Friday, March 15, 2019

लेख, इतिहास में सबसे बड़ा दानी कौन

      हमारे भारत भूमि को परोपकार की भूमि कहा जाता है | यू तो मैं ने कई दानवीर राजाओं के बारे में सुना हैं मगर यहां मैं केवल दानवीर कर्ण का उल्लेख करना चाहूंगा |

        जितना मैं ने पढ़ा है, सुना है और टीवी सीरियलों के माध्यमों से देखा है उतना मै आपको दानवीर कर्ण के बारे मे विस्तार से बता रहा हूं :-

      कर्ण पांडवों की मां यानी कुंती के पहले बेटे थे जिन्हें माता कुंती ने अपने विवाह से पहले ही जन्म दिया था | कर्ण के जन्म के बाद समाज में बदनाम होने के भय से कर्ण को जल में प्रवाहीत कर दिया था |

      जल में प्रवाहीत कर्ण को एक किसी गरीब वंचित वर्ग के लोगों ने पाया एवं उन्हीं में से एक दंपति ने कर्ण का लालन पालन किया | फिर कर्ण जब बहे हुए तो उन्होने परमवीर परशुराम से युद्ध कौशल सिखा |

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स्तंभ जीवन मूल्य, कड़ी मेहनत के बाद भी असफल क्यों होते हैं

     मुझे लगता है कि असफलता आपको कभी कमजोर नही बनाती बल्कि हर बार आपको आपके पीछे मिले अनुभव से कुछ बेहतर बनाती है | असफल होने का बिलकुल भी ये मतलब नही है कि आप हार गए हैं बल्कि ये मतलब है कि जो आपसे जीता है वो आपसे ज्यादा बेहतर है और आपको भी अगर जीतना है तो जो जीता है उससे बेहतर होना पड़ेगा |

     सच पुछीए तो असफलताएं हमेशा इंसान के भले के लिए ही होती हैं अब इंसान चाहे उसे कुछ भी समझे और जो चीज आपकी बेहतरी के लिए है उससे डरना कैसा |

    आप एक ही सुरत में असफलताओं से डर सकते हैं अगर आप कड़ी मेहनत करने से डरते हैं तो , वरना जो मनुष्य कड़ी मेहनत से नही डरता उसके लिए कोई असफलता ईतनी बड़ी हो ही नही सकती की बह अपने उद्देश्य में सफल न हो पाए |

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संस्मरण, स्कूल के दिन

    ज़िन्दगी कभी अगर यू हो जाती की हम जब चाहते तब अपने बीते हुए कल में चले जाते और जब चाहते तब आने वाले कल में चले जाते तो मैं अपने स्कूल के दिनों में वापस जाना चाहूंगा |

     मुझे मेरे स्कूल के दिनों की कई बातें याद आती हैं मुझे सबसे बड़ी तो यह है कि मुझे उस वक्त मेरी पढाई बोझ नही लगती थी बल्कि उस वक्त तो पढना बेहद भाता था | आज तो ये हो गया है कि केबल अच्छे नंबर हासिल करने के लिए इल्जाम के आखिरी महीनों में पढाई होती है | जब लंच टाइम होता था सब एक साथ बैठकर और बाटकर खाना खाते थे, आपस में खूब लडते और फिर दोस्त बन जाते थे |

      और सबसे बड़ी बात ये है कि मैं छुट्टी के दिनों को छोड़कर रोज स्कूल जाया करता था और बेहद खुशी से जाया करता था | और आज महीने में एक दिन कॉलेज जाना भी इतनी बड़ी बात हो गयी है कि जैसे हिमालय चढना हो |

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