Thursday, October 1, 2020

अप्रकाशित सत्य 8 , 6 दिसंबर 1992 को इतिहास का ये बडा़ बदलाव हुआ था जिस पर अब श्री रामलला विराजमान होंगें , विध्वंस के सारे आरोपी भी निर्दोष कोर्ट का फैसला आया | क्या थे तथ्य जाने ?


     यह इतिहास तो सबको ज्ञात है कि अफगानी आक्रांता महमुद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया गुजरात स्थित महादेव के सोमनाथ का मंदिर तोड़ने के लिए , महिलाओं का बलात्कार करने तथा उन्हे अपनी रखैल बनाकर गजनी ले जाने के लिए , भारत से स्नातन को खत्म कर इस्लामिक बनाने के लिए , भारत कि धन संपदा लुटकर ले जाने के लिए आदि कई कारणों से | यह तथ्य इतिहास में दर्ज है कि गजनवी जब 17वी बार सोमनाथ का मंदिर लुटने और तोड़ने के लिए आया तो वहा के राजा और उनकी सेना के अलावा महमुद गजनवी ने 50 हजार से ज्यादा मात्र ब्राम्हणों की हत्या की और इनकी सभी मांओं बहनों बेटियों बहूओं को गुलाम बनाकर गजनी ले गया | इसके बाद तुर्क आक्रांता तैमुर लंग जिसे तैमुर लंगडा़ भी कहा जाता है वह भारत पर आक्रमण करने अपनी सेना के साथ आया यहा कि महिलाओं का बलात्कार करने के लिए और महिलाओं को अपना गुलाम बनाकर ले जाने के लिए | इस तैमुर लंगडे़ के बारे में लिखित है कि इसने और इसकी सेना ने लगभग 1 लाख से ज्या बलात्कार किए और कई हजारों कि तादाद में महिलाओं को गुलाम बनाकर ले गया | यही नही इस्लामिक कट्टरपंथी इस मजहवी आतंकी ने हजारों मंदिरों को तो़डा और बल पुर्बक लोंगों को मुसलमान बनाया | तैमुर लंगडे़ के बारे में यह बात आप जानेंगें तो आपके होश उड़ जाएंगे यह भारत के जिस भी शहर में जाता था बहा लोगों के सिर कटवाता था और सिरों का पिरामिड बनवाता था उसपर अपनी कुसी रखवाकर बैठता था तथा अपने आक्रांता सैनिकों कों और अथिक हत्याए करने , धन का लुटपाट करने और लोंगों को जबरन मुसलमान बनाने के लिए प्रोतसाहित करता था | यह तथ्य भी आहत करने वाला है कि इसी की इन अंधी हत्याओं का परिणाम था कि इस कालखंण्ड में दुनियां कि जनसंख्या 5 प्रतिशत तक घट गयी थी | 


     उपर मैने आपको इतिहास की जो कुछ छोटी बर्बरताएं बताई हैं वो इसलिए कि आप भारत में इस्लामिक आक्रमण की असली वजह समझ सके | इसी तरह का एक आक्राता था बाबर जो अफगानी मंगोल इस्लामिक कट्टर मुसलमान था | उसने जब दिल्ली पर अपना कब्जा कर लिया तो बाबर का सेनापति इसके आप पास के क्षेत्रों को जीतने और काफिरों (स्नातनी हिन्दुओं) को खत्म करने के मक्सद से भ्रमण पर सेना के साथ निकला | इसी कडी़ में वह अयोध्या पहूंता | उसने वहा मंदिर के पुजारियों इनके परिवारों तथा मंदिर की रक्षा कर रहे पहरेदारों की हत्या करवी दी तथा  प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर तुड़वा दिया एवं उसी मंदिर के अवशेषों का उपयों करके जल्दबाजी में बाबर के नाम की बाबरी मस्जिद बनवा दी | तब से लेकर यह मस्जिद प्रभु श्री राम की जन्मभुमी पर 6 दिसंबर 1992 तक रही जब तक इसको इसके सही अंजाम तक नही पहूंचाया गया | हालॉकि इस अबैथ कब्जे को खत्म करने में हमें 450 से ज्यादा वर्ष लगे , दंगा फसाद हुआ शांति प्रीय समुदाय के द्वारा और बहुत लौगों को अपनी जान गवानी पडी़ मगर फिर भी नोकिली जमीन समतल कर दी गई और अबैथ कब्जा खत्म कर दिया गया सामाजिक तौर पर |


     आरकेलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी अपने सर्वे में माना था कि विवादित ढाचें के निचे एक संरचना मौजुद है | वहरहाल 9 नवंबर 2019 को इस 500 साल पुराने विवाद का फैसला आया और रामलला को उनकी जमीन वापस मिल गई और अब तो मंदिर निर्माण का मुमि पुजन भी देश के प्रथानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा श्री राम जन्मभुमि तीर्थ क्षेत्र विकास ट्रस्ट के आग्रह पर कर चुके हैं | कुछ लोंग जब फैसला सत्य के पक्ष में आया तो कह रहे थे कि हमारी मस्जिद शहिद होगयी हमें अपनी मस्जिद वापस चाहिए तो मुझे लगता है कि उनसे यह सबाल पुछा जाना चाहिए था कि क्या ? भारत के अलावा भी पुरी इस्लामिक दुनियां में कहीं और मस्जिदें शहिद होती हैं या बस भारत में हुई हैं , क्यों कि अरब देशों में तो मस्जिदें रोज बनती और टुटती हैं निर्माण कार्यों के लिए जिनकी तस्वीरें और विडियों सोसल मिडिया और बेबसाइटो पर उपलब्ध हैं तो क्या वहा भी कोई उनके शहिद होने का मातम मनाता है | 


     कल 30 सितंबर 2020 को सीबीआई की विशेष अदालत ने विध्वंस के मामले पर फैंसला सुनाया और सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया | 6 दिसंबर 1992 के 32 साल बाद इस मामले की हर एक गांठ खोल दी गई है और अब श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य भी प्रारंभ होगया है तो यह कह सकते हैं कि लगभग 500 वर्ष पुराना विवाद कई शदियों के बाद शांति पुर्वक सुखद पडा़व पर आकर खत्म हो रहा है और यहा से इसिहास के नए बदलावों की शांति पुर्वक और सुखद उम्मीद कि जा सकती है |


अप्रकाशित सत्य 7 , चीन का पुरा सच , चीन पडो़सी देश या जमीन माफिया |


     चीन के बारे में हम जो बातें जानते हैं उनमें से कुछ यू हैं कि जीन दुनियां का तीसरा सबसे बडा़ देश है , चीन दुनियां कि सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है , चीन दनियां का सबसे ज्यादा लगभग 14 पडो़सी देशों वाला देश है मगर इसके अलावा कुछ तथ्य और भी हैं जिन्हें हम नही जानते या कम जानते हैं जैसे चीन का सीमा विवाद अपने सभी पडो़सी देशों से चल रहा है , चीन ने दुनियां के लगभग 6 आजाद देशों पर कब्जा कर रखा है , चीन में दुनियां में सबसे ज्यादा मानवाधिकार का उलंघन होता है मगर उसकी खबर दुनियां तक नही पहुंच पाती क्योंकि चीन में बाहरी दुनियां में प्रचलित कोई भी सोसल मिडिया नही चलता और चीन में कोई भी अंतराष्टीय न्युज एजेंसी चलती | 


     चीन को जमीन माफिया कहा जाता है वजह यही है कि चीन ने अपने आस पास के सभी आजाद देशों पर बल पुर्वक कब्जा कर लिया है | चीन ने सबसे पहले मंचूरिया पर कबजा किया था | इससे पहले आपने शायद मंचूरियन नामक एक चाइनीज डिश ही सुनी होगी मगर यह एक देश का नाम है | 1945 तक मंचूरिया पर सोवियत रुस का कब्जा था पर 1946 में सोवियत रुस ने मंचूरिया को चीन को दे दिया तबसे लेकर आज तक चीन ने मंचूरिया कि संस्कृति , सभ्यता तथा जनसांख्यिकी को बदल दिया है पर अब मंचूरिया के युवाओं में आदाजी के प्रती गागृति आई है और आजादी की मांग उठने लगी है |


     तुर्किस्तान का पुर्वी हिस्सा या पुर्वी तुर्किस्तान जिसे आज चीन शिनजियांग प्रात कहता है को चीन ने 1949 में अपनी सेना भेजकर बल पुर्वक कब्जे में लिया था | यहां के निवासी उड्गर मुस्लिम हैं जिन्हे चीन आज जबरन राहत सिविरों में बल पुर्वक रखता है और उन्हे उनका धर्म मानने कि आजादी नही है और चीन उनकी मजहबी किताब कुरान-ए-पाक का भी चीनी संस्कृति के हिसाब से पुन:लेखन करवा रहा है |


      भारत और नेपाल कि सीमा से सटे तिब्बत को चीन ने 1951 में भारत की सहायता से बल पुर्वक कब्जे में ले लिया था | उस समय के भारत के तत्कालिन प्रधानमंत्री जबाहर लाल नेहरु ने अपनी अदूरदर्शिता और चीन पर अत्याधिक विश्वास करते हुए तिब्बत पर कब्जा करने आए चीनी सैनिकी को खाने के लिए चावल देकर मदद कि थी जिसका खामयाजा यह हुआ कि तिब्बत जो भारत एवं चीन के बीच मध्य देश की भुमिका निभा सकता था अब वह नही रहा और यही वजह है कि 1962 के चीन भारत युद्ध में चीनी सेमाएं आसानी से भारतीय क्षेत्र में आगई और अक्साई चीन पर कब्जा कर लिया |


     चीन के कब्जे का सिलसिला अभी तब भी चल रहा था जब भारत में सत्ता का हस्तांतरण हो रहा था | चीन ने दुसरे विश्व युद्ध के बाद दक्षिणी मंगोलिया या जिसे इनर मंगोलिया कहा जाता है पर सैनिक कब्जा कर लिया | लगातार जनसांख्यिकी बदलाब एवं सास्कृतिक दमन के बाद अब चीन ने इस हिस्से मे यहां कि मुल भाषा मंगोल पर रोक लगा दी है और यही वजह है कि यहां के लोग अब कम्मुनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना कि सरकार से आजादी चाहते हैं |


     हॉन्गकॉन्ग पर 1992 से पहले ब्रिट्रेन का शासन था पर 1992 में ब्रिट्रेन ने चीन को हॉन्गकॉन्ग इस शर्त पर दे दिया कि चीन 50 वर्षों तक हॉन्गकॉन्ग को स्वतंत्र रहने देगा और केवल संरक्षक कि भुमिका में रहेगा मगर पिछले वर्ष चीन ने एक कानुन बनाकर हॉन्गकॉन्ग पर पुर्ण नियंत्रण करने कि कोशिश की और इस वर्ष कर भी लिया यही वजह है 2019 से लेकर अब तक हॉन्गकॉन्ग में चीन विरोधी प्रदर्शन जारी है |


     मकाउ को 1999 में पुर्तगालीयों ने चीन को हॉन्गकॉन्ग कि तरह ही 50 वर्षों के स्वतंत्रता समझौते के तहत सौपा था मगर चीन ने मकाउ का भी वही हाल बना दिया है जो उसने हॉन्गकॉन्ग का बनाया है | और यहां कि जनसंख्या में भी चीन के खिलाफ रोष है |


     चीन ने 1962 में भारत पर हमला कर दिया और जबाहर लाल नेहरु की अगुवाई वाली त्तकालिन भारतीय सरकार में आपसी मतभेद तथा युद्ध में वायु सेना का उपयोग न करने के निर्णय का परिणाम यह हुआ कि भारत चीन से युद्ध हार गया और 38 हजार स्क्वायर किलोमीटर का अक्साई चीन जो लद्दाख का बहोत बडा़ हिस्सा है चीन के कब्जे में चला गया जिस पर आज भी चीन का अबैध कब्जा है | यही नही 1963 में पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर जिसे हम पाकिस्तान अधिकृत कशमीर कहते के 5180 स्क्वायर किलोंमीटर के हिस्से को चीन को  युद्ध के डर से उपहार स्वरुप दे दिया | इसी के साथ आज चीन का भारत की 43180 स्क्वायर किलोमीटर भुमि पर अबैध कब्जा है जिसे वापस प्राप्त करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है और निरंतर प्रयासरत है |


     अपनी विस्तारवादी मानसिक्ता के चलते चीन अपने हर एक पडो़सी देश का दुश्मन है और भारत समेत हर छोटे-बडे़ पडो़सी देश के लिए खतरा है | यही कारण है कि आज चीन का भारत , रुस , जापान , ताइवान , वियतनाम , मंगोलिया , तुर्किस्तान , दक्षिण कोरिया , आस्ट्रेलिया समेत 22 देशों से सीमा विवाद चल रहा है | चीन केवल अपने पडो़सी एवं विरोधी देशों के लिए ही खतरा नही है बल्की वह उसके मित्र कहे जाने वाले देशों के लिए भी खतरा है | पाकिस्तान में चीन पाकिस्तान इकोनामिक गलियारे के नाम पर ग्वादर शहर पर कब्जा कर लेने के बाद चीन अब नेपाल के सैकडो़ गावों पर भी कब्जा कर रहा है | ताजा खबरों के अनुसार इसी के विरोध में नेपाली राष्ट्रवादी लोग नेपाल में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं | अब समय आ गया है की चीन के सताए हुए सभी राष्ट्र एकजुट होकर चीन का सामना करें तथा अपनी स्वतंत्रता कि रक्षा करें और चीन के कब्जे में फसे देशों को आजाद कराएं |


Friday, September 25, 2020

अप्रकाशित सत्य 6 , जनसंख्या नियंत्रण के सख्त कानुन की लगातार बढ़ रही है मांग |

       यू तो जनसंख्या नियंत्रण कानुन की मांग बहुत पुरानी है मगर 2019 में मोदी सरकार के फिर से केन्द्र में आने के बाद से यह मांग और बलवती होती जा रही है | इस मुद्दे पर ज्यादा बात करने से पहले हम यह समझ लेते हैं कि आखिर इस कानुन की मांग हो क्यों रही है और क्या सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानुन भारत देश के लिए आवश्यक या नही ?

     हसे समझने के लिए हमे कुछ तथ्यों को समझना चाहिए पहला यह की 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी करीब 111 करोड़ थी जो 2011 में बढ़कर 121 करोड़ हो गयी नयी जनगणना रिपोर्ट जो 2021 में आनी थी अब वह कोरोना महामारी के वजह से 2022 में आएगी | एक अंदाजे के अनुसार इस नयी जनगणना रिपोर्ट में भारत की जनसंख्या लगभग 135 से 140 करोड़ हो सकती है | और यह कोई छुपा हुआ तथ्य नही है कि किसी देश में बेरोजगारी , गरीबी , भुखमरी , कुपोषण , अपराध , अशिक्षा जैसी जितनी भी समस्याएं होती है वह उस देश की लगातार बढ़ती जनसंख्या की ही देन होती हैं | यही वजह है कि दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश चीन ने अपने देश में एक बच्चा नीति सख्ती से लागु कर रखी है जबकी चीन एक विकसित अर्थव्यवस्था है और भारत तो लगातार जनसंख्या विस्फोट झेल रहा है तो भारत जैसी विकासशिल अर्थव्यवस्था वाले देश के लिए अपनी जनसंख्या बृद्धी को काबु करना बहुत आवश्यक हो जाता है |

     यहां देश और जनसंख्या को क्षेत्रफल के हिसाब से भी देखने की जरुरत है जिससे किसी देश का जनसंख्या घनत्व तय किया जाता है | अगर हम दुनिया के सबसे विकसित अर्थव्यवस्था संयुक्त राज्य अमेरिका की बात करें तो वह दुनिया का चौथा सबसे बडा़ देस है और उनकी जनसंख्या मात्र 33 करोड़ के करिब है वही दुनिया के सबसे बडे़ देश रुस की जनसंख्या मात्र 15 करोड़ के करीब है कनाडा़ जो दुनिया का दुसरा सबसे बडा़ देश है वहा कि जनसंख्या केवल 4 करोड़ के आस पास है | यहां हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह सारे देश विकसित रास्ट्र है |

      इन सभी तुलनाओं से यह स्पस्ट हो जाता है कि भारत को एक सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानुन की कितनी आवश्यक्ता है | ऐसा नही है कि पिछली केन्द्र सरकारों ने इसके लिए प्रयास नहीं किया , प्रयास किए गए मगर वह उतने प्रभावी नही रहे जितने की होने चाहिए थे मगर जब से मोदी सरकार ने बडे़ फैसले करने शुरु किए जैसे तिन तलाक को रोकने वाला कानुन , धारा 370 को हटाना , नागरिक्ता संसोधन बिल हो आदि तो लोगों को लगने लगा है की इस सरकार में बडे़ और कडे़ फैसले करने की हिम्मत भी है और मंसा भी है यही वजह है कि जनसंख्या नियंत्रण कानुन को लेकर लोगों कि उम्मीदें इस सरकार से बढ़ गई है |