है ?


     अपनी मध्य प्रदेस लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परिक्षा 2019 तथा केन्द्रीय लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परिक्षा 2020 की तैयरी करने के दौरान मैने जब इतिहास विष्य को गहन रुप से पढ़ना आरंभ किया तो यह पया कि हमारे इतिहास कि किताबों में से करीब 270 सालों का इतिहास नदारद है वह भी मुल रुप से उत्तर भारत का इतिहास , यह भारत का वही कालखंण्ड है जब अरबों ने उत्तर भारत पर एक सफल आक्रमण कर लिया था | तो आखिर ऐसा क्या हुआ है इन 270 वर्षों में जिसे हम भारतीयों से पुरी तरह से छुपाया गया है इतिहासकारों के द्वारा और क्यों ?

     भारत पर प्रथम सफल अरब आक्रमण 712 ई में मोहम्मद बीन कासिम ने भारत के सिंध राज्य पर किया था | इस समय यहां के राजा , राजा दाहीरसेन थे इन्होने इससे पुर्व मोहम्मद बीन कासिम के तीन आक्रमणों को बिफल किया था | वर्तमान में सिंध प्रात पाकिस्तान का हिस्सा है | 712 ई का सिंध प्रात वर्तमान सम्पुर्ण सिंध तथा बलूचिस्तान के कुछ हिस्से एवं अफगानिस्तान के कुछ हिस्से तक फैला था | राजा दाहीरसेन ने ही ईस्लाम मजहब के आखरी पैगम्बर मोहम्मद साहब के बचे हुए परिवार को अपने राज्य में शरण दिया था तथा उनकी सुरक्षा करने का भरोसा दिलाया था और जब मोहम्मद बीन कासिम ने सिंध पर चौथी बार अत्याधिक सेना बल के साथ आक्रमण किया तो वह अपने राज्य और शरणार्थीयों को बचाते हुए बीरगती को प्राप्त हुए | मोहम्मद बीन कासिम ने राजा के पुरे परिवार को मार डाला और उनकी बेटियों को अरब लेजाकर वेश्यालयों में बेच दिया पुरे राज्य में लाखों की तादाद में हत्याए , बलात्कार , जबरन धर्म परिवर्तन कराए गए | मगर इससे भी दुख की बात ये है कि आज के इतिहास में इस महान राजा के बारे में ये लिखा गया है कि यह एक कमजोर राजा था जो आपसी मदभेदों से उबर नही पा रहा था और हमले को नाकाम करने में बहुत निर्बल था | बस कुछ पंक्तियों में वर्णित इस एक घटना के अलावा भारत में अरब आक्रमण से संबंधित कोई अन्य घटना एवं जानकारी ढुढ़ने पर भी नही मिलती , इतिहास कि किताबों में सिधे इसके बाद 920-21 ई के तुर्क आक्रमण का उल्लेख मिलता है जिसमे गजनी के शासक सुबुक्तगीन ने हिन्दूशाही राज्य पर आक्रमण करके काबुल पर अधिकार कर लिया था | ऐसा मैं तीन से चार इतिहास कि किताबों कों पढने के बाद तथा कई घंटों तक गुगल पर रिसर्च करने के बाद लिख रहा हूँ | 

      यहां मेरा सबाल ये है कि क्या 712 ई से लेकर 920 ई के मध्य में उत्तर भारत में कोई आक्रमण नही हुए ?  , कोई बडी़ घटना नही घटी ? और यदि ऐसा है , तो ऐसा कैसे हो सकता है ? क्योंकि 270 से भी अघिक वर्षों में ये संभव नही है | इन सवालों के मेरे मन में उठने के पिछे कि वजह ये है की 712 ई में अरब से आए मोहम्मद बीन कासिम ने सफलता पुर्वक सिंध पर आक्रमण कर लिया था तो वह केवल सिंध तक ही रुका हो यह बहुत मुस्किल है और उसकी सफलता पुर्वक आक्रमण से प्रोतसाहीत होकर कोई अन्य अरब आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण करने न आया हो यह भी नामुकिंन है क्योंकि इतिहास में ऐसा कभी नही हुआ | 

      हमारे इतिहास कि किताबों से 270 सालों से भी अधिक के अरब आक्रमण के इतिहास को सामिल न करने की क्या वजह है इसका सवाल तो हमारी सरकारों से पुछा जाना चाहिए जो किताबों की विषयवस्तु निर्धारित करतें हैं खास तौर पर विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पढा़ई जाने वाली इतिहास कि किताबें का या उन इतिहासकारों से पुछा जाना चाहिए जिन्हेनें ये इतिहास कि किताबे लिखीं हैं | मगर मुझे लगता है की जल्द से जल्द इस कालखंण्ड के इतिहास को इतिहास कि किताबों में जोडा़ जाना चाहिए क्योंकि यह पुरे देश के साथ एक तरह का बौद्धिक धोखा है छल है | अपने देश के समपुर्ण इतिहास को जानना हर देशवासी का हक है चाहे वह इतिहास अच्छा हो या बुरा | एक निवेदन करना चाहूँगा के यदि आपको इस कालखंण्ड के इतिहास के संबंध में कोई जानकारी है तो मुझसे साझा करने की कृपा करें |